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हैप्‍पी अभिनंदन में रविश कुमार

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हैप्‍पी अभिनंदन   में इस बार आपको एनडीटीवी के रिपोर्टर से एंकर तक हर किरदार में ढल जाने वाले गम्‍भीर व मजाकिया मिजाज के  रवीश कुमार  से मिलवाने की कोशिश कर रहा हूं, इस बार हैप्‍पी अभिनंदन में सवाल जवाब नहीं होंगे, केवल विशलेषण आधारित है, क्‍योंकि एक साल से ऊपर का समय हो चला है, अभी तक रवीश कुमार, जो नई सड़क पर कस्‍बा बनाकर बैठें हैं, की ओर से मेरे सवालों का जवाब नहीं आया, शायद वहां व्‍यस्‍तता होगी। हो सकता है कि उनके कस्‍बे तक मेरे सवाल न पहुंच पाए हों, या फिर उनके द्वारा भेजा जवाबी पत्र मुझ तक न आ पाया हो। फिर मन ने कहा, क्‍या हुआ अगर जवाबी पत्र नहीं मिला, क्‍यूं न रवीश कुमार से पाठकों व ब्‍लॉगर साथियों की मुलाकात एक विशलेषण द्वारा करवाई जाए। रविश कुमार, ब्‍लॉग सेलीब्रिटी नहीं बल्‍कि एक सेलीब्रिटी ब्‍लॉगर हैं, जिनके ब्‍लॉग पर लोग आते हैं, क्‍यूंकि सेलीब्रिटियों से संबंध बनाने का अपना ही मजा है। मगर रवीश कुमार ने साबित किया है कि वह केवल सेलीब्रिटी ब्‍लॉगर नहीं हैं, बल्‍कि एक सार्थक ब्‍लॉगिंग भी करते हैं। मैं पहली बार उनके ब्‍लॉग पर एक साथी के कहने पर पहुंचा था, जो उम्र में

हैप्‍पी अभिनंदन में स्‍पंदन वाली शिखा जी

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नमस्‍कार दोस्‍तो, मैं कुलवंत हैप्‍पी , एक लम्‍बे समय बाद आपके समक्ष हमारे बीच में से ही एक शख्‍िसयत को हैप्‍पी अभिनंदन के जरिए आपसे मिलवाने लाया हूं, वैसे तो यकीनन आप उनकी रचनाओं एवं उनके ब्‍लॉगों के मार्फत उनसे कई बार मिल चुके होंगे, लेकिन हैप्‍पी अभिनंदन में आज उनसे मिलकर देखिए, और बताइए कि इस बार मिलने में और पहले मिलने में क्‍या अंतर लगा, जो शख्‍िसयत आज हैप्‍पी अभिनंदन में मेरे सवालों के जवाब में अपने विचार रखने जा रही है, वह कोई और नहीं बल्‍कि ब्‍लॉग स्पंदन/अंतर मन में उठती हुई भावनाओं की तरंगें पर लिखने वाली शिखा वार्ष्‍णेय जी हैं, जो रहती लंडन में हैं, लेकिन लिखती हिन्‍दी में हैं, और उनकी स्‍मृतियों में बसता है रूस, जहां से उन्‍होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की एवं चैनल में न्‍यूज प्रड़यूसर रह चुकी हैं शिखा जी अब स्‍पंदन पर लिखकर अपने अंदर की पत्रकार आत्मा तृप्त कर रही हैं। हैप्‍पी के सवाल, शिखा के जवाब शिखाजी, आपने पत्रकारिता की पढ़ाई की, लेकिन परिवारिक जिम्‍मेदारियों को पहल देते हुए आपने उससे नाता तोड़ लिया, लेकिन फिर अचानक आपको ब्‍लॉग जगत मिल गया, यहां पर आकर आप क

हैप्पी अभिनंदन में दीपक "मशाल"

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हैप्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर हस्ती से मिलने जा रहे हैं, वो शख्सियत अपनी माटी से शारीरिक तौर पर तो दूर है, लेकिन रूह से जुड़ी हुई है। यही जुड़ाव तो है, जो कोंच छोड़ने और बेलफास्ट, उत्तरी आयरलैंड पहुंचने के बाद भी हिन्दी ब्लॉग जगत के दीपक "दीपक मशाल' को अपने देश एवं अपनी बोली से जोड़े हुए है। इस दीपक के प्रकाश से हम सब हर रोज मसि कागद पर रूबरू होते हैं। आओ जानते हैं कि दीपक से मशाल का रूप ले रहे युवा कवि एवं ब्लॉगर दीपक मशाल से वो क्या कहते हैं, खुद के एवं ब्लॉग जगत के बारे में।

