हैप्पी अभिनंदन में संगीता पुरी
श्रीमति संगीता पुरी जी |
वो हिन्दुस्तान की स्टील सिटी के नाम से जाने वाले शहर बोकारो से तालुक रखती हैं। जी हाँ, इस बार हमारे साथ अर्थ शास्त्र में पोस्ट ग्रेज्युएट, इतिहास में गहन रुचि रखने वाली व ज्योतिष विद्या की विशेषज्ञ श्रीमति संगीता पुरी जी हैं। आओ जानते हैं, वो ब्लॉग जगत को लेकर क्या सोचती हैं के साथ साथ कुछ और बातें भी, जो सवाल जवाब के दौरान उन्होंने कही।
कुलवंत हैप्पी : आप ने अपने ब्लॉग का नाम 'गत्यात्मक ज्योतिष' रखा हुआ है, क्या ज्योतिष और गत्यात्मक ज्योतिष में कोई अंतर है?
संगीता पुरी : सभी पाठक एक परंपरागत ज्ञान के रूप में ‘ज्योतिष’ से अवश्य परिचित होंगे, जो आसमान के ग्रहों की स्थिति का मानव जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। हजारों वर्ष पूर्व के ज्योतिषीय सिद्धांतों और समय समय पर आए ‘नाना मुनि के नाना मतों’ के कारण ज्योतिष को सदा से अंधविश्वास का दर्जा ही प्राप्त है। उन सिद्धांतों के आधार पर चाहते हुए भी ज्योतिष को विज्ञान नहीं सिद्ध किया जा सकता। वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले मेरे पिताजी या आप मेरे गुरू भी कह सकते हैं, ने एस्ट्रोनॉमी के सिद्धांत को अच्छी तरह समझने के बाद ज्योतिष में प्रवेश किया। उन्होने ज्योतिष के आधार को ज्यों का त्यों लेते हुए इसकी उन कमजोरियों का विश्लेषण किया, जिसके कारण सटीक भविष्यवाणियां नहीं की जा सकती थी, उन्होने उन कमजोरियों को दूर करने में सारा जीवन अर्पित किया और अंत में ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ के रूप में ज्योतिष की एक नई शाखा विकसित करने में सफलता पाई। अब उन्होंने हमें वह आधार दे दिया है, जिसकी बदौलत हम किसी भी क्षेत्र में ग्रहों के सापेक्ष डाटा का विश्लेषण कर संबंधित मामलों के भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं। ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ के अनुसार भविष्य बिल्कुल निश्चित नहीं माना जा सकता है, पर हमारी जन्मजात प्रवृत्तियां और समय समय पर उत्पन्न होनेवाली परिस्थितियां अवश्य निश्चित होती हैं, जिसका अनुमान हम आसमान के ग्रहों को देखकर लगा सकते हैं।
कुलवंत हैप्पी : अर्थशास्त्र में पोस्ट-ग्रेज्युएट डिग्री हासिल करने के बाद ज्योतिष जगत को जीवन समर्पित करना, कोई खास कारण?
