जीत है डर के आगे
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लेखक कुलवंत हैप्पी |
ड्यू के टीवी विज्ञापन की टैग-लाईन 'डर के आगे जीत है' मुझे बेहद प्रभावित करती है, नि:संदेह औरों को भी करती होगी। सच कहूँ तो डर के आगे ही जीत है, जीत को हासिल करने के लिए डर को मारना ही पड़ेगा, वरना डर तुम को खा जाएगा।
पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म "माई नेम इज खान" में एक संवाद है 'डर को इतना मत बढ़ने दो कि डर तुम्हें खा जाए'।
असलियत तो यही है कि डर ने मनुष्य को खा ही लिया है, वरना मनुष्य जैसी अद्भुत वस्तु दुनिया में और कोई नहीं।
मौत का डर, पड़ोसी की सफलता का डर, असफल होने का डर, भगवान द्वारा शापित कर देने का डर, जॉब चली जाने का डर, गरीब होने का डर, बीमार होने का डर। सारा ध्यान डर पर केंद्रित कर दिया, जो नहीं करना चाहिए था। एक बार मौत के डर को छोड़कर जिन्दगी को गले लगाने की सोचो। एक बार मंदिर ना जाकर किसी भूखे को खाना खिलाकर देखो। एक बार असफलता का डर निकालकर प्रयास करके देखो। असफलता नामक की कोई चीज ही नहीं दुनिया में, लोग जिसे असफलता कहते हैं वो तो केवल अनुभव।
अगर थॉमस अलवा एडीसन असफलता को देखता, तो वो हजारों बार कोशिश ना करता और कभी बल्ब ईजाद न कर पाता।
दुनिया के सबसे बड़े तानाशाहों में हिटलर का नाम शुमार है। क्या आपको पता है? वो भीतर से डर का भरा हुआ था। ओशो की एक किताब में दर्ज है कि हिलटर की एक प्रेमिका थी, लेकिन उसने अपनी प्रेमिका को पास नहीं आने दिया, क्योंकि उसको डर था अगर कोई धोखे से उसको मार गया तो उसका सारा किया कराया खत्म हो जाएगा। वो किसी को अपने कंधे पर हाथ तक रखने नहीं देता था। आप जानकर हैरान होंगे, मरने के कुछ समय पहले, जब मौत पक्की हो गई थी, जब बर्लिन पर बम गिरने लगे, एवं हिटलर जिस तलघर में छिपा हुआ था, उसके सामने दुश्मन की गोलियाँ गिरने लगी, और दुश्मनों के पैरों की आवाज बाहर सुनाई देने लगी, द्वार पर युद्ध होने लगा और जब हिटलर को पक्का हो गया कि मौत निश्चित है, अब मरने से बचने का कोई उपाय नहीं है, तो उसने पहला काम यह किया कि एक मित्र को भेजा और कहा कि जाओ आधी रात को उस औरत को ले आओ। शादी कर लूँ।
मित्र ने कहा, यह कोई समय नहीं शादी करने का? हिटलर ने कहा, अब कोई भय नहीं है, अब कोई भी मेरे निकट हो सकता है, अब मौत बहुत निकट है। अब मौत ही करीब आ गई है, तब किसी को भी निकट लिया जा सकता है।
इसलिए कहता हूँ, डर को मारकर आगे बढ़े, मुझे तो डर अंधेरे का समानार्थी शब्द ही नजर आता है, अगर आप अंधेरे को देखकर रूक जाएंगे तो रोशनी से आप रूबरू न हो पाएंगे। रोशनी ही तो सफलता है। चमक ही तो सफलता है। डर रखना है तो ऐसा रखो कि हमारे कार्य हमारी छवि को धूमिल न कर दें। ऐसा डर भी आपको सफलता की ओर लेकर जाएगा। लेकिन अच्छे काम को करने से डरना, आपको असफलता और निराशा की तरफ लेकर जाएगा।
हर प्रकार के डर से मुक्त होने का प्रयास जिंदगी को रौशनी की तरफ ले जाता है ....
जवाब देंहटाएंमगर डर से मुक्त होना इतना आसान तो नहीं ...!!
अगर आप अंधेरे को देखकर रूक जाएंगे तो रोशनी से आप रूबरू न हो पाएंगे। रोशनी ही तो सफलता है। चमक ही तो सफलता है।
जवाब देंहटाएं..........बहुत खूब,
प्रेरणाजनक...
जवाब देंहटाएंसही बात...अगर जीतना है तो अनुसरण करना चाहिए....धन्यवाद कुलवंत जी
जवाब देंहटाएंअच्छे काम को करने से डरना, आपको असफलता और निराशा की तरफ लेकर जाएगा।
जवाब देंहटाएं-प्रेरक आलेख!
nice
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंbandhai aap ko is ke liye
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
सही बात है.एक और फ़िल्मी डायलाग याद आ गया,जो डर गया समझो मर गया.बढिया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंकुलवंत, आपका ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंjo karna he sirf karo. daro mat. kyu ki dar ke aage jit hai.
जवाब देंहटाएंthanhs