हैप्पी अभिनंदन में संजय भास्कर
हैप्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर हस्ती से रूबरू होने जा रहे हैं, उस ब्लॉगर हस्ती ने बहुत कम समय में बहुत ज्यादा प्यार हासिल कर लिया है, अपने नेक इरादों और अच्छी रचनाओं के बल पर। वो अपनी बात कहने के लिए ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि अपने दिल की बात रखने के लिए वो दो चार पंक्तियाँ ही लिखते हैं, लेकिन पढ़ने का शौक इतना कि वो हर ब्लॉग पर मिल जाएंगे, जैसे सूर्य हर घर में रोशनी कर देता है, वैसे ही हमारे हरमन प्यारे ब्लॉगर संजय भास्कर जी भी हर ब्लॉग अपने विचारों का प्रकाश जरूर डालकर आते हैं। मैंने जब उनके ब्लॉग की पहली पोस्ट देखी, जो 19 जुलाई 2009 को प्रकाशित हुई, वो रोमन लिपि में थी सिर्फ एक लाईन में, लेकिन उनकी 'आदत.. मुस्कुराने की' ने उनको हिन्दी लिपि सीखने के लिए मजबूर कर ही दिया। उनकी मुस्कराने, पढ़ने और कुछ नया सीखने की आदत ने उनको एक शानदार ब्लॉगर बना ही दिया। आगे के बारे में वो क्या सोचते हैं, इसके बारे जाने के लिए पढ़िए, मेरे सवाल, उनके जवाब।
कुलवंत हैप्पी : आप ब्लॉगदुनिया में कैसे, कब और क्यों आए? यहाँ आने के बाद क्या कभी कुछ अलग सा महसूस हुआ?
संजय भास्कर : मुझे ब्लॉगिंग से जोडऩे का श्रेय मैं अपने मित्र मलखान (आमीन) को देना चाहूंगा। कुछ दोस्त बीड़ी सिगरेट शराब आदि का नशा कराते हैं, उन्होंने मुझे ब्लॉगिंग का नशा लगाया। लगभग एक साल हो ही गया है। महसूस करता हूं कि मेरे जीवन में कुछ रंग शामिल हो गए हैं, जिनकी पहले कमी महसूस होती थी।
कुलवंत हैप्पी : एक ब्लॉगर के रूप में आपकी ब्लॉगदुनिया में अच्छी पहचान बन चुकी है, लेकिन हम जानना चाहेंगे असल दुनिया में आप अभी क्या पहचान बनाए हुए हैं?
संजय भास्कर : ब्लॉगिंग की दुनिया भी तो असल दुनिया का ही हिस्सा है। हर जगह अलग पहचान होती है। मेरे दोस्तों की नजर में मैं क्या हूं, यह तो वही बता सकते हैं। चाहता हूं कि जीवन में किसी के दिल को चोट न पहुंचाऊं। मैं मुस्कुराता रहना चाहता हूं और दूसरों को भी मुस्कुराहट देना चाहता हूं। वैसे आजीविका के लिए टाटा इंडीकॉम के फतेहाबाद (हरियाणा) स्थित ऑफिस में कार्यरत हूँ, पिछले करीबन दो साल से, और साथ साथ पत्रकारिता की पढ़ाई भी चल रही है।
कुलवंत हैप्पी : जैसे कि आपने बताया कि आप टाटा इंडीकॉम में लोगों की दिक्कतों का समाधान करते हैं, क्या कभी लोगों की शिकायतें सुनते सुनते आप अपने ब्लॉग के शीर्षक (आदत..मुस्कराने की) का उल्लंघन करते हैं?
संजय भास्कर : गुस्सा मानवीय व्यवहार का एक हिस्सा है। कोई इसे ज्यादा इस्तेमाल करता है तो कोई कम। मेरी कोशिश रहती है कि इस शीर्षक का उल्लंघन न करूं, लेकिन अगर कोई बात न समझे तो कभी-कभार हो भी जाता है।
कुलवंत हैप्पी : सुना है कि आप पत्रकारिता की पढ़ाई भी साथ साथ कर रहे हैं, क्या पत्रकारिता की दिशा में कैरियर बनाने के लिए टाटा इंडीकॉम का अनुभव काम आएगा?
