ब्लॉगी पत्रकारिता पीत पत्रकारिता?
नेट पर पीत पत्रकारिता
ब्लॉग जगत को आए दिन प्रिंट मीडिया के धुरंधर निशाना बनाते हैं। कागजों को काला करते हैं। क्या सच में ब्लॉग जगत के भीतर पीत पत्रकारिता होती है? जहाँ लिखने की आजादी हो, यहाँ लिखने वाला खुद संपादक हो? वहाँ ऐसी बात लागू होती है क्या? हो सकता है कि कुछ व्यक्ति विशेष ऐसा कर रहे हैं, लेकिन क्या पूरे ब्लॉग जगत पर पीत पत्रकारिता का ठप्पा लगाना सही है? आखिर क्यों बार बार ब्लॉग जगत को निशाना बनाया जा रहा है? ब्लॉग जगत को बार बार निशाना बनाया जाना, प्रिंट मीडिया के धुरंधरों की हड़बड़ाहट को झलकता है। ब्लॉगर साथियों में इस विषय पर कुछ भी लिखना नहीं चाहता था, लेकिन रहा न गया। आखिर आप ही बताएं क्या? ब्लॉग जगत में केवल पेज थ्री का मेटर आता है? क्या यहाँ अच्छी कहानियाँ, कविताएं, अद्भुत लेख प्रकाशित नहीं होते? क्या यहाँ छापने वाले व्यंग अखबारों में जगह नहीं बनाते? अगर हाँ तो फिर ब्लॉग को क्यों बार बार ऐसे मजाक बनाकर पेश किया जा रहा है। या तो फोकी शोहरत के लिए चाँद पर थूका जा रहा है। आपका सोचते हैं, अपनी प्रतिक्रियाएं दर्ज करवाएं।
ब्लॉग जगत को आए दिन प्रिंट मीडिया के धुरंधर निशाना बनाते हैं। कागजों को काला करते हैं। क्या सच में ब्लॉग जगत के भीतर पीत पत्रकारिता होती है? जहाँ लिखने की आजादी हो, यहाँ लिखने वाला खुद संपादक हो? वहाँ ऐसी बात लागू होती है क्या? हो सकता है कि कुछ व्यक्ति विशेष ऐसा कर रहे हैं, लेकिन क्या पूरे ब्लॉग जगत पर पीत पत्रकारिता का ठप्पा लगाना सही है? आखिर क्यों बार बार ब्लॉग जगत को निशाना बनाया जा रहा है? ब्लॉग जगत को बार बार निशाना बनाया जाना, प्रिंट मीडिया के धुरंधरों की हड़बड़ाहट को झलकता है। ब्लॉगर साथियों में इस विषय पर कुछ भी लिखना नहीं चाहता था, लेकिन रहा न गया। आखिर आप ही बताएं क्या? ब्लॉग जगत में केवल पेज थ्री का मेटर आता है? क्या यहाँ अच्छी कहानियाँ, कविताएं, अद्भुत लेख प्रकाशित नहीं होते? क्या यहाँ छापने वाले व्यंग अखबारों में जगह नहीं बनाते? अगर हाँ तो फिर ब्लॉग को क्यों बार बार ऐसे मजाक बनाकर पेश किया जा रहा है। या तो फोकी शोहरत के लिए चाँद पर थूका जा रहा है। आपका सोचते हैं, अपनी प्रतिक्रियाएं दर्ज करवाएं।
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंsach haiheppee bhaaI
जवाब देंहटाएंपीत पत्रकारिता तो अखबारों के लिए हो्ती है।
जवाब देंहटाएंऔर ब्लाग जगत में कोइ साहित्य ले्खन नहीं हो रहा है जो अखबार और पत्र पत्रिकाएं इनकी पोस्टों से अपने कागज काले करें,वैसे भी अखबारों में स्पेस की कमी हमेशा बनी रहती है।
ब्लाग तो पर्सनल डायरी है, इसमें तुम कुछ भी लिखे जाओ, तुम्हारे गाय भैंस से लेकर कुत्ते बिल्ली तक, कुछ भी।नाक बह रही है तो जुकाम पर हो गयी एक पोस्ट्।
फ़िर अखबारों को क्यों दोष दें। ज्यादा गंभीर लिखोगे तो तुम्हारी वाट लगा दी जाएगी। जैसे चल रहा है, चलने दो यही ब्लागिंग है।
मित्र इस सवाल पर जवाब के रूप मेरे मेरे अपने विचार है ,,,जरूरी नहीं की इन से सब सहमत हो ...ब्लॉग जगत मिडिया से बहुत भिन्नता रखता है ...मिडिया की अपनी जिम्मेदारी होती है ,ऐसा कहे जो समाज के हित में हो .....ब्लॉग में भी ऐसा ही कहना चाहिए ...परन्तु ब्लॉग अपने मन की अभिव्यक्ति को प्रस्तुत करने के जरिया है ....जो अपने मन की बातों को कहने की पूरी आजादी रखता है....जरूरी नहीं वो प्रस्तुति सबको प्रभावित करे या हम उस से सहमत हो .....टिपण्णी के रूप में अपनी प्रतिक्रियाएं दे ....और फिर ऐसा नहीं है की ब्लॉग में सब कुछ फालतू ही हो ...गौर से देखे तो यहाँ पर भी कई अच्छे लेखको और कवियों का जमघट है ....मैं अपना व्यक्तिगत अनुभव बांटू तो मुझे यहाँ बहुत कुछ सीखने को मिला ...बस इतना ही कहना है
जवाब देंहटाएंmeena ji acha utar diya hai......
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है प्रिंट मीडिया के पत्रकार ........ब्लॉगर से डरने लेगे है की उनकी जगह को ब्लॉगर न हथिया ले ....इसीलिए ब्लॉग की बुराई करते फिरते है
जवाब देंहटाएंpaapi pet ka saval hai janab
जवाब देंहटाएंkuchh bhi bola to khair nahi
;-)