fact 'n' fiction : राहुल गांधी को लेने आये यमदूत
सुबह सुबह का समय था। राहुल गांधी अपने बिस्तर पर नींदफरमा थे। आंख खुली तो देखा, उसके बिस्तर के पास दो लोग खड़े हैं। राहुल ने चौकते हुए पूछा, आप कौन हैं ? सामने से उत्तर आया .. यम ऐम्बेसी से आये हैं। राहुल तपाक से बोले ... क्या मैं प्रधान मंत्री बन गया ?
नहीं.. नहीं.. यमन ऐम्बेसी से नहीं, यम लोक वाली ऐम्बेसी से आये हैं। तो आप यहां क्यूं आये ? राहुल ने परेशानी वाले लिहाजे में पूछा। दरअसल हमारे लोक में एक रियालिटी शो का आयोजन होने जा रहा है। उसी के सिलसिले में आपको लेने आये हैं, आपका नाम राहुल है न ? यम दूतों ने पूछा।
राहुल ने हौसला भरते हुये कहा, हां मेरा नाम राहुल है, लेकिन मुझे पता है, आप बिग बॉस बना रहें हैं, जहन्नुम का अओ, और जन्नत का वओ कंसेप्ट पर, लेकिन इस शो में पहले भाग ले चुका राहुल मैं नहीं, वे राहुल महाजन हैं।
नहीं.. नहीं ... वो नहीं चाहिए। हम को ऐसा प्रतिभागी चाहिये जो लम्बा खेल सके। अच्छा.. अच्छा.., आपको राहुल द्राविड़ की तलाश कर रहे हैं। हां.... हां... मुझे पता है वे अच्छा क्रिकेट खेलते हैं। टेस्ट में तो उनको द वॉल का टैग भी मिला हुआ है, तो क्या आपको उसका एड्रेस दूं।
नहीं... नहीं... खिलाड़ी नहीं चाहिए, हम को संजीदगी भरा अभिनय करने वाला चाहिये, जो चेहरे से गंभीर नजर आये। अच्छा.... अच्छा.... अब समझा। आपका को राहुल बॉस की तलाश है, लेकिन वो तो बॉम्बे रहते हैं, और आप गलती से दिल्ली आ गये। कहो तो वीआईपी कोटे में रिजर्वेशन करवा दूं।
नहीं.... नहीं..... ऐसा प्रतिभागी चाहिए, जो लीड कर सके। जिसमें लीडरशिप क्वालिटी हो, जैसे एक सफल बिजनसमैन में होती है। ओके... ओके.... देट्स गूड। आपको राहुल बजाज की जरूरत है। हां, उनके पास राजनीति और सफल बिजनसमैन का अनुभव है। वे आपके लिये बिल्कुल शूट हैं। तो आप उनसे मिलना चाहेंगे।
नहीं.... नहीं... हम को ये क्वालिटी किसी एक ही व्यक्ति में चाहिये। हमको इतने सारे प्रतिभागियों की जरूरत नहीं। हमें तो बस ऑल इन वन चाहिये।
सुझाव दे दे तंग आ चुके राहुल गांधी ने दूतों के हाथों से वारंट पेपर छीना और टुकड़े टुकड़े कर दिया। सालो ! सुबह सुबह बनाने के लिये मैं ही मिला आपको। सालो ! पप्पू समझा, क्वालिटियां नरेंद्र मोदी की, और नाम राहुल का।
हंसते हंसते यमदूत दौड़ गये। पीछे एक चिट छोड़ गये। हम तो फर्जी यमदूत थे। भले ही सीबीआई से जांच करवा लेना।
Disclaimer : fact 'n' fiction सीरीज में व्यक्तियों के नाम असली हो सकते हैं, लेकिन इसकी लेखन शैली व कंटेंट पूर्ण रूप से काल्पनिक है। कुछ असली तथ्यों को आधार बनाकर कल्पना से इसकी रचना की जाती है।
नहीं.. नहीं.. यमन ऐम्बेसी से नहीं, यम लोक वाली ऐम्बेसी से आये हैं। तो आप यहां क्यूं आये ? राहुल ने परेशानी वाले लिहाजे में पूछा। दरअसल हमारे लोक में एक रियालिटी शो का आयोजन होने जा रहा है। उसी के सिलसिले में आपको लेने आये हैं, आपका नाम राहुल है न ? यम दूतों ने पूछा।
राहुल ने हौसला भरते हुये कहा, हां मेरा नाम राहुल है, लेकिन मुझे पता है, आप बिग बॉस बना रहें हैं, जहन्नुम का अओ, और जन्नत का वओ कंसेप्ट पर, लेकिन इस शो में पहले भाग ले चुका राहुल मैं नहीं, वे राहुल महाजन हैं।
नहीं.. नहीं ... वो नहीं चाहिए। हम को ऐसा प्रतिभागी चाहिये जो लम्बा खेल सके। अच्छा.. अच्छा.., आपको राहुल द्राविड़ की तलाश कर रहे हैं। हां.... हां... मुझे पता है वे अच्छा क्रिकेट खेलते हैं। टेस्ट में तो उनको द वॉल का टैग भी मिला हुआ है, तो क्या आपको उसका एड्रेस दूं।
नहीं... नहीं... खिलाड़ी नहीं चाहिए, हम को संजीदगी भरा अभिनय करने वाला चाहिये, जो चेहरे से गंभीर नजर आये। अच्छा.... अच्छा.... अब समझा। आपका को राहुल बॉस की तलाश है, लेकिन वो तो बॉम्बे रहते हैं, और आप गलती से दिल्ली आ गये। कहो तो वीआईपी कोटे में रिजर्वेशन करवा दूं।
नहीं.... नहीं..... ऐसा प्रतिभागी चाहिए, जो लीड कर सके। जिसमें लीडरशिप क्वालिटी हो, जैसे एक सफल बिजनसमैन में होती है। ओके... ओके.... देट्स गूड। आपको राहुल बजाज की जरूरत है। हां, उनके पास राजनीति और सफल बिजनसमैन का अनुभव है। वे आपके लिये बिल्कुल शूट हैं। तो आप उनसे मिलना चाहेंगे।
नहीं.... नहीं... हम को ये क्वालिटी किसी एक ही व्यक्ति में चाहिये। हमको इतने सारे प्रतिभागियों की जरूरत नहीं। हमें तो बस ऑल इन वन चाहिये।
सुझाव दे दे तंग आ चुके राहुल गांधी ने दूतों के हाथों से वारंट पेपर छीना और टुकड़े टुकड़े कर दिया। सालो ! सुबह सुबह बनाने के लिये मैं ही मिला आपको। सालो ! पप्पू समझा, क्वालिटियां नरेंद्र मोदी की, और नाम राहुल का।
हंसते हंसते यमदूत दौड़ गये। पीछे एक चिट छोड़ गये। हम तो फर्जी यमदूत थे। भले ही सीबीआई से जांच करवा लेना।
Disclaimer : fact 'n' fiction सीरीज में व्यक्तियों के नाम असली हो सकते हैं, लेकिन इसकी लेखन शैली व कंटेंट पूर्ण रूप से काल्पनिक है। कुछ असली तथ्यों को आधार बनाकर कल्पना से इसकी रचना की जाती है।
कुलवंत हैप्पी, संचालक Yuvarocks Dot Com, संपादक Prabhat Abha हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र, उप संपादक JanoDuniya Dot Tv। पिछले दस साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय, प्रिंट से वेब मीडिया तक, और वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की छाया में।
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शुक्रिया। हौसला अफजाई के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - बुधवार - 25/09/2013 को
जवाब देंहटाएंअमर शहीद वीरांगना प्रीतिलता वादेदार की ८१ वीं पुण्यतिथि - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः23 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
thanks
हटाएंबहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत सुन्दर मनोरंजक रचना
जवाब देंहटाएंLatest post हे निराकार!
latest post कानून और दंड
शुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजय जय जय घरवाली
शुक्रिया
हटाएंबहुत सुन्दर मनोरंजक रचना .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : एक जादुई खिलौना : रुबिक क्यूब
Shukriya
हटाएंबहुत सुन्दर मनोरंजक रचना .
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