fact 'n' fiction : entrance exam बाबाओं के लिए 'न बाबा न'
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आध्यात्िमक
गुरूओं पर लग रहे यौन शोषण के आरोपों के कारण कहीं देश की सर्वोच्च अदालत
वेश्यावृत्ति संबंधी पूछे गये सवाल की तरह सरकार से इस बार भी न पूछ ले
कि अगर आध्यात्मिक गुरूओं द्वारा किये जा रहे यौन शोषण को रोकना संभव
नहीं तो इसको वैधता दे दी जाये।
इस बात से डरते हुए देश की सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से सोचने का विचार किया है। सरकार चाहती है कि बाबाओं को भी entrance exam से गुजरना चाहिए। इस प्रस्ताव पर काल्पनिक लोक सभा में पहली बार में नेताओं की राय मांगी गई।
मलंगनगर से सांसद मलंग दास ने सुझाव देते हुए कहा कि बाबाओं को कुछ महीनों तक रेड लाइट इलाकों में रखा जाये, और उनके व्यवहार पर पैनी निगाह रखी जाये। अगर बाबा बनने के इच्छुक आवेदनकर्ता यहां से पास होते हैं तो उनको जर्मनी के उन बीचों पर तीन महीने के लिए छोड़ा जाये, जहां पर महिलायें व पुरुष नग्न अवस्था में मौज मस्ती करते हैं। जर्मन में ऐसे बीच हैं, जहां पर महिलायें और पुरुष नग्न अवस्था में घूमते मिल जाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह महिला पुरुष बराबरता के विचार को प्रत्साहित करने के लिये अपनाया गया तरीका है। ऐसे बीचों पर तीन महीने गुजराने पर अगर बाबा बनने की तीव्र इच्छा खत्म नहीं होती तो उनको बाबा बनने का आज्ञा पत्र दिया जाये।
ग्रामीण क्षेत्र से आये सांसद ने अपने बैल का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे हमारे गांव में साँड़ से बैल बनाने के लिए साँड़ को नसबंदी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, वैसे ही बाबाओं को भी नसबंदी प्रक्रिया से गुजारना चाहिए। सांड से बैल बनाये पशु को हम भैंसों और गायों के बीच रखते हैं, वहां ऐसी शिकायत नहीं आती, लेकिन साँड़ को वहां पर रखना हमेशा रिस्की रहता है।
एक अन्य सांसद ने सुझाव दिया कि हर बार की तरह इस बार भी क्यूं नहीं महिलाओं के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी जाये। अगर छोटा सुखी परिवार चाहिये तो ऑपरेशन महिलायें करवाती हैं, अगर अनचाहा गर्भ ठहर जाये तो गर्भनिरोधक गोलियां, महिलाओं के लिए। बाबाओं के मामले में ऐसा किया जा सकता है कि अगर महिलायें बाबाओं से एकांत में मिलती हैं, और उनके साथ रेप होता है तो उसकी जिम्मेदार महिला होगी, और उसके खिलाफ बाबा के ब्रह्माचार्य तोड़ने के आरोप में केस चलाया जायेगा।
इस बात से डरते हुए देश की सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से सोचने का विचार किया है। सरकार चाहती है कि बाबाओं को भी entrance exam से गुजरना चाहिए। इस प्रस्ताव पर काल्पनिक लोक सभा में पहली बार में नेताओं की राय मांगी गई।
मलंगनगर से सांसद मलंग दास ने सुझाव देते हुए कहा कि बाबाओं को कुछ महीनों तक रेड लाइट इलाकों में रखा जाये, और उनके व्यवहार पर पैनी निगाह रखी जाये। अगर बाबा बनने के इच्छुक आवेदनकर्ता यहां से पास होते हैं तो उनको जर्मनी के उन बीचों पर तीन महीने के लिए छोड़ा जाये, जहां पर महिलायें व पुरुष नग्न अवस्था में मौज मस्ती करते हैं। जर्मन में ऐसे बीच हैं, जहां पर महिलायें और पुरुष नग्न अवस्था में घूमते मिल जाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह महिला पुरुष बराबरता के विचार को प्रत्साहित करने के लिये अपनाया गया तरीका है। ऐसे बीचों पर तीन महीने गुजराने पर अगर बाबा बनने की तीव्र इच्छा खत्म नहीं होती तो उनको बाबा बनने का आज्ञा पत्र दिया जाये।
ग्रामीण क्षेत्र से आये सांसद ने अपने बैल का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे हमारे गांव में साँड़ से बैल बनाने के लिए साँड़ को नसबंदी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, वैसे ही बाबाओं को भी नसबंदी प्रक्रिया से गुजारना चाहिए। सांड से बैल बनाये पशु को हम भैंसों और गायों के बीच रखते हैं, वहां ऐसी शिकायत नहीं आती, लेकिन साँड़ को वहां पर रखना हमेशा रिस्की रहता है।
