रेलवे को नहीं मिला 'ममता बेनर्जी' का 'करीमगंज'
-: वाइआरएन सर्विस :-
जब ममता बेनर्जी रेल मंत्री थी, तो उन्होंने लोकसभा में रेलवे बजट पेश करते हुए पश्चिमी बंगाल स्थित कटवा एवं करीमगंज के बीच रेल लाइन बिछाने का एलान किया था, मगर 25 फरवरी, 2011 को हुई घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई, क्यूंकि रेलवे विभाग को कटवा के आसपास करीमगंज नामक कोई स्टेशन मिला ही नहीं।
जानकारी के मुताबिक तत्तकालीन रेलमंत्री की घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए जब रेलवे विभाग ने कमर कसी, तो उनके पसीने छूट गए, मगर करीमगंज नामक स्टेशन रेलवे विभाग को नहीं मिला। फिलहाल रेलवे विभाग ने थक हार कर इस घोषणा को अपनी ब्लू बुक से हटाने का मन बना लिया है। ब्लू बुक में रेलवे की सभी लंबित, जारी और प्रस्तावित परियोजनाओं का ब्यौरा होता है।
गौरतलब है कि करीमगंज नामक जगह पश्चिमी बंगाल में तो कहीं नहीं, लेकिन असम में जरूर है, जो कटवा से करीबन साढ़े सात सौ किलोमीटर दूर है। इसके अलावा इस नाम की जगह बंगला देश में भी है, जो कटवा से आठ सौ से नौ सौ किलोमीटर दूर है।
अब तो ममता बेनर्जी ही बता सकती हैं कि यह क्लेरीकल मिस्टेक है या फिर कोई उनकी निगाह में ऐसा स्थान है, जो रेलवे विभाग की नजर से दूर है, क्यूंकि करीमगंज ढूंढ़ने के मामले में रेलवे विभाग तो हाथ खड़े कर चुका है।
जानकारी के मुताबिक तत्तकालीन रेलमंत्री की घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए जब रेलवे विभाग ने कमर कसी, तो उनके पसीने छूट गए, मगर करीमगंज नामक स्टेशन रेलवे विभाग को नहीं मिला। फिलहाल रेलवे विभाग ने थक हार कर इस घोषणा को अपनी ब्लू बुक से हटाने का मन बना लिया है। ब्लू बुक में रेलवे की सभी लंबित, जारी और प्रस्तावित परियोजनाओं का ब्यौरा होता है।
गौरतलब है कि करीमगंज नामक जगह पश्चिमी बंगाल में तो कहीं नहीं, लेकिन असम में जरूर है, जो कटवा से करीबन साढ़े सात सौ किलोमीटर दूर है। इसके अलावा इस नाम की जगह बंगला देश में भी है, जो कटवा से आठ सौ से नौ सौ किलोमीटर दूर है।
अब तो ममता बेनर्जी ही बता सकती हैं कि यह क्लेरीकल मिस्टेक है या फिर कोई उनकी निगाह में ऐसा स्थान है, जो रेलवे विभाग की नजर से दूर है, क्यूंकि करीमगंज ढूंढ़ने के मामले में रेलवे विभाग तो हाथ खड़े कर चुका है।
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