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दिसंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अरविंद केजरीवाल कुछ तो लोग कहेंगे

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बड़ी हैरानी होती है। कोई कुछ लेता नहीं तो भी देश के कुछ बुद्धिजीवी सवाल उठा देते हैं, अगर कोई लेता है तो भी। अब आम आदमी मुख्यमंत्री बन गया। वो आम आदमी सुरक्षा लेना नहीं चाहता, लेकिन मीडिया अब उसको दूसरे तरीके से पेश कर रहा है। सुनने में आया है, अरविंद केजरीवाल ने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया। सुरक्षा के रूप में उसको दस बारह पुलिस कर्मचारी मिलते, लेकिन अब उसकी सुरक्षा के​ लिए सौ पुलिस कर्मचारी लगाने पड़ रहे हैं। अब भी सवालिया निशान में केजरीवाल हैं ? शायद बुद्धिजीवी लोग घर से बाहर नहीं निकलते या घर नहीं आते। शायद रास्तों से इनका राब्ता नहीं, संबंध नहीं, कोई सारोकार नहीं। वरना,उनको अर​विंद केजरीवाल के शपथग्रहण कार्यक्रम की याद न आती, जहां पर सौ पुलिस कर्मचारियों को तैनात किया गया था। कहते हैं आठ दस से काम चल जाता है, अगर अरविंद सुरक्षा के लिए हां कह देते तो। सच में कुछ ऐसा हो सकता है, अगर हो सकता है तो नरेंद्र मोदी की राजधानी, मेरे घर के पास आकर देख लें। मोदी गोवा से, दिल्ली, यूपी, बिहार से निकलता है, लेकिन मेरे शहर की सड़कों पर सैंकड़े से अधिक पुलिस कर्मचारी ठिठुरते

लोकपाल बिल तो वॉट्सएप पर पास हो गया था

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अन्ना हजारे। आज के गांधी हो गए। ठोको ताली। कांग्रेस व भाजपा समेत अन्य पार्टियों ने लोक पाल बिल पास कर दिया। कहीं, आज फिर एक बार अंग्रेजों की नीति को तो नहीं दोहरा दिया गया। गांधी को महान बनाकर सुभाष चंद्र बोस, शहीद भगत सिंह जैसे किरदारों को दबा दिया गया। सत्ता पाने की चाह में पागल पार्टियां ​दिल्ली में बहुमत न मिलने की कहानी गढ़ते हुए सरकार बनाने से टल रही हैं। आज भी राजनीतिक पार्टियां भीतर से एकजुट नजर आ रही हैं। शायद वह आम आदमी के हौंसले को रौंदा चाहती हैं, जो आप बनकर सामने आया है। वह चाहती हैं कि आप गिरे। डगमगाए ताकि आने वाले कई सालों में कोई दूसरा आम आदमी राजनेता को नीचा​ दिखाने की जरूरत न करे। आठ साल से लटक रहा बिल एकदम से पास हो जाता है। अन्ना राहुल गांधी को सलाम भेजता है। उस पार्टी का भी लोक पाल को समर्थन मिलता है, जिसका प्रधानमंत्री उम्मीदवार, बतौर मुख्यमंत्री अब तक अपने राज्य में लोकायुक्त को लाने में असफल रहा है। मुझे लगता है कि शायद अन्ना ने राहुल गांधी को भेजे पत्र के साथ एक पर्ची भी अलग से भेजी होगी। जिस पर लिखा होगा। क्या एक और अरविंद केजरीवाल चाहिए? र

वो मासूम सी लड़की

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वो मासूम सी लड़की मुझसे जुदा हो जाए। बस ख्वाबों में आए, और खुदा हो जाए। मैं ही जानता हूं पागल दिल को संभाला है कैसे। उनकी चाहत को बच्चों की तरह पाला है कैसे। कभी सूखा पड़ा तो कभी बाढ़ आई हौंसले ​गिराने आफत हर बार आई हा​लत देखकर आशिकों की अब मैं, हैप्पी यूं ही परेशान नहीं होता पता है मुझे, किसी की याद में डूबकर उभरना आसान नहीं होता आओ हंसते हुए मिलने की, दुश्मनों पर मेहरबानी करते हैं। चलो आज हैप्पी, हम भी कुछ तूफानी करते हैं। बंद कमरों में रोना बंद कर ​दिया, क्यूंकि नीर ए अश्क फर्श सोखता नहीं, हैप्पी अगर जमीं पीती अश्क मेरे, तो आंखों से बहता दरिया मैं रोकता नहीं

सलमान खान के हाथ जल्‍द होंगे पीले

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सच में। सलमान खान की बहुत जल्‍द शादी होने वाली है। अब सलीम खान एंड फैमिली चाहती है कि छोरे के हाथ पीले कर देने चाहिए, हालांकि लड़कियों के हाथ पीले होते हैं। हाथ पीले करने का मतलब शादी होता है, तो क्‍या फर्क पड़ता है, लड़के की हो या लड़के की। अब तो दोनों बराबर हैं। लो..... मैंने क्‍या कुछ झूठ कहा। अभी तक लड़की तो मिली नहीं, लेकिन मिलने की जल्‍द संभावना है। सलमान खान ने परिवार को संकेत देने शुरू कर दिए हैं। हम सब जानते हैं कि बॉलीवुड में सबसे अधिक लड़कियों के साथ प्रेम प्रसंग रचाने वाला अभिनेता सलमान खान हैं। मगर उसने पिछले दिनों अपने बयान से सभी उन लड़कियों को चरित्र प्रमाण पत्र दे दिया, जो उसकी जिन्‍दगी में आकर गई हैं।  फर्जी मीडिया कंपनी फेकटॉक फेंकु संवाददाता ने बताया कि सलमान खान के बयान के बाद अभिषेक बच्‍चन पार्टी देने के मूड में थे, लेकिन ऐश ने कहा, क्‍या हर बार सीता प्रमाण देगी, कभी राम को नहीं देना चाहिए, अभी तक करिश्‍मा कपूर या किसी अन्‍य लड़की ने सार्वजनिक तौर पर बयान नहीं दिया। तुम को भी सलमान खान की तरह बयान देकर प्रमाण देना होगा। अभी तक मामला ठंडे बस्‍ते में है,

एक ख़त आम आदमी पार्टी के नाम

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नमस्कार। सबसे पहले आप को बधाई शानदार शुरूआत के लिए। कल जब रविवार को न्यूज चैनलों की स्क्रीनें, क्रिकेट मैच के लाइव स्कोर बोर्ड जैसी थी, तो मजा आ रहा था, खासकर दिल्ली को लेकर, दिल्ली में कांग्रेस का पत्ता साफ हो रहा था, तो भाजपा के साथ आप आगे बढ़ रहे थे, लेकिन दिलचस्प बात तो यह थी कि चुनावों से कुछ दिन पहले राजनीति में सक्रिय हुई पार्टी बाजी मारने में सफल रही,हालांकि आंकड़ों की बात करें तो भाजपा शीर्ष है, मगर बात आप के बिना बनने वाली नहीं है। यह बात तो आपको भी पता थी कि कुछ समीकरण तो बिगड़ने वाला है, मगर आप ने इतने बड़े फेरबदल की उम्मीद नहीं की थी। अगर आपको थोड़ी सी भी भनक होती तो यकीनन सूरत ए हाल कुछ और होता। आप प्रेस के सामने आए, बहुत भावुक थे, होना भी चाहिए, ऐसा क्षण तो बहुत कम बार नसीब होता है। अब आप को अपने कार्यालय के बाहर एक शेयर लिखकर रखना चाहिए, मशहूर हो गया हूं तो जाहिर है दोस्तो, अब कुछ इलजाम मेरे स​र भी आएंगे जो गुरबत में अक्सर नजर चुराते थे, अब देने बधाई मेरे घर भी आएंगे मगर अब आप विपक्ष में बैठने की बात कर रही है, जो सही नहीं। नतीजे आप ने बदले हैं, मुख्यमंत्री को

