ख़त तरुण तेजपाल, मीडिया व समाज के नाम
लूज कपड़े, बोस को लुभावने वाला का मैकअप, कातिलाना मुस्कान के साथ बॉस के कमरे में दस्तक देना आदि बातें ऑफिस में बैठे अन्य कर्मचारियों की आंखों में खटकती भी हैं। मगर इस शारीरिक शोषण या महत्वाकांक्षायों की पूर्ति में अगर किसी का शोषण होता है तो उस महिला या पुरुष कर्मचारी का, जो कंपनी को ऊपर ले जाने के लिए मन से काम करता है।
जब तक डील नो ऑब्जेक्शन है, तब तक मजे होते हैं, जिस दिन डील में एरर आने शुरू होते हैं, उस दिन विवाद होना तय होता है, जैसे आपके साथ हुआ। विवाद दब भी जाता, लेकिन तेरी शोहरत तुम्हें ले बैठी। मीडिया हाउस, तुम्हारे तहलकिया अंदाज से डरने लगे थे, तुम्हारी हिन्दी पत्रिका पांच साल पूरे कर चुकी है व पाठक निरंतर बढ़ रहे हैं। वैसे तुमने सही लिखा, परिस्थितियां सही नहीं थी, मेल से हुए खुलासे के अनुसार। मुझे भी कुछ ऐसा लगता है, क्यूंकि जहां हादसा हुआ, वह जगह भाजपा की है, तुम तो भाजपा के पहले शिकार हो, वो चूक कैसे कर सकती थी।
एक वेबसाइट पर प्रकाशित मेल पढ़ी, जिसमें आप दोनों के बीच की बात है, जिसको एक वेबसाइट ने प्रकाशित किया। उसमें लड़की कहती है कि तुम अक्सर उससे शारीरिक संबंधों से जुड़े मामलों पर बात करते थे, वो उन विषयों से भागना चाहती थी। इसमें शक नहीं होगा, आप में ऐसा होता होगा, लेकिन हैरानी तो इस बात से है कि वह फिर भी तुम्हारे ऑफिस में बने रहना चाहती थी, क्यूं, जब तुम्हारी सोच से वह अच्छी तरह परिचित हो चुकी थी। यह बात तो आम महिला भी समझ जाती है कि जहां शराब, शबाब एवं दिमाग खराब एकत्र होंगे, वहां हादसा तो होना ही है, लेकिन एक दूरदृष्टि रखने वाली महिला संवाददाता हालातों को भांप नहीं पाई, हद है।
मीडिया, मीडिया वाले के पीछे पड़ गया। इसलिए नहीं कि वहां पर महिला कर्मचारी के साथ शारीरिक शोषण हुआ, बल्कि इसलिए कि सामने वाले को इतना शर्मिंदा कर दिया जाए कि वह उठने लायक न बचे। भले ही, अदालती फैसले आने में देर है। पुलिसिया काईवाई शुरू हुई है। महिला ने आरोप लगाए हैं, सत्य साबित होने में वक्त है, मगर मीडिया स्वयं जज बनकर बैठा है, सिर्फ टीआरपी के चक्कर में। नहीं, नहीं, अपने एक प्रतिद्वंद्वी को खत्म करने के चक्कर में भी।
समाज। बड़ा अजीब है समाज। इतने सारे राम। हर आदमी के अंदर राम है, लेकिन ऐसे मामले में स्वयं को एक झटके में राम से अलग कर देता है। वह इतनी जल्दी भूल जाता है कि कभी कभी महिला का भी दोष हो सकता है। समाज हूं, भावनायों में बहता हूं। नहीं, नहीं, आजकल तो फेसबुक के प्रवाह में बहता हूं। मुझे कुछ पता नहीं होता, मैं तो उस घटना के समीप भी नहीं होता, जो घटना बंद कमरे में घटती है, दो लोगों के बीच घटती है।
मैं तो बस महिला की सुनता हूं। मेरी आदत है। आम ही देखा होगा, सड़क पर जाते हुए दंपति अचानक मोटर साइकिल से गिरता है। मैं दौड़े दौड़े जाता हूं, महिला को पकड़ कर उठाने की कोशिश्ा करता हूं, पुरुष तो खड़ा हो जाएगा। मैं महिला को कमजोर समझता हूं, या मेरा उसके प्रति आकर्षण है, यह बात मैं नहीं जानता, लेकिन मैं समाज हूं। मुझे पता है, वह महिला हमेशा स्वयं को दुर्बल कमजोर बताएगी, भले ही ऐसे मौकों पर मैं उसके पक्ष में खड़ता हूं। मैं समाज हूं।
कुलवंत हैप्पी, संचालक Yuvarocks Dot Com, संपादक Prabhat Abha हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र । पिछले दस साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय, प्रिंट से वेब मीडिया तक, और वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की छाया में।
Yuva Rocks Dot Com से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करे।
@लेकिन हैरानी तो इस बात से है कि वह फिर भी तुम्हारे ऑफिस में बने रहना चाहती थी
जवाब देंहटाएंक्यूँ नौकरी महिला को क्यूँ छोड़नी चाहिए जबकि गलती तरुण तेजपाल कि थी। आप को विशाखा गाइड लाइन्स का पता नहीं हैं शायद ज़रा कानून और संविधान को ध्यान में रख कर पोस्ट लिखे
नौकरी छोड़ दो दूसरी जगह भी वही माहोल हो तब क्या करो
उस पत्रकार ने जो किया सही किया , उसने उस जगह को साफ़ करने कि कोशिश कि हैं जहां वो नौकरी करती थी।
तो कान के खींच के दे देती, इज्जत से बड़ी जॉब नहीं होती। पुरुषों की बराबरी की दौड़ में महिला को शर्म का आंचल छोड़ना होगा, उसको जैसे के साथ तैसे पेश आना होगा। धुएं से अंदाजा लगाना होगा, घर जलकर राख होने से पहले।
हटाएंयानि आप को लगता हैं कि हर महिला को क्रिमिनल बन ना होगा यानि फूलन देवी और विनाश करना होगा
हटाएंउस पत्रकार ने उस से बेहतर विक्लप चुना अब जो करेगा कानून करेगा
उसे अपने कानून और संविधान पर विश्वास हैं बस बना रहे और दोषी को सजा मिल जाए
शर्म इज्जत इत्यादि शब्दो को इन सब से जोड़ना गलत हैं
महिला स्वयं को पुरुष के बराबर मानती है, सही है न। लेकिन इस मामले में वह स्वयं को महिला क्यूं मानती है। कमजोर क्यूं मानती है। पुरुषों के साथ कुछ कम नहीं होता, लेकिन वह अपने स्तर पर निबटते हैं, क्या महिलाएं नहीं निबट सकती। अगर पहले ही गाल पर तमाचा मार होता तो शायद इतनी बात नहीं बढ़ती। जवाब देना सीखना होगा।
हटाएंumda.
जवाब देंहटाएंयदि आप अपने ब्लॉग और वेबसाइट से पैसा कमाना चाहते हें तो इसे देखें
जवाब देंहटाएं4 CPM Advertising Programs to Make Money from your Blog or Web sites