संजय भास्कर : अनुभव हर जगह काम आता है। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो, जहां अनुभव काम न आता हो। मुझे लगता है कि पत्रकारिता का क्षेत्र काफी बड़ा है। दुनिया की हर चीज इसके घेरे में है। मेरा काम लोगों से इंटरेक्शन का भी है, जो हर क्षेत्र में जरूरी है।
कुलवंत हैप्पी : आप ज्यादातर अपने भावों को चार पाँच पंक्तियों में ही व्यक्त करते हैं, इसके पीछे कोई खास वजह?
संजय भास्कर : पत्रकारिता का नियम है कि कम शब्दों में पूरी बात समझाई जाए। बस इसीलिए।
कुलवंत हैप्पी: कोई ऐसा रोचक लम्हा या सीख देती घटना, जो हमारे साथ बांटना चाहते हों?
संजय भास्कर : हर लम्हा, हर घटना कुछ सिखाते हैं, किसी लम्हे का जिक्र करूं, किसका नहीं। अभी पिछले दिनों की बात है, जब ऑफिस में पुलिस वाले आ धमके थे और मेरे पैरों के तले से जमीं निकल गई थी। जहाँ इस घटना ने कुछ समय के लिए मेरी साँसें अंदर की अंदर और बाहर की बाहर रोक दी थी, वहीं एक अच्छा अनुभव भी करवाया। हुआ यूँ कि, फतेहाबाद के जितने मोबाइल ग्राहक हैं, उनके पहचान पत्र मुझसे होकर गुजरते हैं, लेकिन एक ग्राहक का पहचान पत्र देखने में छोटी सी चूक कर दी, जिसने उसका गलत इस्तेमाल कर दिया, और पुलिस पहुंच गई हमारे दरबार। जैसे तैसे कर मामला तो सुलझा लिया, लेकिन उसके बाद एक बात पक्की कर ली, अब सगे भाई को भी कनेक्शन बिना पहचान पत्र देखे नहीं देना।
कुलवंत हैप्पी :चलते चलते युवा सोच युवा खयालात के पाठकों और ब्लॉगर साथियों के लिए कोई संदेश जरूर दें?
संजय भास्कर : हैप्पी जी एंड ऑल, बी हैप्पी।
संजय के दोस्त आमीन ने बताया कि कोई व्यक्ति संजय को बार बार फोन करके तंग किए जा रहा था। संजय ने तंग आकर पुराना नम्बर बंद कर दिया एवं नया सिम ले लिया। और फिर उस नए नम्बर से उस व्यक्ति को एसएमएस किया, "वो पुराना सिम मैंने बंद कर दिया, अब तेरा बाप भी मुझे तंग नहीं कर सकता'। कुलवंत हैप्पी : आप ब्लॉगदुनिया में कैसे, कब और क्यों आए? यहाँ आने के बाद क्या कभी कुछ अलग सा महसूस हुआ?
संजय भास्कर : मुझे ब्लॉगिंग से जोडऩे का श्रेय मैं अपने मित्र मलखान (आमीन) को देना चाहूंगा। कुछ दोस्त बीड़ी सिगरेट शराब आदि का नशा कराते हैं, उन्होंने मुझे ब्लॉगिंग का नशा लगाया। लगभग एक साल हो ही गया है। महसूस करता हूं कि मेरे जीवन में कुछ रंग शामिल हो गए हैं, जिनकी पहले कमी महसूस होती थी।
कुलवंत हैप्पी : एक ब्लॉगर के रूप में आपकी ब्लॉगदुनिया में अच्छी पहचान बन चुकी है, लेकिन हम जानना चाहेंगे असल दुनिया में आप अभी क्या पहचान बनाए हुए हैं?
संजय भास्कर : ब्लॉगिंग की दुनिया भी तो असल दुनिया का ही हिस्सा है। हर जगह अलग पहचान होती है। मेरे दोस्तों की नजर में मैं क्या हूं, यह तो वही बता सकते हैं। चाहता हूं कि जीवन में किसी के दिल को चोट न पहुंचाऊं। मैं मुस्कुराता रहना चाहता हूं और दूसरों को भी मुस्कुराहट देना चाहता हूं। वैसे आजीविका के लिए टाटा इंडीकॉम के फतेहाबाद (हरियाणा) स्थित ऑफिस में कार्यरत हूँ, पिछले करीबन दो साल से, और साथ साथ पत्रकारिता की पढ़ाई भी चल रही है।
कुलवंत हैप्पी : जैसे कि आपने बताया कि आप टाटा इंडीकॉम में लोगों की दिक्कतों का समाधान करते हैं, क्या कभी लोगों की शिकायतें सुनते सुनते आप अपने ब्लॉग के शीर्षक (आदत..मुस्कराने की) का उल्लंघन करते हैं?
संजय भास्कर : गुस्सा मानवीय व्यवहार का एक हिस्सा है। कोई इसे ज्यादा इस्तेमाल करता है तो कोई कम। मेरी कोशिश रहती है कि इस शीर्षक का उल्लंघन न करूं, लेकिन अगर कोई बात न समझे तो कभी-कभार हो भी जाता है।
कुलवंत हैप्पी : सुना है कि आप पत्रकारिता की पढ़ाई भी साथ साथ कर रहे हैं, क्या पत्रकारिता की दिशा में कैरियर बनाने के लिए टाटा इंडीकॉम का अनुभव काम आएगा?
संजय भास्कर : अनुभव हर जगह काम आता है। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो, जहां अनुभव काम न आता हो। मुझे लगता है कि पत्रकारिता का क्षेत्र काफी बड़ा है। दुनिया की हर चीज इसके घेरे में है। मेरा काम लोगों से इंटरेक्शन का भी है, जो हर क्षेत्र में जरूरी है।
कुलवंत हैप्पी : आप ज्यादातर अपने भावों को चार पाँच पंक्तियों में ही व्यक्त करते हैं, इसके पीछे कोई खास वजह?
संजय भास्कर : पत्रकारिता का नियम है कि कम शब्दों में पूरी बात समझाई जाए। बस इसीलिए।
कुलवंत हैप्पी: कोई ऐसा रोचक लम्हा या सीख देती घटना, जो हमारे साथ बांटना चाहते हों?
संजय भास्कर : हर लम्हा, हर घटना कुछ सिखाते हैं, किसी लम्हे का जिक्र करूं, किसका नहीं। अभी पिछले दिनों की बात है, जब ऑफिस में पुलिस वाले आ धमके थे और मेरे पैरों के तले से जमीं निकल गई थी। जहाँ इस घटना ने कुछ समय के लिए मेरी साँसें अंदर की अंदर और बाहर की बाहर रोक दी थी, वहीं एक अच्छा अनुभव भी करवाया। हुआ यूँ कि, फतेहाबाद के जितने मोबाइल ग्राहक हैं, उनके पहचान पत्र मुझसे होकर गुजरते हैं, लेकिन एक ग्राहक का पहचान पत्र देखने में छोटी सी चूक कर दी, जिसने उसका गलत इस्तेमाल कर दिया, और पुलिस पहुंच गई हमारे दरबार। जैसे तैसे कर मामला तो सुलझा लिया, लेकिन उसके बाद एक बात पक्की कर ली, अब सगे भाई को भी कनेक्शन बिना पहचान पत्र देखे नहीं देना।
कुलवंत हैप्पी :चलते चलते युवा सोच युवा खयालात के पाठकों और ब्लॉगर साथियों के लिए कोई संदेश जरूर दें?
संजय भास्कर : हैप्पी जी एंड ऑल, बी हैप्पी।
आभार
nice
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर से मिलकर बेहद अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर वाकई प्रतिभावान और ऊर्जावान हैं
संजय जी की जिंदादिली के तो हम भी कायल हैं ! सभी पोस्ट्स पर उनकी प्रतिक्रिया हमेशा प्रेरित और आंदोलित करती है ! वे सचमुच भास्कर हैं ! यथानाम तथागुण !
जवाब देंहटाएंवैसे तो संजय जी को पढ़ चुका हूँ पर आज थोड़ा इनके बारे में जानकार बहुत अच्छा लगा...कुलवंत जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति..आपका भी बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया मुलाकात कराई संजय जी से...ये चक्क दे फट्टे वाले संजय तो दूसरे होंगे??
जवाब देंहटाएंकुलवंत जी घणी घणी बधाई
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर जी भेंट कराई
हनुमान जयंती की शुभकामनाएं
संजय भास्कर जी का परिचय पा कर आनंद आया
जवाब देंहटाएंआपका आभार
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआप तो बहुमुखी प्रतिभा के तो धनी तो है ही साथ ही अच्छे रचनाकार भी है ।
बधाई हो।
वाह गुरुजी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया..........
कुलवत जी संजय जी से मिलवाने का शुक्रिया अब उनको कहिये वाइस चेट का इन्तज़ाम भी करें
जवाब देंहटाएंbahut acchha interview raha kulwant ji ne aapka...aur apke bare me b janNe ko mila.badhayi.
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर से मिलकर बेहद अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंकुलवत जी संजय जी से मिलवाने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर, नाम से एक ऊर्जा का अनुभव होता है,
जवाब देंहटाएंअक्सर उनकी 'टिप्पणियाँ' देखती हूँ, और देख कर खुश हो जाती हूँ, एक बल-सुलभ मोहकता होती है उनमें...मैंने तो उनको नाम भी दिया है 'टिप्पणियों का राजा'..मुझे तो उनकी 'दो' टिप्पणी देखने की आदत हो गयी है और अगर वो एक देते हैं तो अच्छा ही नहीं लगता मुझे...इसलिए उनको मेरा आदेश (इसलिए कि बहुत छोटे हैं मुझसे) है जब भी मुझे टिप्पणी दें 'दो' ही दें..उनके बारे में जानकार बहुत ख़ुशी हुई.....अपनी सरलता ऐसे ही जीवन भर बनाएं रखें, अपनी पढाई में सफलता पाएं और अपने काम में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करें...यही आशीर्वाद है उनको...
ya..all said about sanjay is just true...sayed hi koi meri poem ho jipe unke comment na ho...
जवाब देंहटाएंSanjay tumhara aur jayada naam ho yahi kamna hai...
aapka blog aur sanjay bhaskar ka intrveu dekha it was good. keep it up
जवाब देंहटाएंlimty khare
Sanjay se punah parichay achchha laga..
जवाब देंहटाएंpunah parichay se geet yaad aata hai- chalo ik baar fir se ajnabi ban jaayen hum dono...' :)
वाह कुलवंत जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया इस मंच से ब्लोग्गर मित्रों का परिचय करवाने के लिए , अनुज संजय से लगभग रोज बातचीत होती है नेट पर आज आपसे संजय को जानने का मौका भी मिल गया । भविष्य के लिए उन्हें बहुत सी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
बहुत खूब,लेखन में उभरती प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का अच्छा माध्यम है !
जवाब देंहटाएंएक अच्छी पहल ,संजय जी ब्लॉग पर नियमित उपस्तिथि दर्ज करते है और उनके कमेंट्स उत्साहवर्धक होते है ..
जवाब देंहटाएंसंजय जी को जानकार अच्छा लगा
संजय जी को और जानना बहुत अच्छा लगा .. इनकी सहज रचनाओं को अक्सर पढ़ता हूँ और आनंद लेता हूँ ....
जवाब देंहटाएंjaankar achha laga.....
जवाब देंहटाएंacha laga dekha kar
जवाब देंहटाएंshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत बढ़िया लगा ! संजय जी बहुत अच्छा लिखते हैं और उनका हर एक पोस्ट काबिले तारीफ़ है! उनसे पुनः मिलना बेहद अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंसंजय जी ब्लॉगजगत के ऐसे सितारा है ....की इनकी चमक से पूरा ब्लॉगजगत रोशन होता है .....अपनी बातों और भावनाओं को बड़ी मार्मिकता से पेश करते है .......आज इस मंच पर संजय जी को .....और करीब से जानकर बहुत अच्छा लगा .............बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंmain sanjay ji ko bahut hi achi tarah se janta hoon main tatat indicom me unhi ke sath hoon
जवाब देंहटाएंaaj unka happy abhinandan dekh kar bahut hi khushi ho rahi hai...
thank happy ji........
vah bhai kulwant happy ji ''sanjay ''ke bare me vistar se janane ka mauka mila..vaise to sanjay aur any mitr mil kar blog likhte hain ..meri tarf se aap dono ko badhayee..
जवाब देंहटाएं