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सदन में जो हुआ, उसे रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल तक सीमित न करें

सांसद रमेश बिधूड़ी के बोल बिगड़े कहकर मामले में इतना सतही मत कीजिये। सांसद रमेश बिधूड़ी ने सांसद दानिश अली को संबोधित करते हुए सदन के भीतर जो कुछ भी कहा, सबसे पहले तो उसको संसदीय रिकॉर्ड से हटाया नहीं जाना चाहिए। साथ ही, उसे जस का तस स्वीकार किया जाना चाहिए। तैश हो या नशा दोनों एक समान है। दोनों ही व्यक्ति के असली चरित्र को बाहर लाते हैं। वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि रमेश बिधूड़ी दोनों ही अवस्थाओं में हैं – एक तैश और दूसरा सत्ता का नशा।  मैं तो कहूंगा कि सांसद रमेश बिधूड़ी का स्वागत करना चाहिए। सांसद रमेश बिधूड़ी को जस का तस स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि हम तो रोजमर्रा की जिंदगी कहते हैं कि, मैं जैसा व्यक्ति हूं वैसा ही मुझे स्वीकार करो। मुझे फेक लोगों से नफरत है। अब जब सदन में रमेश बिधूड़ी ने फेक लिबास उतार फेंका तो आपको बुरा लग रहा है। सांसद रमेश बिधूड़ी से मुंह फेरना सत्य की ओर पीठ करने के समान होगा क्योंकि आप सत्य से मुंह फेर रहे हैं, जो रमेश बिधूड़ी ने बोला वो सत्य है या नहीं जांच का विषय है, पर, जो रमेश बिधूड़ी नजर आ रहे हैं, वो सोलह आने खरा सत्य है, उसको झूठलाया नहीं जा सकता