कुछ क्षणिकाओं की पोटली से
1.
हम भी दिल लगाते, थोड़ा सा सम्हल
पढ़ी होती अगर, जरा सी भी रमल
-: रमल- भविष्य की घटनाएं बताने वाली विद्या
(2)
मुश्किलों में
भले ही अकेला था मैं,
खुशियों के दौर में,
ओपीडी के बाहर खड़े मरीजों से लम्बी थी
मेरे दोस्तों की फेहरिस्त।
ओपीडी-out patient department
(3)
खुदा करे वो भी शर्म में रहें और हम भी शर्म में रहें
ताउम्र वो भी भ्रम में रहें और हम भी भ्रम में रहें
बेशक दूर रहें, लेकिन मुहब्बत के पाक धर्म में रहें
पहले वो कहें, पहले वो कहें हम इस क्रम में रहें
(4)
मत पूछ हाल-ए-दिल
क्या बताऊं,
बस इतना कह देता हूँ
खेतिहर मजदूर का नंगा पाँव देख लेना
तूफान के बाद कोई गाँव देख लेना
(5)
मुहब्बत के नाम पर
जमाने ने लूटा है कई दफा
मुहब्बत में पहले सी रवानगी लाऊं कैसे
(6)
औरत को कब किसी ने नकारा है
मैंने ही नहीं, सबने औरत को
कभी माँ, कभी बहन,
कभी बुआ, कभी दादी,
कभी नानी, तो कभी देवी कह पुकारा है।
सो किओं मंदा आखिए, जितु जन्महि राजान
श्री गुरू नानक देव ने उच्चारा है।
वो रोया उम्र भर हैप्पी,
हम भी दिल लगाते, थोड़ा सा सम्हल
पढ़ी होती अगर, जरा सी भी रमल
-: रमल- भविष्य की घटनाएं बताने वाली विद्या
(2)
मुश्किलों में
भले ही अकेला था मैं,
खुशियों के दौर में,
ओपीडी के बाहर खड़े मरीजों से लम्बी थी
मेरे दोस्तों की फेहरिस्त।
ओपीडी-out patient department
(3)
खुदा करे वो भी शर्म में रहें और हम भी शर्म में रहें
ताउम्र वो भी भ्रम में रहें और हम भी भ्रम में रहें
बेशक दूर रहें, लेकिन मुहब्बत के पाक धर्म में रहें
पहले वो कहें, पहले वो कहें हम इस क्रम में रहें
(4)
मत पूछ हाल-ए-दिल
क्या बताऊं,
बस इतना कह देता हूँ
खेतिहर मजदूर का नंगा पाँव देख लेना
तूफान के बाद कोई गाँव देख लेना
(5)
मुहब्बत के नाम पर
जमाने ने लूटा है कई दफा
मुहब्बत में पहले सी रवानगी लाऊं कैसे
(6)
औरत को कब किसी ने नकारा है
मैंने ही नहीं, सबने औरत को
कभी माँ, कभी बहन,
कभी बुआ, कभी दादी,
कभी नानी, तो कभी देवी कह पुकारा है।
सो किओं मंदा आखिए, जितु जन्महि राजान
श्री गुरू नानक देव ने उच्चारा है।
वो रोया उम्र भर हैप्पी,
जिसने भी औरत को धिधकारा है।
(7)
मोहब्बत मेरी तिजारत नहीं,
प्रपोज कोई बुझारत नहीं,
दिल है मेरा जनाब दिल है
किराए की इमारत नहीं।
(8)
एक ही जगह थे हम दोनों
उसने फूल, मैंने खार देखे
एक ही जगह थे हम दोनों
मैंने गम, उसने गमखार देखे
एक ही जगह थे हम दोनों
मैंने भीड़ ही भीड़ देखी,
और उसने हँसते रुखसार देखे
गमखार - गम दूर करने वाला
(7)
मोहब्बत मेरी तिजारत नहीं,
प्रपोज कोई बुझारत नहीं,
दिल है मेरा जनाब दिल है
किराए की इमारत नहीं।
(8)
एक ही जगह थे हम दोनों
उसने फूल, मैंने खार देखे
एक ही जगह थे हम दोनों
मैंने गम, उसने गमखार देखे
एक ही जगह थे हम दोनों
मैंने भीड़ ही भीड़ देखी,
और उसने हँसते रुखसार देखे
गमखार - गम दूर करने वाला
आभार
कम शब्दों में बेहतरीन रचना प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंमत पूछ हाल-ए-दिल
जवाब देंहटाएंक्या बताऊं,
बस इतना कह देता हूँ
खेतिहर मजदूर का नंगा पाँव देख लेना
तूफान के बाद कोई गाँव देख लेना
-जबरदस्त रही यह वाली.
बाकी भी बहुत बढ़िया है..मगर इसी बात जुदा है.
बधाई.
बहुत संवेदनशीलता के साथ उजागर की हैं आपने भावनाएं...
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