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मिस्र को किस तोड़ पर ले आई 'क्रांति'

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फरवरी 2011, जब देश की जनता ने तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति मुबारक हुस्‍नी को पद से उतारते हुए तहरीर चौंक पर आजादी का जश्‍न मनाया था, तब शायद उसको इस बात का अहसास तक न हुआ होगा कि आने वाले साल उसके लिए किस तरह का भविष्‍य लेकर आएंगे। आज मिस्र गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। वहां पर सेना और मुर्सी समर्थक आमने सामने हैं, क्‍यूंकि गणतांत्रिक तरीक़े से चुने हुए मिस्र के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सेना ने निरंतर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण तीन जुलाई को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था। काहिरा की एक मस्‍जिद के चारों तरफ सेना का पहरा है तो अंदर एक रात से कैद हैं मुर्सी समर्थक। सरकारी आंकड़ों की माने तो वहां पर अब तक केवल 700 के आस पास लोग मरे हैं, हालांकि मुस्‍लिम ब्रदर्सहुड पार्टी का दावा है कि वहां पर मरने वालों की संख्‍या 2000 से अधिक हो चुकी है, और घायलों की संख्‍या 5000 के आंकड़े को पार कर चुकी है। मिस्र में फैली अशांति से न केवल लोगों की जान के लिए बल्कि सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए भी ख़तरा पैदा हो गया है। देश भर में फैली अशांति का अनुचित्त लाभ उठाते हुए कुछ दंगाइयों ने ईसाई

'कल के नेता' आज के नेताओं के कारण मुश्‍िकल में

नीतीश कुमार बाबू के राज्‍य में बसते छपरा के एक सरकारी स्कूल में विषाक्त दोपहर के भोजन से हुई 22 बच्चों की मौत अत्यंत पीड़ादायक है, इसने इस महत्वपूर्ण योजना के प्रति बरती जा रही आपराधिक लापरवाही को ही जगजाहिर किया है। कल के नेता कहे जाने वाले बच्‍चे स्कूल में पढ़ने गए थे, लेकिन हमारे सड़ी-गली व्यवस्था वाले सिस्‍टम मासूम बच्‍चों के सपनों को साकार होने से पहले ही ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया। बेहद बुरा लगता है जब, भोजन में मरी छिपकली होने या उसके किसी और तरह से विषाक्त होने की शिकायतें मिलती हैं और पहले भी कुछ जगहों पर कुछ बच्चों की विषाक्त भोजन से मौत तक हुई है, इसके बावजूद शिक्षा के बुनियादी अधिकार को आधार देने वाली इस योजना को लेकर चौतरफा कोताही बरती जा रही है।  यह तो जांच से पता चलेगा कि उन बच्चों को दिए गए भोजन में कीटनाशक मिला हुआ था या कोई और जहरीला पदार्थ, मगर जिस तरह से स्कूलों में दोपहर का  भोजन, ''जिसको हम मिड डे मील कहते हैं'' तैयार किया जाता है और बच्चों को परोसा जाता है, उस पूरी व्यवस्था में ही बहुत सारी खामियां हैं। इसमें सबसे बड़ी गड़