हैप्पी अभिनंदन में विनोद कुमार पाण्डेय
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विनोद कुमार पाण्डेय जी |
इस बार हैप्पी अभिनंदन में बनारस की गलियाँ छोड़, नोयडा के 62 सेक्टर में जिन्दगी के हसीं पलों का आनंद लेने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर विनोद कुमार पाण्डेय जी पधारे हैं, जो अक्सर मिलते हैं 'मुस्कराते पल-कुछ सच कुछ सपने' ब्लॉग विला पर। वो किसी पहचान के मोहताज तो नहीं, लेकिन कलम के इस धुरंधर के बारे में कुछ शब्द लिखे बिन कलम मेरी रुकने को तैयार नहीं। जैसे भूमि कितनी उपजाऊ है, इस बात का अंदाजा तो उसकी फसल से ही लगाया जा सकता है। वैसे ही इतनी की सोच कितनी युवा है, वे तो उनकी लेखनी से हम सबको पता ही चल चुकी है। अब कुछ और बातें, जो ब्लॉग जगत से जुड़ी हैं, जो उनके जीवन से जुड़ी हैं, उन पर वो क्या सोचते हैं? चलो जानते हैं उनकी जुबानी।
कुलवंत हैप्पी : आपकी रचनाएं समाज की बुराईयों पर कटाक्ष करती हैं, जो आपके भीतर छुपे हुए एक क्रांतिकारी से रूबरू करवाती हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्रांतिकारी आखिर किससे प्रेरित है?
विनोद पांडेय: कुलवंत जी, मैं ना तो कोई बहुत पॉपुलर ब्लॉगर ठहरा और ना ही बहुत बड़ा समाज सुधारक। फिर भी आपने हैप्पी अभिनंदन के लिए मेरा चयन किया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
विनोद पांडेय: कुलवंत जी, मैं ना तो कोई बहुत पॉपुलर ब्लॉगर ठहरा और ना ही बहुत बड़ा समाज सुधारक। फिर भी आपने हैप्पी अभिनंदन के लिए मेरा चयन किया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
अब रही बात मेरी रचनाओं कि तो यह बात सच है कि मैंने अपनी ज़्यादातर रचनाओं में समाज के ऊपर कटाक्ष किया या यह कहूँ कि अभी तक जो कुछ देखा, परखा और समझा वहीं सब लिखता हूँ, कुलवंत जी यह भावनाएँ किससे प्रेरित है, इस प्रश्न का उत्तर तो मैं भी ढूँढ रहा हूँ।
मैं एक हास्य व्यंग का कवि हूँ, एक आम आदमी का दर्द बाँटना चाहता हूँ, पर शायद कभी कभी दर्द बाँटने की इस प्रवृति में इतना मशगूल हो जाता हूँ कि उन्हें महसूस भी करने लगता हूँ, यूँ लगता है इक्कीसवीं सदी के इस विकासशील भारत, आधुनिक आदमी की सोच और समाज में फैली तमाम विषमताएँ को देख कर अनायास ही शब्द फूट पड़ते हैं और शायद मैं उन्हें रोक नही पाता।
कुलवंत हैप्पी : आपकी रचनाएं बेहद बढ़िया हैं, लेकिन टिप्पणियाँ उम्मीद से कम आती हैं (मुझे ऐसा लगता है), क्या इसके पीछे गम्भीर विषयों को स्पर्श करना है या तुम मुझे टिप्पणी दो, मैं तुझे टिप्पणी दूंगा वाली धारणा है?