fact n fiction : जय हो का पोस्टर यूं बना

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जय हो का पोस्टर रिलीज हो गया। पहले तो इसका नाम मेंटल था। लेकिन कुछ घटनाक्रम ऐसे हुए कि इसका नाम बदलकर जय हो रखना पड़ा। हमारे फिक्शन जर्नालिस्ट की रिपोर्ट ने उठाया पूरे मामले से पर्दा। जानिए कैसे ? हुआ कुछ यूं। सलमान खान बहुत खुश थे। दस बजे में कुछ मिनट बाकी थे। पोस्टर रिलीज होने वाला था। पोस्टर को लेकर सलमान अपने प्रशंसकों में उत्सुकता जगा रहे थे। शुक्रवार को जैसे ही दस बजे। वैसे ही पोस्टर रिलीज हुआ। सर्वर क्रैश होने की बात सामने आई। लेकिन बात कुछ और थी। सलमान खान पोस्टर को लेकर नाराज हुए। पोस्टर देखा तो सलमान खान चौक उठे, यह कालिख क्यूं ? मेरे चेहरे पर पोती है। मैं इस ​​फिल्म में कोयला मजदूर थोड़ी हूं। राइट ब्रदर। तुम सही कह रहे हो, सोहेल खान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा। जब लोग इस पोस्टर को देखेंगे तो उनको कोयले की याद आएगी। कोयले घोटाले की याद आएगी। वैसे भी अगले साल चुनाव हैं। जनता कांग्रेस के चेहरे पर कालिख पोतेगी। तुम्हारी फिल्म नहीं चलेगी सोहेल, सलमान बोले। कोई बात नहीं भैया, मैंने सौ करोड़ का इंतजाम कर लिया। सोहेल बड़े आत्मविश्वास के साथ बोले।  सलमान खान चौकते हुए बोल

भाव कृति : उलझन, उम्मीद व खयालात

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उम्मीद शाम ढले परिंदों की वापसी से तेरे आने की उम्मीद जगाती हूं सोच कर मैं फिर एकदम से डर सी, सहम सी जाती हूं कहीं बरसों की तरह, उम्मीद इक उम्मीद बनकर न रह जाए तुम्हारी, बस तुम्हारी उलझन उनकी तो ख़बर नहीं, मैं हर रोज नया महबूब चुनता हूं अजब इश्क की गुफ्तगू वो आंखें कहते हैं, मैं दिल से सुनता हूं हैप्पी मैं भी बड़ा अजीब हूं, पुरानी सुलझती नहीं, और हर रोज एक नई उलझन बुनता हूं ख्यालात लोग मेरे खयाल पूछते हैं, लेकिन क्या कहूं, पल पल तो ख्यालात बदलते हैं सच में मौसम की तरह, न जाने दिन में कितनी बार मेरे हालात बदलते हैं लोग सोचते हैं रिहा हुए मुझे लगता है, हैप्पी लोग सिर्फ हवालात बदलते हैं

ख़त तरुण तेजपाल, मीडिया व समाज के नाम

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तरुण तेजपाल, दोष तुम्‍हारा है या तुम्‍हारी बड़ी शोहरत या फिर समाज की उस सोच का, जो हमेशा ऐसे मामलों में पुरुषों को दोष करार दे देती है, बिना उसकी सफाई सुने, मौके व हालातों के समझे। इस बारे में, मैं तो कुछ नहीं कह सकता है, लेकिन तुम्‍हारे में बारे में मच रही तहलका ने मुझे अपने विचार रखने के लिए मजबूर कर दिया, शायद मैं तमाशे को मूक दर्शक की तरह नहीं देख सकता था। मीडिया कार्यालयों, वैसे तो बड़ी बड़ी कंपनियों में भी शारीरिक शोषण होता, नहीं, नहीं, करवाया भी जाता है, रातों रात चर्चित हस्‍ती बनने के लिए। लूज कपड़े, बोस को लुभावने वाला का मैकअप, कातिलाना मुस्‍कान के साथ बॉस के कमरे में दस्‍तक देना आदि बातें ऑफिस में बैठे अन्‍य कर्मचारियों की आंखों में खटकती भी हैं। मगर इस शारीरिक शोषण या महत्‍वाकांक्षायों की पूर्ति में अगर किसी का शोषण होता है तो उस महिला या पुरुष कर्मचारी का, जो कंपनी को ऊपर ले जाने के लिए मन से काम करता है। जब तक डील नो ऑब्‍जेक्‍शन है, तब तक मजे होते हैं, जिस दिन डील में एरर आने शुरू होते हैं, उस दिन विवाद होना तय होता है, जैसे आपके साथ हुआ। विवाद दब भी जाता, लेकिन