संगीता पुरी : बचपन से ही मेरी रूचि गणित और विज्ञान में है, पर सुविधा के अभाव ने मुझे इसमें नियमित नहीं रहने दिया। परिस्थितियों की मजबूरी में मेरे समक्ष आर्ट्स पढने की नौबत आ गई, सबसे अधिक संतुष्टि अर्थशास्त्र में ही मिल सकी, क्यूंकि इसमें जहां एक पेपर में सांख्यिकी के रूप में आंकडों का विश्लेषण करने का मौका मिल रहा था, वहीं एक नए पेपर अर्थमिति के शामिल किए जाने से अर्थशास्त्र में गणित के भी अच्छे खासे प्रयोग की संभावना दिख रही थी। अपनी रूचि के विषयों को देखकर मैंने अर्थशास्त्र में ही पोस्ट ग्रेज्युएट की डिग्री ली, उस समय तक मेरा लक्ष्य किसी कॉलेज में व्याख्याता बनने का ही था, पर विवाह के बाद मैं कैरियर को उतना महत्व न दे सकी। इधर मेरे पिताजी ने अपना सारा जीवन ज्योतिष को गत्यात्मक बनाने में लगा दिया था। बचपन से ही मेरी रूचि उसमें भी हो गयी थी, पर पिताजी मुझे या अपने किसी बच्चे को इस रूचिकर विषय की जानकारी नहीं देना चाहते थे, क्यूंकि सरकार की ओर से इसके अध्ययन के लिए कोई सुविधा न थी, यहां तक कि उनके शोध को भी कहीं पहचान भी नहीं मिल पा रही थी। वो तो उनका जमाना था कि घर का अनाज खाते, सरकारी विद्यालयों में पढते हुए उनके बच्चों का उचित लालन पालन हो गया था, पर उन्हें संदेह था कि आने वाली पीढी यदि ज्योतिष के अध्ययन मनन में ईमानदारी से जुडी, तो उसका जीवन नहीं कट पाएगा। इसलिए वे ज्योतिष की चर्चा भी हमारे सामने नहीं किया करते थे, पर उनकी कई सटीक भविष्यवाणियों को देखकर मेरी दिलचस्पी इसमें बन गयी थी। काफी दिनों पूर्व ही इसकी ABCD मेरी समझ में आ चुकी थी, सो कभी कभी इसका अध्ययन जारी रहा। इस चक्कर में कुछ दिनों बाद मैं अर्थशास्त्र को ही भूल गई और बच्चों के बड़े होते ही उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त होते ही मैने गंभीरता से ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ के विभिन्न आयामों को सीखना शुरू कर दिया। मात्र चार पांच वर्षों तक पत्र पत्रिकाओं में लिखने बाद 1996 के अंत में बाजार में ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ पर आधारित मेरी पुस्तक भी आ गयी थी।
कुलवंत हैप्पी : आपके ब्लॉग 'गत्यात्मक ज्योतिष' और 'हमारा खत्री समाज' दोनों ही लीक से हटकर हैं, उनको चलाने का विचार कैसे आया?
संगीता पुरी : समय के साथ मेरा अध्ययन ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ के इर्द गिर्द ही घूमने लगा । अब यह मेरा जीवन बन चुका था, इसलिए मैं हर घटना को इसी कोण से देखने लगी। इसलिए मेरा लिखना भी इसी कोण से होता है, जब लीक से हटकर सोचती और लिखती हूं, तो लीक से हटकर ही ब्लॉग चलेगी। हम लोगों का पालन पोषण गांव में हुआ , पिताजी, चाचाजी वगैरह सभी भाई गांव में स्कूलिंग करने के बाद कॉलेज की पढाई के लिए ही शहर गए। मेरे परिवार में सभी लोग विज्ञान के ही छात्र रहे हैं और हमारे चिंतन का ढंग पूर्ण तौर पर वैज्ञानिक है। पर हम सीधे परंपरागत नियमों को नकार देना उचित नहीं समझते, हम लोग एक मध्यम मार्ग की तलाश में हैं, जहां न तो विज्ञान के अंधाधुध विकास को महत्व दिया जाना चाहिए और न ही परंपरागत नियमों की एकदम से उपेक्षा की जानी चाहिए। जाति प्रथा को भी आज बिल्कुल प्रदूषित कर दिया गया है, पर कभी यह समाज के हित में था। जिस प्रकार एक बडे भूभाग के कई भाग और उपभाग कर देने से प्रबंधन में सुव्यवस्था लायी जा सकती है, उसी प्रकार समाज में सुव्यवस्था लाने के लिए कभी ‘जाति प्रथा’ की नींव पडी थी। किसी भी वक्त में बहुत बडे स्तर के लोग शादी विवाह करते वक्त जाति का ख्याल नहीं रखा करते थे, पर मध्यम वर्गीय या निम्न वर्गीय परिवारों में एक जाति के अंतर्गत लोगों के रहन सहन, काम करने और चिंतन के ढंग में साम्यता होने के कारण अपने बच्चों के शादी विवाह के लिए अपने समाज के पात्रों को ही प्रमुखता दी जाती है। यही कारण है कि अभी भी आनेवाले वर्षों में जातिप्रथा समाप्त नहीं होनेवाली। जिस प्रकार विकास के लिए अपने परिवार, अपने समाज, अपने क्षेत्र का विश्लेषण करना आवश्यक होता है, उसी प्रकार हमें अपने जाति आधारित समाज की अच्छाइयों पर नाज और बुराइयों पर शर्म करना चाहिए और अच्छाइयों को सुदृढ करने और बुराइयों को दूर करने के लिए कृतसंकल्प होना चाहिए , इन्हीं छोटी छोटी इकाइयों की मजबूती से राष्ट्र मजबूत हो सकता है। इसलिए मैने ‘हमारा खत्री समाज’ नामक ब्लॉग भी बनाया। राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत हमारे प्रयास से अन्य जाति के लोगों को भी सीख लेनी चाहिए।
कुलवंत हैप्पी : आपका एक ब्लॉगर के साथ टिप्पणियों को लेकर विवाद हो गया था, उसके बाद आपने टिप्पणी करना कम कर दिया, क्या उस विवाद ने आपको हताश कर दिया था?
