हैप्पी अभिनंदन में यशवंत महेता "फकीरा"
क्षमा चाहता हूँ, पिछले मंगलवार को मैं आपके सामने किसी भी ब्लॉगर हस्ती को पेश नहीं कर पाया। समय नहीं था कहना तो केवल बहाना होगा, इसलिए खेद ही प्रकट करता हूँ।
कुलवंत हैप्पी : आप यशवंत महेता से फकीरा कैसे बने?
फकीरा : यह तो बहुत ही खतरनाक सवाल है। बस एक दिन किसी से प्यार हो गया था। उसके दर पर गए जब तो उसने फकीरा बोल दिया और उस दिन से यशवंत महेता फकीरा बन गया।
कुलवंत हैप्पी : आपकी जन्मस्थली कौन सी है और कर्मस्थली कौन सी है?
फकीरा : मेरी जन्मस्थली मध्यप्रदेश की आर्थिक राज्यधानी इंदौर और कर्मस्थली देश की राज्यधानी दिल्ली है।
कुलवंत हैप्पी : आप ब्लॉग जगत में कब और कैसे आए ?
फकीरा : मैं ब्लॉग जगत में 17 जुलाई 2009 को आया, मेरे पहले ब्लॉग का नाम था 'फकीरा का कोना', जिसको बहुत कम लोग जानते हैं, क्योंकि मैंने उसको किसी भी ब्लॉग एग्रीगेटर के साथ नहीं जोड़ा।
कुलवंत हैप्पी : ब्लॉग जगत में आकर कैसा लग रहा है?
फकीरा : अच्छा लगता है। जब लोग पढ़ते हैं और टिप्पणी करते हैं तो और भी अच्छा लगता है। मैं भी सबको पढ़ता हूँ, लेकिन टिप्पणियाँ थोड़ी कम करता हूँ। फिर भी सारे अच्छे ब्लॉगों पर आना जाना लगा रहता है।
कुलवंत हैप्पी : आपकी नजर में ब्लॉग सोशल नेटवर्किंग है या अभिव्यक्ति का उच्चस्तीय प्लेटफार्म?
फकीरा : देखिए, मैं ब्लॉगिंग को दोनों के बीच में रखूँगा, यह अभिव्यक्ति का प्लेटफॉर्म है, जो अभी उभर रहा है, जिसकी असली ताकत का अंदाजा अभी होना बाकी है। इसको सोशल नेटवर्किंग इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि यहाँ नए नए मित्र मिलते हैं, सोशल नेटवर्किंग वेबसाईटों की तरह।
कुलवंत हैप्पी : कोई ऐसा किस्सा जो कुछ हटकर कुछ करने के लिए प्रेरित करता हो?
फकीरा : संघर्ष करने वाले लोग मुझे बेहद प्रिय हैं, जो निराशा की गर्त से भी हीरा निकालकर ले आते हैं। एक किस्सा याद आ रहा है। एक कौए का। हमारे यहाँ दिल्ली में कौए बहुत हैं। अक्सर वो रोटी के टुकड़े उठाकर ले जाते हैं। एक दिन एक कौआ एक बहुत बड़ा रोटी का टुकड़ा उठाकर ले आया। रोटी का टुकड़ा बहुत बड़ा था। यूँ तो अक्सर कौए काँ काँ कर रोटी के टुकड़े गिरा देते हैं, पर उस कौए ने जिस समझदारी से उस टुकड़े को दो भागों में बाँटकर अपने दोनों पंजों के नीचे रखा और रोटी का आनंद लिया, असल में देखने लायक था। वैसे तो किस्से काफी हैं, लेकिन उक्त किस्सा पिछले दिनों घटित हुआ।
कुलवंत हैप्पी : ब्लॉगर साथियों और युवा सोच युवा खयालात के पाठकों के लिए कोई विशेष सुझाव?
फकीरा : खूब पढ़िए, कम लीखिए और लाजवाब लिखिए, इसके अलावा अच्छे ब्लॉगों का अनुसरण करें। युवा सोच युवा खयालात से समाज और देश का भला कीजिए, चाहे उम्र जो भी हो सोच को हमेशा युवा रखिए। बस इतना ही कहना चाहूँगा।
फकीरा' bhai ko hamari or se bahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंshekhar kumawat
यशवंत जी से एक बार मिला था कुछ ज़्यादा बात तो नही हुए पर इनके पोस्टों को पढ़ने के बाद थोड़ा बहुत अंदाज़ा लगाया..आज कुछ और विचार जानकर और खुशी हुए ब्लॉगजगत के एक नायाब हीरे से मिल कर बहुत खुशी हुए..बढ़िया प्रस्तुति.बहुत बहुत धन्यवाद कुलवंत जी
जवाब देंहटाएंयशवंत महेता 'फकीरा' जी से मिलना अच्छा लगा .. आभार !!
जवाब देंहटाएंफकीरा जी को इस तरह जानना अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंहैप्पी अभिनन्दन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार इन से मिलवाने का! बहुत उम्दा लगा!
जवाब देंहटाएं" Fakeeraa"ji se ru-b-karwaneka bahutmbahut shukriya!
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगिंग को ऐसे फकीरों की बहुत जरूरत है जो पढ़ते ज्यादा और लिखते कम हैं। जिसका सीधा सा अर्थ हुआ कि गुनते हैं और गुन गुन करके ही सार्थकता के नजदीक हुआ जाता है।
जवाब देंहटाएंहर आदमी मे होते हैं दस बीस आदमी .. फकीरा जी से मिलकर अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंयशवंत महेता 'फकीरा' जी से मिलना अच्छा लगा
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