संदेश

congress लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Express Adda : राहुल गांधी के वक्‍तव्‍य - 2013

चित्र
 साल 2013 में राहुल गांधी ने कब कहां, क्‍या कहा, जानिये, इस पोस्‍ट में। राहुल गांधी   ने कहा, "कांग्रेस पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है लेकिन इसमें बदलाव की ज़रूरत है। मगर सोच-समझ कर। सबको एक साथ लेकर बदलाव की बात करनी है और बदलाव लाना है। प्यार से, सोचसमझ के साथ, सबकी आवाज़ को सुनकर आगे बढ़ना है। वो सबको एक ही आंख से एक ही तरीके से देखेंगे चाहे वो युवा हो, कांग्रेस कार्यकर्ता हो, बुजुर्ग हो या फिर महिला हो।''  राहल ने कहा, " आज सुबह मैं चार बजे ही उठ गया और बालकनी में गया। सोचा कि मेरे कंधे पर अब बड़ी जिम्मेदारी है। अंधेरा था, ठंड थी। मैंने सोचा कि आज मैं वो नहीं कहूंगा जो लोग सुनना चाहते हैं। आज मैं वो कहूंगा जो मैं महसूस करता हूं।" राहुल बोले, "पिछली रात मेरी मां मेरे पास आई और रो पड़ी क्योंकि वो जानती हैं कि सत्ता ज़हर की तरह होती है। सत्ता क्या करती है। इसलिए हमें शक्ति का इस्तेमाल लोगों को सबल बनाने के लिए करना है।" रविवार, 20 जनवरी 2013 राहुल गांधी ने कहा, ''डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है ताकि सच को सामने लाया जा

fact 'n' fiction : नरेंद्र मोदी का चुनावी घोषणा पत्र

चित्र
वैसे तो हर बार राजनीतिक पार्टियां या गठबंधन अपना चुनावी घोषणा पत्र चुनावों से पूर्व जारी करते हैं, लेकिन इतिहास में पहली बार 'नरेंद्र मोदी : द मैन इन पीएम रेस' की ओर से अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया है। इस चुनावी घोषणा पत्र की एक कॉपी हमारे फर्जी सूत्रों द्वारा उपलब्‍ध करवाई गई है। केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान करने वाले नरेंद्र मोदी की ओर से चुनावी घोषणा पत्र युवा पीढ़ी और आम जनता को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है। विकास पुरुष की ओर से इसमें विकास संबंधी कोई घोषणा नहीं, जो है वे आपके सामने रखने जा रहे हैं। सोशल मीडिया स्‍वतंत्रता मैं सोशल मीडिया के अस्‍तित्‍व को बरकरार रखने के लिये पुरजोर कोशिश करूंगा। मुझे पता है कि यह एक अभिव्‍यक्‍ति का सशक्‍त प्‍लेटफॉर्म है, बशर्ते कि आप इस तरह की गतिविधियों का संचालन नहीं करेंगे, जिससे मेरी सरकार को ख़तरा पैदा हो। पहले स्‍पष्‍ट कर दूं, मैं मनमोहन सिंह की तरह बेदाग और इमानदार रहूंगा, लेकिन नेताओं की गारंटी लेना मुश्‍िकल है। पांच उंगलियां एक बराबर नहीं होती। हर शहर में लाल किला सोशल मीडिया के अस्‍तित्‍व को बरकरार रखन

fact 'n' fiction : सुशील कुमार शिंदे के निर्देशन में बनेगी 'डी - डे' रीमेक

चित्र
निखिल अडवाणी, एक युवा फिल्‍म निर्देशक हैं। बॉलीवुड में 'कल हो न हो' से जोरदार दस्‍तक दी। दूसरी बार सलामे इश्‍क से दीदार हुआ, तो न सलाम हुआ, न इश्‍क हुआ। बड़े सितारों की अधिक चमक के नीचे दब गया निर्देशन का आसमान, लेकिन अगला साहसिक कदम 'चांदनी चौंक टू चाइना' के रूप में भरा, जो एक यादगार फिल्‍म निकली। जिसे फिल्‍म निर्माता एक बेहद बुरी घटना के रूप में याद करेंगे, और बच्‍चे एक मनोरंजक व इनवेंशनल फिल्‍म के रूप में। बच्‍चे जब जवां होंगे, वो कहीं भी होंगे, निर्देशक निखिल आडवाणी की इस फिल्‍म को याद जरूर करेंगे, अगर उस समय पैर की किक से मानव उड़ रहे हुए तो, क्‍यूंकि निखिल आडवाणी ने 'चांदनी चौंक टू चाइना' में मिथुन दा की किक से अक्षय कुमार को बहुत उड़ाया, और आज कल अक्षय कुमार मिथुन दा के करियर को उड़ान दे रहे हैं, अपनी हर फिल्‍म में मिथुन दा को जगह देकर। इसके अलावा इस फिल्‍म के जरिये निखिल ने काफी अन्‍वेंषण किए हैं, जैसे कि छाते को पैराशूट में बदलने, यंत्रों से भाषाओं को ट्रांसलेट करने आदि। अब निखिल आडवाणी की हालिया रिलीज 'डी-डे' भी एक यादगार फ

राहुल गांधी : तुम आये तो आया मुझे याद, गली में आज चाँद निकला

चित्र
राहुल गांधी, युवा चेहरा। समय 2009 लोक सभा चुनाव। समय चार साल बाद । युवा कांग्रेस उपाध्‍यक्ष बना पप्‍पू। हफ्ते के पहले दिन कांग्रेस की मीडिया कनक्‍लेव। राहुल गांधी ने शुभारम्‍भ किया, नेताओं को चेताया वे पार्टी लाइन से इतर न जाएं। वे शालीनता से पेश आएं और सकारात्‍मक राजनीति करें। राहुल गांधी का इशारा साफ था। कांग्रेसी नेता अपने कारतूस हवाई फायरिंग में खत्‍म न करें। राहुल गांधी, जिनको ज्‍यादातर लोग प्रवक्‍ता नहीं मानते, लेकिन वे आज प्रवक्‍तागिरी सिखा रहे थे। दिलचस्‍प बात तो यह है कि राहुल गांधी ख़बर बनते, उससे पहले ही नरेंद्र मोदी की उस ख़बर ने स्‍पेस रोक ली, जो मध्‍यप्रदेश से आई, जिसमें दिखाया गया कि पोस्‍टर में नहीं भाजपा का वो चेहरा, जो लोकसभा चुनावों में भाजपा का नैया को पार लगाएगा। सवाल जायजा है, आखिर क्‍यूं प्रचार समिति अध्‍यक्ष को चुनावी प्रचार से दूर कर दिया, भले यह प्रचार लोकसभा चुनावों के लिए न हो। कहीं न कहीं सवाल उठता है कि क्‍या शिवराज सिंह चौहान आज भी नरेंद्र मोदी को केवल एक समकक्ष मानते हैं, इससे अधिक नहीं। सवाल और विचार दिमाग में चल रहे थे कि दूर से कहीं चल रहे गीत की ध