हैप्पी अभिनंदन में इंदुपुरी गोस्वामी

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हैप्पी अभिनंदन में आज, आप जिस ब्लॉगर शख्सियत से रूबरू होने जा रहे हैं, वो पेशे से टीचर, लेकिन शौक से समाज सेविका एवं ब्लॉगर हैं। वो चितौड़गढ़ की रहने वाली हैं, ब्लॉगिंग जगत में आए उनको भले ही थोड़े दिन हुए हैं, लेकिन सार्थक ब्लॉगिंग के चलते बहुत जल्द एक अच्छा नाम बन गई हैं। जी हाँ, आज आप हैप्पी अभिनंदन में कान्हा की दीवानी यानी आज की मीरा एवं मेरी निगाह में दूसरी मदर टरेसा इंदुपुरी गोस्वामी से मिलने जा रहे हैं। आओ जाने, वो क्या कहती हैं ब्लॉग जगत एवं अपने बारे में :- कुलवंत हैप्पी : ब्लॉगिंग के अलावा आप असल जिन्दगी में क्या करती हैं, और कुछ अपने बारे में बताएं? इंदुपुरी गोस्वामी : सरकारी स्कूल में टीचर हूँ। हिंदी और इंग्लिश लिटरेचर में एम.ए. हूँ। बचपन से लिखने का शौक था और पढ़ने का तो इतना कि बहुत जल्दी उसमें डूबना सीख गई थी। दसवी ग्यारहवी कक्षा तक आते आते मैंने साहित्य की प्रसिद्ध रचनाओं के अलावा रूसी, अंग्रेजी, उर्दू, और संस्कृत साहित्य के अलावा खलील जिब्रान को खूब पढ़ चुकी थी। कुलवंत हैप्पी : ब्लॉग जगत में आपने कदम कब और कैसे रखा? इंदुपुरी गोस्वामी : ब्लॉग की दुनिया में आए बहु

हैप्पी अभिनंदन में शिवम मिश्रा

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ब्लॉग ने पूरे हिन्दुस्तान को एक मंच पर ला खड़ा किया है, ब्लॉगिंग के बहाने हमको देश के कोने कोने का हाल जानने को मिल जाता है। देश का कितना बड़ा भी न्यूज पेपर हो, लेकिन आज वो ब्लॉग जगत के मुकाबले बहुत छोटा है। अखबार गली कूचों में बांट कर रह गया है, कारोबार ने उसकी सीमाएं बहुत छोटी कर दी। अखबार का दायरा जितना छोटा हुआ है, ब्लॉग जगत का दायरा उतना ही बड़ा हुआ है। जम्मू कश्मीर से मदरास तक और असम से गुजरात तक ही नहीं बल्कि हिन्दी ब्लॉगिंग का नेटवर्क तो सरहद पार विदेशों तक फैला हुआ है। इस नेटवर्क को एक एक ब्लॉगर ने बनाया है, ब्लॉग नेटवर्क एक माला की तरह है, जो एक एक मोती से बनती है। इस ब्लॉग रूपी माला में बहुत से मोती हैं, उन्हीं मोतियों में से एक मोती शिवम मिश्रा के साथ आज हैप्पी अभिनंदन में आप सबको रूबरू करवाने जा रहा हूँ, जो उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले से बुरा भला एवं जागो सोने वालों ब्लॉग को संचालित करते हैं। आओ आगे पढ़ें, कुलवंत हैप्पी   के सवाल और शिवम मिश्रा के जवाब। कुलवंत हैप्पी : सबसे पहले जानना चाहेंगे कि आपकी जन्मस्थली कौन सी है और आपका जन्म कब हुआ? शिवम मिश्रा : मेरा जन्म 15

हैप्पी अभिनंदन में यशवंत महेता "फकीरा"

