धन्यवाद के बाद थप्पड़ रसीद
मोटर साईकल पर सवार होकर मैं और मेरा मित्र जनकसिंह झाला रेलवे स्टेशन की तरफ जा रहे थे। सड़क पर मोटर कारों के अलावा काफी साईकिल भी चल रहे थे। उन साइकिलों को देखते ही एक किस्सा याद आ गया मेरे मित्र को, जैसे किसी बच्चे को खेलते देखकर हमारी आँखों के सामने हमारा बचपन जीवंत हो जाता है। उसने चलते चलते मुझे बताया कि जब वो नया नया साईकिल चलाना सीखा था, तो एक दिन अचानक उसका साईकिल एक बूढ़ी महिला से टकरा गया, वो महिला धड़म्म से जमीं पर गिरी। वो भागने की बजाय उस महिला को खड़ी कर उसके घर तक छोड़ने गया, जिसका घर में पास ही था। घर पहुंचे तो माँ के साथ हुए हादसे की बात सुनकर उस बूढ़ी महिला के बेटे ने सबसे पहले मेरे मित्र को धन्यवाद किया, क्योंकि वो उसकी माता को उसके घर तक छोड़ने आया था। और तुरंत ही पूछा,"माँ जिसने तुम्हारे बीच साईकिल मारा, वो कौन था?"। माँ ने कहा, "इसका ही साइकिल था, जो मुझे घर तक छोड़ने आया है"। उस नौजवान लड़के ने जितने प्यार के साथ धन्यवाद कहा था, उतनी ही बेरहमी से घर छोड़ने गए मेरे मित्र की गाल पर थप्पड़ रसीद कर दिया। वास्तव में हमारी अहिंसा, हमारी धार्मिकता और हमारी कृतज्ञता बस इतनी है। इससे ज्यादा कुछ नहीं। हम जो बाहरी रूप से हैं, वो भीतर से नहीं। हम रोज स्नान करते हैं, बाहर बाहर से। अगर वो भीतर से धन्यवाद प्रकट कर रहा होता तो, वो बाद में थप्पड़ रसीद न करता, उसको याद ही न रहा कि वो दो मिनट पहले तो धन्यवाद कहकर हटा है, और अभी थप्पड़ रसीद कर रहा है।
आभार
bahut hi galt hua
जवाब देंहटाएंओह!..पर अक्सर ऐसा होता है...और बेचारे मित्र को इतने बचपन में ही जमाने की सच्चाई पता चल गयी...
जवाब देंहटाएंअजीब है ये दुनिया ....
जवाब देंहटाएंyahi is duniya ka dastoor hai.
जवाब देंहटाएंवह शायद भूल गया था की गलती करने पर पश्चाताप अगर कर लेते हैं तो मन हल्का हो जाता है,कुछ अहसान फरामोश है इस दुनिया में .
जवाब देंहटाएंकुछ लोग अच्छे बुरे सभी का हिसाब कर देते हैं। अच्छा काम किया था तो धन्यवाद दे दिया और बुरा किया तो थप्पड़ मार दिया। लेकिन इससे समाज विकृत होता है। लोग फिर डरके मारे ऐसे लोगों को सड़क पर ही छोड़कर भाग जाते हैं।
जवाब देंहटाएंये तो अजब बात है...
जवाब देंहटाएंDunia ek tamasha hai
जवाब देंहटाएंकितना बदल गया इंसान...
जवाब देंहटाएंhalanki sabhi log aise nahi hote kuchh logo me insaniyat abhi bhi baaki hai.mujhe to aasharya ho raha hai ki jis bykti ne usaki maa ki jaan bachai use dhanyavaad ke baad thappd dene me use jara bhi sharam nahi aaii.
जवाब देंहटाएंpoonam
ye kuntha ka sarvochch udaaharan hai
जवाब देंहटाएंएक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग -- नव संवत्सर की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं