Inspirational Story : असम की डॉ.संयुक्ता पराशर का 'पेशन'

जब संयुक्ता ने यूपीएससी के इम्तिहानों की तैयारी शुरू की तो उसके पास पढ़ाई के लिए पांच घंटों से अधिक का समय नहीं था। वे एक संस्था ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के लिए काम भी कर रहीं थी। जब उनको पता चला कि आल इंडिया रैंकिंग में वे 85वें स्थान पर रहीं है तो खुशी का कोई टिकाना नहीं था। संयुक्ता को 2008 में मकुम में बतौर अस्िसटेंट कमांडेंट ज्वॉइन करने के दो घंटों के भीतर दंगे फसाद वाली जगह पर जाना पड़ा, जहां पर बोडो और बंग्लादेशी आतंकवादियों के बीच झड़प हो रही थी। वहां पहुंचते ही उसको अहसास हुआ कि किस तरह एक सेकेंड में व्यक्ति अपना सब कुछ खो देता है। 7 अगस्त 2008 को उसकी जिप्सी एक अन्य वाहन से टकराने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई, और वे बुरी तरह घायल हुई। संयुक्ता ने 2008 में डीसी चिरांग पुरु गुप्ता से की, और संयुक्ता मौजूदा समय में एसपी जोरहट में तैनात हैं।
एक बच्चे की मम्मी पुलिस की वर्दी में कड़क और नरम दिल रखती हैं। उन्होंने ट्रैफिक रूल तोड़ने वालों को जुर्माना और रूल को बरकरार रखने वालों को टॉफियां बांटने का प्रोजेक्ट शुरू किया हुआ है। ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी हेल्मेट न पहनने वालों को जुर्माना करते हैं, वहीं दूसरी तरफ हेल्मेट पहनने को वालों को रिवॉर्ड के तौर पर टॉफियां वितरित करते हैं। पुलिस विभाग को उम्मीद है कि इस मुहिम से लोग हेल्मेट पहनना शुरू कर देंगे। असम की संयुक्ता पराशर केवल असम की लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि भारत देश की अन्य लड़कियों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत हैं।
इनपुट द सेंटीनल डॉट कॉम और जय हिन्द डॉट कॉ डॉट इन से
कुलवंत हैप्पी, संचालक Yuvarocks Dot Com, संपादक Prabhat Abha हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र, उप संपादक JanoDuniya Dot Tv। पिछले दस साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय, प्रिंट से वेब मीडिया तक, और वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की छाया में।
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काबिलेतारीफ !!
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