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क्षमा चाहता हूँ, पिछले मंगलवार को मैं आपके सामने किसी भी ब्लॉगर हस्ती को पेश नहीं कर पाया। समय नहीं था कहना तो केवल बहाना होगा, इसलिए खेद ही प्रकट करता हूँ। हैप्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर हस्ती से मिलने जा रहे हैं, उनको अनुभवी जनों और बुद्धिजीवियो का साथ, चाय पीना, खेतों की हरियाली, बच्चन की मधुशाला को बार-बार पढना, बच्चों से बातें करना और बच्चों के संग बच्चा बन जाना बेहद अच्छा लगता है। इंदौर से दिल्ली तक का सफर तय करने वाली इस ब्लॉगर हस्ती को हम सब युग क्रांति ब्लॉग पर यशवंत महेता 'फकीरा' के नाम से पढ़ते हैं। जी हाँ, इस बार हमारे साथ यशवंत महेता फकीरा हैं, जिनके विचारों के धागों से बुनी हुई कविताएं रूपी चादरें फकीरा का कोना ब्लॉग पर भी सजी हुई हैं। आओ जानते हैं ब्लॉग जगत और खुद के बारे में यशवंत महेता "फकीरा" क्या कहते हैं? कुलवंत हैप्पी : आप यशवंत महेता से फकीरा कैसे बने? फकीरा : यह तो बहुत ही खतरनाक सवाल है। बस एक दिन किसी से प्यार हो गया था। उसके दर पर गए जब तो उसने फकीरा बोल दिया और उस दिन से यशवंत महेता फकीरा बन गया। कुलवंत हैप्पी : आपकी जन्मस्थली

हैप्पी अभिनंदन में सुनील कटारिया

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सुनील कटारिया हैप्पी अभिनंदन में इस बार आप जिस ब्लॉग हस्ती से रूबरू होने जा रहे हैं, उसने 'कौन कहता है आकाश में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो' को सच कर दिखाया है असल जिन्दगी में, लेकिन ब्लॉग जगत में तो आए हुए इन्हें बड़ी मुश्किल से ढाई माह हुए हैं। ब्लॉग ख्यालात की कलम से पर लिखने वाले युवा ब्लॉगर सुनील कटारिया यहाँ एक तरफ पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समाचार पत्रों के लिए गैर-वेतन लेखन कार्य करने के साथ - साथ  दूरदर्शन के पंजाब से चलने वाले रीजनल टीवी चैनल जालंधर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले इवनिंग लाइव शो "पंज बजे लाईव" को होस्ट कर रहे हैं |  उन्होंने अब तक जो हासिल किया, वो खुद के बल पर हासिल किया है, तो ऐसे में लाज़मी है कि सफर रोमांचक रहा होगा, आईये जानते हैं वो क्या कहते हैं अपने निजी जीवन और ब्लॉग जगत के बारे में। कुलवंत हैप्पी : आपको ब्लॉग जगत में आए कितना समय हो गया और इस प्लेटफार्म पर आकर कैसा लगा? सुनील कटारिया : मुझे करीब ढाई महीने ही हुए हैं इस नए मंच पर आए हुए और इस प्ले

हैप्पी अभिनंदन में संगीता पुरी

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श्रीमति संगीता पुरी जी हैप्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर शख्सियत से रूबरू होने जा रहे हैं, वो जहाँ एक तरफ हमें गत्यात्मक ज्योतिष ब्लॉग के जरिए भविष्य व वर्तमान की स्थिति से अवगत करवाती हैं, वहीं दूसरी ओर 'हमारा खत्री समाज' ब्लॉग के जरिए हमें इतिहास के साथ भी जोड़े रखती हैं।

हैप्पी अभिनंदन में विनोद कुमार पाण्डेय

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विनोद कुमार पाण्डेय जी इस बार हैप्पी अभिनंदन में बनारस की गलियाँ छोड़, नोयडा के 62 सेक्टर में जिन्दगी के हसीं पलों का आनंद लेने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर विनोद कुमार पाण्डेय जी पधारे हैं, जो अक्सर मिलते हैं 'मुस्कराते पल-कुछ सच कुछ सपने' ब्लॉग विला पर। वो किसी पहचान के मोहताज तो नहीं, लेकिन कलम के इस धुरंधर के बारे में कुछ शब्द लिखे बिन कलम मेरी रुकने को तैयार नहीं। जैसे भूमि कितनी उपजाऊ है, इस बात का अंदाजा तो उसकी फसल से ही लगाया जा सकता है। वैसे ही इतनी की सोच कितनी युवा है, वे तो उनकी लेखनी से हम सबको पता ही चल चुकी है। अब कुछ और बातें, जो ब्लॉग जगत से जुड़ी हैं, जो उनके जीवन से जुड़ी हैं, उन पर वो क्या सोचते हैं? चलो जानते हैं उनकी जुबानी। कुलवंत हैप्पी : आपकी रचनाएं समाज की बुराईयों पर कटाक्ष करती हैं, जो आपके भीतर छुपे हुए एक क्रांतिकारी से रूबरू करवाती हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्रांतिकारी आखिर किससे प्रेरित है? विनोद पांडेय: कुलवंत जी, मैं ना तो कोई बहुत पॉपुलर ब्लॉगर ठहरा और ना ही बहुत बड़ा समाज सुधारक। फिर भी आपने हैप्पी अभिनंदन के लिए मेरा चयन किया, आपका बहुत बह

हैप्पी अभिनंदन में संजय भास्कर

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है प्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर हस्ती से रूबरू होने जा रहे हैं, उस ब्लॉगर हस्ती ने बहुत कम समय में बहुत ज्यादा प्यार हासिल कर लिया है, अपने नेक इरादों और अच्छी रचनाओं के बल पर। वो अपनी बात कहने के लिए ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि अपने दिल की बात रखने के लिए वो दो चार पंक्तियाँ ही लिखते हैं, लेकिन पढ़ने का शौक इतना कि वो हर ब्लॉग पर मिल जाएंगे, जैसे सूर्य हर घर में रोशनी कर देता है, वैसे ही हमारे हरमन प्यारे ब्लॉगर संजय भास्कर जी भी हर ब्लॉग अपने विचारों का प्रकाश जरूर डालकर आते हैं। मैंने जब उनके ब्लॉग की पहली पोस्ट देखी, जो 19 जुलाई 2009 को प्रकाशित हुई, वो रोमन लिपि में थी सिर्फ एक लाईन में, लेकिन उनकी 'आदत.. मुस्कुराने की' ने उनको हिन्दी लिपि सीखने के लिए मजबूर कर ही दिया। उनकी मुस्कराने, पढ़ने और कुछ नया सीखने की आदत ने उनको एक शानदार ब्लॉगर बना ही दिया। आगे के बारे में वो क्या सोचते हैं, इसके बारे जाने के लिए पढ़िए, मेरे सवाल, उनके जवाब। कुलवंत हैप्पी : आप ब्लॉगदुनिया में कैसे, कब और क्यों आए? यहाँ आने के बाद क्या कभी कुछ अलग सा महसूस हुआ? संजय भास्कर

हैप्पी अभिनंदन में गिरीश बिल्लोरे

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हैप्पी अभिनंदन में आज जिस ब्लॉगर हस्ती से आपकी मुलाकात होने जा रही है, वो लेखन ब्लॉगिंग से पॉडकास्टिंग ब्लॉगिंग तक पहुंच बना चुके हैं। वो जबलपुर में बैठकर भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठे ब्लॉगर साथी के पास कुछ ही मिनटों में पहुंचकर, अपनी मधुर मीठी आवाज से उनके कानों में बातों का शहद खोलते, कुछ सवालों के मार्फत उनके भीतर के विचारों को जन जन तक पहुंचा देते हैं। अब उनके बारे में कुछ और कहने की जरूरत तो रह ही न गई, आप समझ ही गए होंगे मैं उनकी बात कर रहा हूँ, जो ब्लॉगर जगत के साँचे में बिल्कुल फिट बैठ गए, लेकिन गीत लिखने के शौकीन फिर भी कहते हैं गिरीश बिल्लोरे मिसफिट । कुलवंत हैप्पी : आपने ब्लॉगवुड में आगमन कब और कैसे किया? गिरीश बिल्लोरे : उस बच्चे के लिए नेट से जुड़ा जिसे आप सब आभास जोशी के नाम से जानतें हैं, बस मुझे नेट पर मिली श्रद्धा जैन जी और फिर पूर्णिमा वर्मा जी फिर छपाक से एक दिन मिले एक उड़न तश्तरी आई तीनों ने बना दिया ब्लॉगर। कुलवंत हैप्पी : आपका लेखन ब्लॉगिंग से पॉडकास्टिंग ब्लॉगिंग की ओर जाना कैसे हुआ? गिरीश बिल्लोरे : किसी कवि नें कहा ''मैं वो परवाना नहीं जो

हैप्पी अभिनंदन में वृंदा गांधी

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है प्पी अभिनंदन में आज मैं आपको जिस ब्लॉगर हस्ती से रूबरू करवाने जा रहा हूँ, उसको ब्लॉग जगत में आए भले ही थोड़ा समय हुआ हो, लेकिन वो हस्ती जिस सोच और जिस ऊर्जा के साथ ब्लॉगिंग की दुनिया में आई है, उसको देखने के बाद नहीं लगता कि वो लम्बी रेस का घोड़ा नहीं। उसके भीतर कुछ अलग कुछ अहलदा करने की ललक है, वो आससान को छूना चाहती है, लेकिन अपने बल पर, शॉर्टकट उसको बिल्कुल पसंद नहीं। वो जहाँ एक तरफ पटियाला यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ब्लॉगिंग की दुनिया में अपने लेखन का लोहा मनवाने के लिए उतर चुकी है। पत्रकारिता और ब्लॉगिंग से रूबरू हो चुकी वृंदा गांधी आखिर सोचती क्या हैं ब्लॉग जगत और बाहरी जगत के बारे में आओ जानते हैं उन्हीं की जुबानी :- कुलवंत हैप्पी : आप ब्लॉग जगत में कैसे आए, और आपको यहाँ आकर कैसा लग रहा है? वृंदा गांधी : कुछ समय पहले तक ब्लॉग मेरे लिए एक स्वप्न था क्योंकि इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। मेरा यह स्वप्न हकीकत में तब्दील हुआ, जब में अपनी ट्रेनिंग जनसत्ता समाचार-पत्र में करने गई। वहाँ सबके ब्लॉग देख एक इच्छा जागृत हुई और अरविन्द शेष जो वहाँ

हैप्पी अभिनंदन में हरिप्रसाद शर्मा

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जैसे आप जानते ही हैं कि हैप्पी अभिनंदन में हर बार हम किसी न किसी ब्लॉगर हस्ती से रूबरू होते हैं हम सब और जानते हैं उनके दिल की बातें। जो ब्लॉग हस्ती इस बार हमारे बीच मौजूद है, वो पेशे से सरकारी अधिकारी हैं, लेकिन शौक से साहित्य अनुरागी, क्रिकेट कमेंटेटर भी हैं। काव्य अनुरागी से बैंक अधिकारी और उसके बाद ब्लॉगर श्री हरि शर्मा से जानते हैं उनके दिल की बातें उनकी जुबानी। कुलवंत हैप्पी : आप ब्लॉगजगत मैं कैसे आए, और आने से पहले क्या सोचा था? हरि शर्मा : भाई कुलवन्त ब्लॉग से मेरा नाता ३ साल का है और ये तब शुरू हुआ जब मै मैनपुरी जिले में था। सोचा यही था कि ये उस आदमी के लिए जो थोड़े अपने विचारों को पठनीय बनाना चाहता है वो ऐसा कर सकता है ब्लॉग के मार्फत। मैंने सबसे पहले अनीता कुमार जी का ब्लॉग पढ़ा, फिर कोशिश करता रहा। और हिन्दी टाइप करना मुश्किल था, जी और पीछे बहुत जाना पड़ेगा। कुलवंत हैप्पी : हरि जी पहले से ही कवि थे या बैंक अधिकारी के बाद कवि बने? हरि शर्मा : मेरा पहला सार्वजनिक परिचय क्रिकेट कमेन्ट्रेटर के रूप में था मेरे अपने इलाके में, और इस रूप को मेरे चाहने वाले बहुत पसन्द करते थे,

हैप्पी अभिनंदन में महफूज अली

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हैप्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर हस्ती से मिलने जा रहे हैं, उनकी सोच युवा है, लेकिन दिल में आज भी कोई बच्चा बसता है। उनका मिलनसार स्वाभाव, सफलता की शिखर को छूने के बाद भी जमीं से लगाव उनकी शख्सियत को चार चाँद लगाता है। नवाबों की नगरी लखनऊ के पॉश इलाके में जन्में, एक हाई स्टैंडर्ड स्कूल में पढ़े और एक बिजनसमैन के साथ साथ एक शानदार कवि के रूप में अपनी पहचान बनाई, हाँ सही पहचाना वो हैं अपने महफूज अली भाई । अपने बारे में वो और क्या क्या कहते हैं, उनकी कहानी उनकी जुबानी सुनते हैं। कुलवंत हैप्पी : अभिनेता सलमान खान से सब पूछते हैं, लेकिन महफूज अली से हम पूछना चाहेंगे शादी कब करोगे? महफूज अली : शादी इस साल हो जाने की उम्मीद है। भाई कुलवंत हैप्पी : आपकी नजर में भगवान की क्या परिभाषा है? महफूज अली : भगवान वो ताकत है जो सर्वशक्तिमान है....हर जगह है.... और भगवान ही इस दुनिया को चला रहे हैं... इस सम्पूर्ण ब्रम्हांड पर उन्हीं का शासन है...हर क्रिया -प्रक्रिया बिना भगवान् इजाज़त के नहीं होती। कुलवंत हैप्पी : आप इंग्लिश में भी कविताएं लिखते हैं और हिन्दी में भी, लेकिन असली मजा किसी भाषा म