संगीता पुरी : ज्योतिष जैसे विवादास्पद विषय का अध्ययन, मनन और इसी पर लेखन, साथ ही परंपरागत चीजों से प्रेम, अपने को आधुनिक मानने वाले लोगों से हमेशा विवाद बन जाते हैं, पर ईश्वर की कृपा है कि मैं कभी भी हताश या निराश नहीं होती। वैसे भी ज्योतिष के सिद्धांतों को समझने वाला पूर्ण रूप से प्रकृति के नियमों को समझ जाता है, फिर शिकायत की कोई जगह नहीं रह जाती। एक परिवार में दो बच्चे होते हैं, एक शांत और एक लडाकू स्वभाव का होता है। घर में हर समय आप शांत की प्रशंसा करते नहीं थकते, पर जब पडोसियों के आक्रमण का जबाब देने की बारी आती है, तो आपका वहीं लडाका बेटा आपको काम आता है, इस तरह हर व्यक्ति का अलग अलग जगह महत्व होता है। मैं तो यह मानती हूं कि इस दुनिया में बाहर से एक जैसे दिखाई पडने वाले व्यक्ति अलग अलग तरह के बीज हैं, सभी अलग अलग ढंग से रिएक्ट करते हैं, पर सभी का अलग अलग महत्व है। मेरा उक्त ब्लॉगर के साथ विवाद नए ब्लॉगरों के स्वागत में लिखी गयी टिप्पणियों के लिए हुआ था, मैंने अभी भी नए ब्लॉगरों का स्वागत करना बंद नहीं किया है। हां, समय की थोडी कमी अवश्य हो गयी है, इस कारण पहले की तुलना में अभी ब्लॉगिंग को कम समय दे रही हूं, न तो पहले की तरह पोस्ट लिख पा रही हूं और न पहले की तरह अधिक पोस्टों में कमेंट कर पाती हूं, पर यह किसी विवाद के कारण नहीं है।
कुलवंत हैप्पी : ज्योतिष कारोबार बहुत तेजी से बढ़ रहा है, टीवी से लेकर अखबारों तक ज्योतिष विद्या से भरे पड़े हैं, क्या लोगों का इसमें विश्वास बढ़ने लगा है?
संगीता पुरी : कुछ समय पहले तक लोगों का जीवन इतना अनिश्चितता भरा नहीं हुआ करता था, संयुक्त परिवार होते थे, इस कारण यदि परिवार के एक दो व्यक्ति जीवन में आर्थिक क्षेत्र में सफल नहीं हुए, तो भी घर के छोटे मोटे कामों को संभालते हुए उनका जीवन यापन आराम से हो जाता था, क्यूंकि उन्हें संभालने वाले दूसरे भाई या परिवार के अन्य सदस्य होते थे। पर आज व्यक्तिगत तौर पर अधिक से अधिक सफलता पाने की इच्छा ने, व्यक्तिगत परिवारों की बहुलता ने हर व्यक्ति के जीवन को अनिश्चितता भरा बना दिया है। एक लड़के की कमाई के बिना उसका शादी विवाह या सामाजिक महत्व नहीं बन पाता है। इसके अलावा वैज्ञानिक सुख सुविधाओं ने व्यक्ति को आराम तलब बना दिया है। जो अच्छी जगह पर हैं, वो अपने आनेवाली पीढी के मामलों में काफी महत्वाकांक्षी हो गए हैं। दो लोगों, दो परिवारों की जीवनशैली में बडा फासला बनता जा रहा है, ऐसे में भविष्य की ओर लोगों का ध्यान स्वाभाविक है। इसी कारण भविष्य को जाननेवाली विधा यानि ज्योतिष पर लोगों का विश्वास बढता जा रहा है।
कुलवंत हैप्पी : ब्लॉग जगत में छोटी छोटी बातों को लेकर दो ब्लॉगरों के बीच विवाद होता रहता है, क्या उस विवाद को गुट बनाकर तूल देना सही है?