एक अन्य सांसद ने सुझाव दिया कि हर बार की तरह इस बार भी क्यूं नहीं महिलाओं के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी जाये। अगर छोटा सुखी परिवार चाहिये तो ऑपरेशन महिलायें करवाती हैं, अगर अनचाहा गर्भ ठहर जाये तो गर्भनिरोधक गोलियां, महिलाओं के लिए। बाबाओं के मामले में ऐसा किया जा सकता है कि अगर महिलायें बाबाओं से एकांत में मिलती हैं, और उनके साथ रेप होता है तो उसकी जिम्मेदार महिला होगी, और उसके खिलाफ बाबा के ब्रह्माचार्य तोड़ने के आरोप में केस चलाया जायेगा।
महिला सांसद ने इस बात पर कड़ा एतराज
जताते हुए संसद में हंगामा कर दिया और सुझाव प्रतिक्रियाओं का दौर थम गया व
लोक सभा की कार्यवाही अगले सेशन तक के लिए स्थगित कर दी गई।
फेक टॉक के फर्जी सूत्रों से ख़बर मिल रही है कि अगर 2014 लोक सभा चुनावों के बाद भाजपा की अगुवाई वाली सरकार सत्ता में आई तो नरेंद्र मोदी अपने खास समर्थक बाबा रामदेव को मंत्री पद देने के लिये एक नये मंत्रालय को अस्तित्व में लायेंगे। इस मंत्रालय का नाम धर्म मंत्रालय होगा, और नये बाबाओं को यहां से स्वीकृति लेनी होगी।
यहां उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह के बयान के अनुसार बाबा रामदेव के पास आज से दस साल पहले साइकिल को पंक्चर लगवाने के पैसे नहीं थे, लेकिन आज उनके पास 11 सौ करोड़ की संपत्ति है। कहीं न कहीं, दिग्विजय सिंह का यह बयान युवा पीढ़ी को बाबा बनने की तरफ प्रेरित करता है, राजनीति में भी इतनी ग्रोथ मिलना मुश्िकल है।
बाबा के करीबी फर्जी सूत्रों से सुनने में आया है कि बाबा यौन शोषण मामले को लेकर बेहद संवेदनशील हैं, उन्होंने अभी से इसके लिए खाका तैयार कर लिया है। अगर कोई बाबा यौन शोषण में लिप्त पाया गया तो उसको अगले 5 साल तक निरंतर 24घंटे कपाल भाति प्राणायाम व भस्त्रिका प्राणायाम करना होगा, बिना कुछ खाये पीये। अगर बीच में रूका तो उसके ऊपर एक डंडे वाला पहरेदार होगा, जो रूकने पर लठ का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होगा।
अगर आपके पास हैं कुछ बेहतरीन सुझाव हैं तो नीचे टिप्पणी बॉक्स में लिख सकते हैं।
फेक टॉक के फर्जी सूत्रों से ख़बर मिल रही है कि अगर 2014 लोक सभा चुनावों के बाद भाजपा की अगुवाई वाली सरकार सत्ता में आई तो नरेंद्र मोदी अपने खास समर्थक बाबा रामदेव को मंत्री पद देने के लिये एक नये मंत्रालय को अस्तित्व में लायेंगे। इस मंत्रालय का नाम धर्म मंत्रालय होगा, और नये बाबाओं को यहां से स्वीकृति लेनी होगी।
यहां उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह के बयान के अनुसार बाबा रामदेव के पास आज से दस साल पहले साइकिल को पंक्चर लगवाने के पैसे नहीं थे, लेकिन आज उनके पास 11 सौ करोड़ की संपत्ति है। कहीं न कहीं, दिग्विजय सिंह का यह बयान युवा पीढ़ी को बाबा बनने की तरफ प्रेरित करता है, राजनीति में भी इतनी ग्रोथ मिलना मुश्िकल है।
बाबा के करीबी फर्जी सूत्रों से सुनने में आया है कि बाबा यौन शोषण मामले को लेकर बेहद संवेदनशील हैं, उन्होंने अभी से इसके लिए खाका तैयार कर लिया है। अगर कोई बाबा यौन शोषण में लिप्त पाया गया तो उसको अगले 5 साल तक निरंतर 24घंटे कपाल भाति प्राणायाम व भस्त्रिका प्राणायाम करना होगा, बिना कुछ खाये पीये। अगर बीच में रूका तो उसके ऊपर एक डंडे वाला पहरेदार होगा, जो रूकने पर लठ का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होगा।
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कुलवंत हैप्पी, संचालक Yuvarocks Dot Com, संपादक Prabhat Abha हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र, उप संपादक JanoDuniya Dot Tv। पिछले दस साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय, प्रिंट से वेब मीडिया तक, और वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की छाया में।
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शुक्रिया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
जवाब देंहटाएंachha likha hai aapne ... aam janta ko kahin raahat nahin .. bhagwan ke darwaaje par bhi nahin
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंसुन्दर !!
जवाब देंहटाएंbadhiya katksh :)shubhkamnaye
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेख , बधाई
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