हैप्पी अभिनंदन में ललित शर्मा

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हैप्पी अभिनंदन में आज आपको जिस ब्लॉगर हस्ती से रूबरू करवाने जा रहा हूँ, वैसे तो आप उन्हें अच्छी तरह वाकिफ होंगे, लेकिन किसी शख्स के बारे में जितना जाना जाए, उतना कम ही पड़ता है। वो हर रोज किसी न किसी ब्लॉगर का चर्चा मंच , चर्चा हिन्दी चिट्ठों की !!! जैसे अन्य ब्लॉगों के जरिए प्रचार प्रसार करते हैं। कई क्षेत्रीय भाषाओं का ज्ञान भी रखते हैं, ताऊ और फौजी उनको बेहद प्यारे हैं, सच में उनकी मुछें जहाँ ताऊ की याद दिलाती हैं, वहीं उनके ब्लॉगों पर लगे स्वयं के फौजी वाले कार्टून उनके देश भक्ति के जज्बे को उजागर करते हैं, वैसे हरियाणा के घर घर में एक फौजी पैदा होता है, ऐसी बात भी प्रचलन में है। अगर देखा जाए तो अभनपुर छत्तीसगढ़ की शान ब्लॉगर ललित शर्मा जी भी फौजी से कम नहीं, वो बात अलहदा है कि उनकी हाथ में बंदूक की जगह कलम है, वैसे एक महान एवं महरूम पत्रकार प्रभाष जोशी ने कहा है कि जब तोप न चले तो अखबार निकालो, मतलब कलम उठाओ, क्रांति लाओ। आओ चर्चा पान की दुकान पर करने वाले एक कलम के फौजी से जानते हैं उनके दिल की बातें। कुलवंत हैप्पी : पंजाबी बापू के खुंडे 'लठ' की तरह हरियाणा का ताऊ ब

हैप्पी अभिनंदन में कार्टूनिस्ट कीर्तिश भट्ट

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हैप्पी अभिनंदन में आज ब्लॉगवुड की जिस हस्ती से आप रूबरू होने जा रहे हैं, वो कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कहने में यकीन रखते हैं। कहूँ तो गागर में सागर भरने की कोशिश करते हैं और सफल भी होते हैं, सच में कोई अतिशोक्ति नहीं। हररोज आप उनके इस हुनर और कला से रूबरू होते हैं। जी हाँ, मैं आज आपकी मुलाकात बामुलाहिजा के संचालक और शानदार कार्टूनिस्ट कीर्तिश भट्ट से करवाने जा रहा हूँ। वो क्या सोचते हैं ब्लॉगवुड के बारे में और कैसे पहुंचे जहाँ तक उनकी कहानी उनकी जुबानी खुद ही पढ़िएगा। कुलवंत हैप्पी : आपने अपने ब्लॉग पर भारतीय कार्टून और भारतीय कार्टूनिस्ट से सम्बद्ध लेख का लिंक तो दिया है, लेकिन खुद के बारे में कुछ नहीं लिखा, विशेष कारण? कीर्तिश भट्ट : ज हाँ तक 'भारतीय कार्टून और भारतीय कार्टूनिस्ट से सम्बद्ध लेख का ' सवाल है तो वो लिंक मैंने इसलिए लगाया है क्योंकि हिंदी विकिपीडिया पर इस विषय से सम्बद्ध लेख मैं लिख रहा हूँ, लिंक पर दिए गए लेख मेरे लिखे हुए हैं. कई पूर्ण है कई आधे अधूरे हैं जिन्हें जानकारी के आभाव मैं पूरा नहीं कर पाया हूँ. लिंक देने कई कारण है जैसे कि अन्य कार्टूनिस्ट भी अ