विनोद पांडेय: हम तो बस लिख देते हैं, जो कुछ अपने आस-पास दिखाई देता है।..आप सब लोगों का प्यार और आशीर्वाद मिलता है बस अच्छी हो जाती हैं।
विनोद पांडेय: हम तो बस लिख देते हैं, जो कुछ अपने आस-पास दिखाई देता है।..आप सब लोगों का प्यार और आशीर्वाद मिलता है बस अच्छी हो जाती हैं।
कुलवंत जी, हो सकता है और ब्लॉगर्स की तुलना में टिप्पणियाँ थोड़ी कम मिलती हो पर अपने विचारों को व्यक्त करते समय मैं बिल्कुल नही सोचता कि ब्लॉगिंग की दुनिया में इसकी रेटिंग क्या होगी, मुझे पढ़ने और समझने वालों का एक खास वर्ग है, जिनका प्यार और आशीर्वाद निरंतर मेरा हौसला बढ़ाता रहता है,बस इससे अधिक मुझे कुछ नही चाहिए।
कुलवंत हैप्पी : आप हर रंग की कविताएं लिखते हैं, आपको कविताएं लिखने का शौक कैसे पड़ा एवं क्या ब्लॉग से पहले आपकी कविताएं कई और प्रकाशित हुई?
विनोद पांडेय : जी हाँ, मैं हर रंग की कविताएँ लिखता हूँ क्योंकि मुझे किसी एक विधा में बँध कर रह जाना अच्छा नही लगता परन्तु हास्य मेरी सबसे प्रिय विधा हैं। कुलवंत जी बचपन से मुझे किताबें पढ़ने और कविताएँ सुनने का बड़ा शौक हैं और शायद यह एक खास वजह हैं, जिसने मेरे अंदर एक रचनाकार को जन्म दिया। ब्लॉग से पहले मेरी रचनाएँ अपने कॉलेज के कुछ खास दोस्तों तक ही सीमित थी। मेरे कवि बनने में मेरे कुछ उन दोस्तों का भी बहुत योगदान रहा जो निरंतर मेरा आत्मविश्वास बढ़ाते रहे।
विनोद पांडेय : जी हाँ, मैं हर रंग की कविताएँ लिखता हूँ क्योंकि मुझे किसी एक विधा में बँध कर रह जाना अच्छा नही लगता परन्तु हास्य मेरी सबसे प्रिय विधा हैं। कुलवंत जी बचपन से मुझे किताबें पढ़ने और कविताएँ सुनने का बड़ा शौक हैं और शायद यह एक खास वजह हैं, जिसने मेरे अंदर एक रचनाकार को जन्म दिया। ब्लॉग से पहले मेरी रचनाएँ अपने कॉलेज के कुछ खास दोस्तों तक ही सीमित थी। मेरे कवि बनने में मेरे कुछ उन दोस्तों का भी बहुत योगदान रहा जो निरंतर मेरा आत्मविश्वास बढ़ाते रहे।
कुलवंत हैप्पी : भगवान की दुआ से आपने पिछले महीने की दो तारीख को एक साल पूरा कर लिया ब्लॉग जगत में, इस एक साल दौरान ब्लॉग जगत में कैसे कैसे अनुभव हुए?
विनोद पांडेय: मैं ब्लॉग जगत में कुछ सीखने और अपनी बात कहने के उद्देश्य से आया हूँ, कुछ बड़े लोगों का आशीर्वाद मिल रहा है, आप जैसे दोस्तों का प्यार मिल रहा है, और लोग मेरे मकसद को समझ भी रहें हैं, बस यही पर मेरी ब्लॉगिंग सफल हो जाती हैं, इतना अनुभव मेरे लिए बहुत है। बिना काम की चीज़ों को मैं हमेशा नज़रअंदाज कर देता हूँ।
विनोद पांडेय: मैं ब्लॉग जगत में कुछ सीखने और अपनी बात कहने के उद्देश्य से आया हूँ, कुछ बड़े लोगों का आशीर्वाद मिल रहा है, आप जैसे दोस्तों का प्यार मिल रहा है, और लोग मेरे मकसद को समझ भी रहें हैं, बस यही पर मेरी ब्लॉगिंग सफल हो जाती हैं, इतना अनुभव मेरे लिए बहुत है। बिना काम की चीज़ों को मैं हमेशा नज़रअंदाज कर देता हूँ।
कुलवंत हैप्पी: कितने प्रतिशत भारतीय हिन्दी ब्लॉगर एक सार्थक ब्लॉगिंग कर रहे हैं, 65 फीसदी, 75 फीसदी, 85, फीसदी या 95 फीसदी?
विनोद पांडेय: कुलवंत जी, ब्लॉगिंग करने के सबके अलग अलग उद्देश्य होते हैं, हो सकता है कुछ मेरी समझ से बाहर हो इसलिए इस बात का जवाब देना मेरे लिए कठिन है कि कितने प्रतिशत सार्थक ब्लॉगिंग कर रहे है, हाँ एक बात ज़रूर कहना चाहूँगा की पढ़ने वालों की संख्या ज़रूर कम है..शायद लिखने वालों से भी कम।
विनोद पांडेय: कुलवंत जी, ब्लॉगिंग करने के सबके अलग अलग उद्देश्य होते हैं, हो सकता है कुछ मेरी समझ से बाहर हो इसलिए इस बात का जवाब देना मेरे लिए कठिन है कि कितने प्रतिशत सार्थक ब्लॉगिंग कर रहे है, हाँ एक बात ज़रूर कहना चाहूँगा की पढ़ने वालों की संख्या ज़रूर कम है..शायद लिखने वालों से भी कम।
कुलवंत हैप्पी: आपकी प्रोफाइल में बनारस और नोयडा है इनका आपके जीवन से क्या संपर्क है जरूर बताएं, और अगर मैं गलत न हूँ, आपका रिश्ता कुछ मुम्बई से भी है?
विनोद पांडेय: कुलवंत जी, दोनों जगह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, बनारस मेरी जन्मभूमि और नोयडा मेरी कर्मभूमि है। रही बात मुंबई की तो बस यहाँ बने फिल्मों का एक दर्शक हूँ, भाई, इसके अतिरिक्त मुंबई से मेरा कोई संबंध नही।
विनोद पांडेय: कुलवंत जी, दोनों जगह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, बनारस मेरी जन्मभूमि और नोयडा मेरी कर्मभूमि है। रही बात मुंबई की तो बस यहाँ बने फिल्मों का एक दर्शक हूँ, भाई, इसके अतिरिक्त मुंबई से मेरा कोई संबंध नही।
कुलवंत हैप्पी: स्टार ब्लॉगर का नाम शीर्षक में डाल दें तो टिप्पणियाँ धड़ाधड़ आती हैं वो भी स्टार ब्लॉगरों की, क्या ब्लॉगिंग टिप्पणियाँ प्राप्त करने के लिए की जाए?
विनोद पांडेय : मुझे लगता है ऐसा सही नहीं, स्टार ब्लॉगर के सहारे कोई तक कब ब्लॉगिंग कर सकता है, अगर ब्लॉगिंग में कुछ करना है तो अपने नाम को इतना सार्थक बना दो कि वो खुद में एक स्टार ब्लॉगर बन जाए।
विनोद पांडेय : मुझे लगता है ऐसा सही नहीं, स्टार ब्लॉगर के सहारे कोई तक कब ब्लॉगिंग कर सकता है, अगर ब्लॉगिंग में कुछ करना है तो अपने नाम को इतना सार्थक बना दो कि वो खुद में एक स्टार ब्लॉगर बन जाए।
कुलवंत हैप्पी: जिन्दगी की कोई ऐसी घटना, जो कुछ सिखाती हो, जरूर शेयर करें?
विनोद पांडेय : वैसे तो जिंदगी रोज कुछ ना कुछ सिखाती रहती है, पर एक घटना मैं आप से ज़रूर शेयर करना चाहूँगा, बात कुछ दिनों पहले की है, मेरे घर से थोड़े दूर ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन है। सुबह सुबह एक दिन मैं अपने एक रिश्तेदार को स्टेशन से लेने के लिया गया था तो एक बड़ा ही अजीब नज़ारा देखा कि एक बच्चा ने वहीं प्लेटफॉर्म पर बैठे एक बूढ़े भिखारी (जो दोनों पैरों से अपाहिज था) के कटोरे में 2 रुपए डाले और निकल लिया। उसके कुछ दिन बाद मुझे वही लड़का दूसरे प्लेटफॉर्म पर भीख माँगता दिखाई दिया, तो मैं दंग रह गया। एक भिखारी को दूसरे की मदद करते हुए देख।
विनोद पांडेय : वैसे तो जिंदगी रोज कुछ ना कुछ सिखाती रहती है, पर एक घटना मैं आप से ज़रूर शेयर करना चाहूँगा, बात कुछ दिनों पहले की है, मेरे घर से थोड़े दूर ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन है। सुबह सुबह एक दिन मैं अपने एक रिश्तेदार को स्टेशन से लेने के लिया गया था तो एक बड़ा ही अजीब नज़ारा देखा कि एक बच्चा ने वहीं प्लेटफॉर्म पर बैठे एक बूढ़े भिखारी (जो दोनों पैरों से अपाहिज था) के कटोरे में 2 रुपए डाले और निकल लिया। उसके कुछ दिन बाद मुझे वही लड़का दूसरे प्लेटफॉर्म पर भीख माँगता दिखाई दिया, तो मैं दंग रह गया। एक भिखारी को दूसरे की मदद करते हुए देख।
अब आप भी समझ गए होंगे उस लड़के की सोच कितनी नेक थी जो खुद भीख माँग कर भी दूसरे की ज़रूरत को समझ रहा था और उससे अलग हम इंसान जो बस अपनी ज़रूरतों की भरपाई में लगे रहते है।
कुलवंत हैप्पी : चलते चलते कोई संदेश युवा सोच युवा खयालात के पाठकों एवं ब्लॉगर साथियों को?
विनोद पांडेय : एक युवा होने के नाते मैं यही कहना चाहूँगा कि इस उम्र में साहस, शक्ति और जोश अन्य सभी अवस्थाओं से थोड़ा अधिक ही होता है, इसे व्यर्थ ना होने दे बल्कि इसका सार्थक उपयोग करें, अपने लिए तो हम सब जीते ही हैं,कभी चंद घड़ी दूसरों के लिए जिये, किसी ज़रूरतमंद की ज़रूरत को पूरा करने की कोशिश करें और किसी के आँसुओं को मुस्कान में बदलने की कोशिश करें, तरीका कुछ भी हो प्रयास ज़रूर करें मन को बहुत ही अच्छा लगेगा। आने वाला कल हमारा है। इसे खूबसूरत बनाना भी हमारा ही काम है, साथ ही साथ तन,मन और मस्तिष्क को स्वस्थ रखें। हो सकता है थोड़ा मुश्किल काम हो पर जितना ज़्यादा हो सकें खुश रहने की कोशिश करें।
विनोद पांडेय : एक युवा होने के नाते मैं यही कहना चाहूँगा कि इस उम्र में साहस, शक्ति और जोश अन्य सभी अवस्थाओं से थोड़ा अधिक ही होता है, इसे व्यर्थ ना होने दे बल्कि इसका सार्थक उपयोग करें, अपने लिए तो हम सब जीते ही हैं,कभी चंद घड़ी दूसरों के लिए जिये, किसी ज़रूरतमंद की ज़रूरत को पूरा करने की कोशिश करें और किसी के आँसुओं को मुस्कान में बदलने की कोशिश करें, तरीका कुछ भी हो प्रयास ज़रूर करें मन को बहुत ही अच्छा लगेगा। आने वाला कल हमारा है। इसे खूबसूरत बनाना भी हमारा ही काम है, साथ ही साथ तन,मन और मस्तिष्क को स्वस्थ रखें। हो सकता है थोड़ा मुश्किल काम हो पर जितना ज़्यादा हो सकें खुश रहने की कोशिश करें।
चंद लम्हें हैं मिले, भींगी सुनहरी धूप में,
हमने सोचा हँस के जी लें, जिंदगानी फिर कहाँ
और अंत में..मैं अपने सभी ब्लॉगर्स साथियों को धन्यवाद देना चाहूँगा, जिनका प्यार और आशीर्वाद निरंतर मेरा हौसला बढ़ाता रहा, और एक बार फिर से आपको बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने हैप्पी अभिनंदन में मुझे बुलाया।
वैसे भी ब्लॉगर्स के विचारों के प्रस्तुतिकरण के मामले में यह प्रोग्राम बेस्ट है। भगवान आपको और उन्नति दे...शुभकामनाएँ।
एक पत्रकार ने बंता जी से पूछा कि क्या कभी आपको प्यार हुआ है। तो बंता सिंह ने कहा कि रोज कहता हूँ उसको पर वो मानती नहीं, वो आगे से कहती है "आई लव यू टू", अब यह दूसरा कौन है मुझे पता नहीं।
आभार
nice
जवाब देंहटाएंवाह भई, विनोद जी युवा स्टार ब्लागर हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखते हैं। हैप्पी अभि्नंदन में इन से मिलकर अच्छा लगा। उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ-बधाई
Nice interview..........
जवाब देंहटाएंहैप्पी अभि्नंदन में इन से मिलकर अच्छा लगा। उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ-बधाई
जवाब देंहटाएंओह, तो आज पता चला कि अपने विनोद कुमार पांडे जी काशी के प्रोडक्ट हैं...
जवाब देंहटाएंतभी इनका स्वभाव गंगा जैसा निर्मल, निष्कपट है...हैप्पी जी आपका आभार, विनोद जी के अनछुए पहलुओं से रू-ब-रू कराने के लिए...
जय हिंद...
मुझे लगता है ऐसा सही नहीं, स्टार ब्लॉगर के सहारे कोई तक कब ब्लॉगिंग कर सकता है, अगर ब्लॉगिंग में कुछ करना है तो अपने नाम को इतना सार्थक बना दो कि वो खुद में एक स्टार ब्लॉगर बन जाए।
जवाब देंहटाएंVinod ji ki is baat se unki imaandaar soch parilakshit hoti hain...
Vinod ji ke baare mein jaan kar bahut khushi hui..
bahut accha kaam kar rahe ho happy...pichle baar Sanjay Bhaskaar ka padha tha..accha laga tha...
aise hi likhte raho...
khush raho..
didi..
वैसे पिछले दो एक साल से ब्लॉग पर हुई मुलाकातों से ही काफी कुछ जानते है इनके साहितिय्क जीवन के बारे में मगर यहाँ पढ़ कर कुछ और जानकारी मिली विनोद जी के बारे में और अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंदेख लो आज विनोद जी का इन्टर्व्यू छपा तो मै भी तुम्हारे ब्लाग पर अचानक आ गयी। कई दिन से समय नही मिल रहा अभी भी कुछ दिन बहुत व्यस्त हूँ। विनोद जी को बहुत बहुत शुभकामनायेणं
जवाब देंहटाएंvinod ji ko kaafi samy se jaanta hun mil bhi chuka hun ,,, fir bhi aaj unke kuchh anchhuye pahluo se rubrun
जवाब देंहटाएंhua
saadar
praveen pathik
9971969084
सुन्दर चर्चा विनोद जी की।
जवाब देंहटाएंvinod jee se parichay huaa accha laga ..........oh to yaha bhee star hai.............
जवाब देंहटाएंविनोद जी का लिखा हमेशा ही अपील करता है.
जवाब देंहटाएंवे सहज ही हास्य कवितायें रच देते हैं. विशेष कर उनकी कवितामयी रिपोर्टिंग ख़ास होती है. महीने में एक बार उनको जरुर पढता हूँ.
बहुत ही बढ़िया साक्षात्कार, विनोद जी के बारे में कई जानकारियाँ मिलीं...बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो हैप्पी भाई आपको अपने इस अनोखे मंच के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं । आज सच में ही जरूरत है ऐसे प्लेटफ़ार्मों की जहां हम एक दूसरे को ब्लोग लेखन से इतर भी जान सकें उनकी शख्सियत से रूबरू हो सकें । विनोद भाई अपने नाम के अनुरूप ही विनोदी स्वभाव के हैं और स्टार तो वे खैर हैं ही
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
हेप्पी भाई गज़ब किये जा रहे हैं अनोखे प्रयोग के कारण हम सब से मिल तो पाते हैं
जवाब देंहटाएंविनोद की विनोदी कविताएं और व्यंग्य
जवाब देंहटाएंरिर्पोटें मचाती हैं ब्लॉगरों के मन हुडदंग।
विनोद जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा ......
जवाब देंहटाएंvinod ji bahut achche, keep it up.
जवाब देंहटाएं