मन की बातें...जो विचार बन गई
- हँसता हुआ चेहरा, खिलता हुआ फूल, उगता हुआ सूर्य व बहता हुआ पानी रोज देखने की आदत डालो। मुस्कराना आ जाएगा। -: कुलवंत हैप्पी
- ईश्वर को आज तक किसी ने परिभाषित नहीं, लेकिन जो मैंने जाना, वो ईश्वर हमारे भीतर है, और कला ही उसका असली रूप है। तुम्हारी कला ही तुम को सुख शांति यश और समृद्धि दे सकती है। जो तुम ईश्वर से पाने की इच्छा रखते हो। -: कुलवंत हैप्पी
- बॉस की झूठी जी-हजूरी से अच्छा है, किसी गरीब को सच्चे दिल से थैंक्स कहना। क्योंकि यहाँ प्रकट किया धन्यवाद तुम्हें आत्मिक शांति देगा। -: कुलवंत हैप्पी
- अगर इंवेस्टमेंट करना ही है, तो क्यों न प्रेम किया जाए, ताकि जब रिटर्न हो, तो हमें कागज के चंद टुकड़ों से कुछ बेहतर मिले। :-कुलवंत हैप्पी
- हे ईश्वर, जो भी तुमने मुझे दिया, वो मेरे लिए अत्यंत दुर्लभ है। मैं उसके लिए तेरा सदैव शुक्रिया अदा करता हूँ।:-कुलवंत हैप्पी
आभार
bahut hi ache vichar hai bhai
जवाब देंहटाएंअच्चे विचार हैं
जवाब देंहटाएंशहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
वाह !!.......बहुत अच्छे और जीवन की सच्चाईयों से परचित कराते आपके ये विचार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार्।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ठीक, ऐसा है कि अभी हमने दुशमन के घर में जाकर मारना नहीं सीखा है बल्कि हम तो भागते हुए दुश्मन
जवाब देंहटाएंपर भी गोली नहीं चलाते और उल्टे यदि कोई दुश्मन हमारे घर पर आ जाए तो उसे हम संपूर्ण आदर सम्मान देते
हैं।याद है ना रामायण का किस्सा जब श्रीराम जी की सेना सिन्धु तट पर जा पहुँचती है तो श्रीराम जिन्हें हम मर्यादा
पुरुषोत्तम कहते हैं, के अनुज लक्ष्मण भी रावण के उस दूत को माफ कर देते हैं जो उनकी जासूसी करने के लिए वहाँ पहुँचता है।यही तो भारतीय दर्शन है कि हम खुद के पास शक्ति होते हुए भी नुक्सान पहुँचाने वाले शत्रु को छोड़ देते हैं, यद्यपि हमें यह पता है कि वो शत्रु हमारा ही संहार करने को आतुर है।हाँ एक बात और जिस दिन हमने शत्रु से उसी की भाषा में बात करना शुरू कर दिया उसी दिन हमारे शत्रु खत्म हो जाएँगे, अभी तो हमारे राजनीतिज्ञों के सब्र का प्याला फूटा नहीं है।
bahut khoob happy ji !!
जवाब देंहटाएंasha karta hu ki aap hamesha happy happy rahe aur bade bhai ki tarah hume kuch na kuch seekh dete rahe hai !!!
सुन्दर विचार हैं ! ऐसे ही बनते हैं विचार ।
जवाब देंहटाएंआभार ।
सुविचार
जवाब देंहटाएंऐसे ही बनाइए विचार
रोजाना दो-चार
bahut achha likha hai..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे विचार !!
जवाब देंहटाएंsad vichar ji
जवाब देंहटाएंसब किताबी बातें लगती हैं.. जब हकीकत की ज़मीं पर आते हैं तो ये ग़ज़ल याद आती है कि-
जवाब देंहटाएं'घर से निकले थे हौसला करके.. लौट आये खुदा खुदा कर के..'
यदि बॉस की तारीफ नहीं करोगे तो वह तुम्हें कहीं का नहीं रखेगा फिर किसी गरीब को तो क्या अमीर को भी धन्यवाद नहीं दे पाओंगे। हा हाह हा हा।
जवाब देंहटाएंcongrats bahut badiya acha lesson milta hai padke........
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