संगीता पुरी : मैंने पहले भी कहा कि सारे मनुष्य अलग अलग स्वभाव और विशेषताओं वाले होते हैं, इसलिए विचारों का टकराव होना ही है। समय समय पर विचारों का ऐसा टकराव और पर्याप्त वाद विवाद ही एक सटीक विचारधारा को जन्म देती है। यह भी बिल्कुल स्वाभाविक ही है कि एक विचारवालों की आपस में दोस्ती हो, एक विचार वालों का आपस में ग्रुप बन जाए। दो गुटों के बीच भी विचारों के टकराव होने से हम पीछे नहीं जाते, आगे बढते हैं। कोई भी व्यक्ति या ग्रुप किसी विषय पर, किसी मुद्दे पर यूं ही अपना समय जाया नहीं करता, उसके पास भी पर्याप्त अध्ययन होता है, उसके पास भी तर्क होते हैं, उसकी अपनी सोच होती है। उस अध्ययन, उनके तर्क और उनके विचारों को अवश्य सुना जाना चाहिए, स्वस्थ वाद विवाद किया जाना चाहिए, तभी सर्वमान्य और सर्वाधिक उपयुक्त मत बन सकता है। यही कारण है कि सफल लोकतंत्र के लिए एक सशक्त विपक्ष का होना आवश्यक है। पर किसी भी मामले में छोटी छोटी बातों को तूल देना कदापि उचित नहीं। वैसे भी हिंदी ब्लागिंग अभी शैशवावस्था में है, इसलिए विचारों से मतभेद भले ही बनें, पर ब्लॉगरों से मतभेद रखना उचित नहीं।
कुलवंत हैप्पी : क्या कॉमेंट मॉडिरेशन पाठक की अभिव्यक्ति को दबाने का यत्न नहीं?
संगीता पुरी : ब्लॉगर के द्वारा हमें कमेंट मॉडरेशन का अधिकार प्राप्त है, तो हम उसका प्रयोग करने के लिए अवश्य स्वतंत्र हैं। पर सार्थक टिप्पणियों, सार्थक तर्कों को हमें ज्यों का त्यों प्रकाशित कर देना चाहिए, चाहे वो लेखक के विचारों के बिल्कुल विरूद्ध ही क्यूं न लिखी गयी हो। ब्लॉगिंग में सिर्फ लेखक को ही नहीं, पाठक को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, उनकी टिप्पणियों को न प्रकाशित कर हमें उनकी इस स्वतंत्रता को समाप्त करने का हक नहीं। हां, कभी कभी गाली गलौज, अश्लील या बेहूदी टिप्पणियां भी आती है, जो किसी का दिल दुखा सकती हैं। वैसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करके गलत मानसिकता वाले लोगों की उपेक्षा की जा सकती है, ब्लॉगिंग में अस्वस्थ माहौल पैदा करने से बचा जा सकता है।
कुलवंत हैप्पी : आपके पास दो परिवार हैं, ब्लॉगर परिवार और घर परिवार। आप दोनों में कैसे तालमेल बिठाती हैं एवं घर परिवार मैं कौन कौन हैं?
संगीता पुरी : मेरे घर पर मेरे पति और दो बेटे हैं, शारीरीक रूप से अस्वस्थ रहने के कारण माताजी भी आजकल हमारे साथ ही हैं। ऐसे में पारिवारिक जिम्मेदारियां तो हैं ही, पर ‘जहां चाह वहां राह’, सारे काम निबटाते हुए समय बचाने के लिए पूरा सतर्क रहना पड़ता है। वैसे सबके अपने अपने व्यक्तिगत कार्यों को छोडकर घर के अंदर की सारी जिम्मेदारियां मेरी हैं, पर मेरे अपने व्यक्तिगत कार्यों को छोड़कर घर से बाहर की सारी जिम्मेदारियां मेरे पति की। बच्चे भी अब बडे हो चुके हैं, इसलिए उन्हें अधिक समय नहीं देना होता है। परिवार के किसी सदस्य को बेवजह किसी को डिस्टर्ब करने की आदत नहीं। यही कारण है कि मुझे ब्लॉगिंग के लिए समय मिल जाता है। पर ब्लॉगिंग में आने के बाद ज्योतिष के क्षेत्र में अध्ययन जरूर थोडा बाधित हुआ है। यही कारण है कि आजकल मेरे पोस्ट कम आ रहे हैं। इसके अलावे बहुत सारे लोग अपना जन्म विवरण भी भेज देते हैं, चाहते हुए भी कुछ को जबाब दे पाती हूं और कुछ को नहीं, इसका अफसोस बना रहता है।
कुलवंत हैप्पी : आपको ब्लॉग जगत के बारे में कैसे पता चला, और आपने कब ब्लॉगिंग शुरू की?
संगीता पुरी : वैसे तो पत्र पत्रिकाओं में ब्लॉगिंग के बारे में पढ़कर मैंने 2004 में ही अपना ब्लॉग बना लिया था और कृतिदेव फॉण्ट में ही अपना आलेख प्रकाशित कर दिया था, क्यूंकि यूनिकोड में लिखने की जानकारी मुझे नहीं थी। 2007 के अगस्त माह में किसी पत्रिका में पढ़कर मैंने वर्डप्रेस पर अपना ब्लॉग बनाया था और अपने कृतिदेव में टाइप किए लेख को यूनिकोड में बदलकर ब्लॉग पर डाल दिया था और इस तरह यूनिकोड में पहला पोस्ट करने मे सफल हो सकी थी। एक वर्ष बाद 2008 के अगस्त में मैंने ब्लॉगस्पॉट पर लिखना शुरू किया था।
कुलवंत हैप्पी : कोई ऐसी घटना या स्थिति, जो बहुत कुछ कहती हो?
संगीता पुरी : मैंने कई परिवारों में पति पत्नी दोनों के नौकरी या व्यवसाय से जुड़े रहने के कारण उनके बच्चों का सही लालन पालन नहीं होते देखा है, वो घटना मुझे अंदर तक कचोटती है। बालपन में बच्चों के शारीरिक विकास और किशोरावस्था में उनके मानसिक विकास में माता पिता की बहुत आवश्यकता होती है। यदि पति और पत्नी दोनों नौकरी करने वाले हों, तो दोनो को मिलजुलकर अपने बच्चों की सही देखभाल करनी चाहिए। यदि वे बहुत व्यस्त हों, तो पत्नी या तो बच्चे को जन्म ही न दे या फिर अपनी महत्वाकांक्षा को कम करें, क्यूंकि भावी पीढी को जन्म देना ही नहीं, उन्हें शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक रूप से मजबूत बनाना हमारा पहला कर्तब्य होना चाहिए। जैसे जैसे बच्चे अपनी जबाबदेही संभालने के लायक होते जाएं, पत्नी अपनी रूचि, अपने कैरियर पर ध्यान दे पाए, समाज में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। घर परिवार संभालने और बाल बच्चों का यथोचित लालन पालन करने वाली महिलाओं को नौकरी करने वाली या कमाने वाली महिला से कम सम्मान नहीं मिलना चाहिए।
कुलवंत हैप्पी : चलते चलते युवा सोच युवा खयालात के पाठकों और ब्लॉगर साथियों के लिए एक संदेश जरूर दें?
संगीता पुरी : सभी पाठकों और ब्लॉगर साथियों से मेरा निवेदन है कि वे प्रकृति के नियमों पर भरोसा रखें। हर अच्छे कार्य का अच्छा और बुरे कार्य का बुरा प्रतिफल मिलता है। इसलिए वे कोई ऐसा कार्य न करें , जिसकी अपेक्षा वे सामने वालों से न रखते हो। इसके अलावे हम सभी जानते हैं कि हमारे राष्ट्र ने सैकडों वर्षों की गुलामी झेलकर हाल में इससे मुक्ति पाई है। विदेशियों ने ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति अपनायी थी, जिसे समझते हुए भी हम उससे मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। जाति, भाषा, क्षेत्र और धर्म ... जिसके कारण हम सांस्कृतिक तौर पर इतने समृद्ध थे .... तक को आज निकृष्ट मानने के लिए मजबूर है , क्यूंकि आज हम इन्हीं के नाम पर हम आपस में लड मर रहे हैं। बाहरी और भीतरी आतंकवाद के कारण हमारा देश बहुत ही संवेदनशील दौर से गुजर रहा है। ऐसे में हमें आपस में एकता बनाए रखने की बहुत आवश्यकता है। आज लोगों का ध्यान सिर्फ अपने व्यक्तिगत लाभ पर ही लगा होता है, पर यदि राष्ट्र ही न बचा, विश्व ही न बचा, प्राकृतिक संसाधन ही न बचे, तो क्या व्यक्तिगत लाभ प्राप्त हो पाएगा, जरूरत है अपने सोंच को व्यापक बनाने की, दिलोदिमाग में विश्व बंधुत्व की भावना को बनाए रखने की, इसके बाद ही ईश्वर पर विश्वास रखें!!
sangeeta ji se milkar bahut khushi hui
जवाब देंहटाएंसंगीता जी की सफलता के गीत की जानकारी पाकर मन में बेहद खुशी का संचार हुआ है। इस प्रकार के संतुलित विचारक ब्लॉगरों के बल पर ही हिन्दी ब्लॉग जगत नित नई ऊंचाईयों को प्राप्त करेगा। कितनी भी अड़चनें आएं हम सब इन सब से मिलकर पार पा ही लेंगे।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी से मिलकर मन प्रसन्न हुआ. धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसंगीता पुरी जी के विचारों से अवगत हो कर अच्छा लगा....उनसे ये साक्षात्कार अच्छा रहा
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लगा, संगीता जी से मिलकर...उनके व्यक्तित्व के हर पहलू से परिचय करवाने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसंगीता जी से ये साक्षात्कार बहुत बढ़िया रहा...वो तो वैसे भी मेरी ज्यादा अपनी हैं क्यूंकि हम एक ही जगह से हैं..इसलिए उनके बारे में पढ़कर और भी ख़ुशी हुई...जब भी घर जाउंगी उनसे मिलूंगी हीं..चाहे कुछ भी हो जाए...:)
जवाब देंहटाएंkulwant jee aap ke chrchao me yah bhee ek nayab sitara hai sangita jee
जवाब देंहटाएंbadhi ho
milkar bahut achha laga.
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावशाली सिलसिला
जवाब देंहटाएंसंगीता जी को तब से जानता हूँ जब मैने ब्लॉग पर पहली पोस्ट डाली थी...ब्लॉग जगत की एक हस्ती हैं जो अपने ज्योतिष् ज्ञान से परिपूर्ण सार्थक पोस्टों से पाठक को लाभान्वित करा रही है...आज उनके बारे में और पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...कुलवंत जी बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सब एक दूसरे के भाव-विचार को और बढ़िया तरीके से जान पा रहे है.... बढ़िया प्रस्तुति...बधाई
जवाब देंहटाएंसंगीता जी ने कुछ अनछुए पहलू उजागर किए
जवाब देंहटाएंआभार आपका इस पोस्ट के लिए
वाह हेप्पी जी वाह
जवाब देंहटाएंआज़ तो कमाल कर दिया. दीदी को प्रणाम
मुझे ज्योतिष या गयात्मक ज्योतिष पर विश्वास नहीं पर संगीता जी के विचार जान कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंek aisa interview jo hame disha dikha sakta hai.........khushi hui!
जवाब देंहटाएं