हैप्पी अभिनंदन में रविश कुमार
हैप्पी अभिनंदन में इस बार आपको एनडीटीवी के रिपोर्टर से एंकर तक हर किरदार में ढल जाने वाले गम्भीर व मजाकिया मिजाज के रवीश कुमार से मिलवाने की कोशिश कर रहा हूं, इस बार हैप्पी अभिनंदन में सवाल जवाब नहीं होंगे, केवल विशलेषण आधारित है, क्योंकि एक साल से ऊपर का समय हो चला है, अभी तक रवीश कुमार, जो नई सड़क पर कस्बा बनाकर बैठें हैं, की ओर से मेरे सवालों का जवाब नहीं आया, शायद वहां व्यस्तता होगी। हो सकता है कि उनके कस्बे तक मेरे सवाल न पहुंच पाए हों, या फिर उनके द्वारा भेजा जवाबी पत्र मुझ तक न आ पाया हो।
फिर मन ने कहा, क्या हुआ अगर जवाबी पत्र नहीं मिला, क्यूं न रवीश कुमार से पाठकों व ब्लॉगर साथियों की मुलाकात एक विशलेषण द्वारा करवाई जाए। रविश कुमार, ब्लॉग सेलीब्रिटी नहीं बल्कि एक सेलीब्रिटी ब्लॉगर हैं, जिनके ब्लॉग पर लोग आते हैं, क्यूंकि सेलीब्रिटियों से संबंध बनाने का अपना ही मजा है। मगर रवीश कुमार ने साबित किया है कि वह केवल सेलीब्रिटी ब्लॉगर नहीं हैं, बल्कि एक सार्थक ब्लॉगिंग भी करते हैं।
मैं पहली बार उनके ब्लॉग पर एक साथी के कहने पर पहुंचा था, जो उम्र में मुझे काफी बड़े थे, उनको पता था कि मैं ब्लॉग लिखता हूं, उन्होंने मुझे पूछा कभी रवीश को पढ़ा है, तब मैं नहीं जानता था कि रवीश कुमार कौन हैं। मैं उनको खोजा और कस्बा नामक ब्लॉग पर पहुंचा, यह कस्बा नई सड़क स्थित है।
उनका ब्लॉग उनकी नौकरीपेशा जिन्दगी से बिल्कुल अहलदा हैं, सच में, क्यूंकि वहां पर वह वो सब नहीं कर सकते, जो ब्लॉग जगत में वह बेबाक लिख सकते हैं, हर आदमी को आजादी चाहिए, चाहे वह आम आदमी हो या एक सेलीब्रिटी। कस्बा के रहवासी रवीश नरेंद्र मोदी से कोसों मील की दूरी रखते हैं, अगर उनके अगेंस्ट कोई न्यूज या स्टोरी मिल जाए तो उनकी कलम लिखते हुए आग उगलती है, वह केवल रिपोर्टर या एंकर ही नहीं, एक कवि भी हैं, जी हां, उनके ब्लॉग पर उनके भीतर का दर्द उनकी कविताओं से ही उजागर होता है। उनकी कविताएं बताती हैं कि वह मीडिया की आज की स्थिति से थोड़ा सा खफा हैं।
वो राजनीतिक मुददों पर भले प्रसून जी के मुकाबले में न खड़े होते हों, लेकिन सामाजिक मुददों को उनसे बेहतर कोई नहीं हैंडल कर सकता, उनके भीतर एक आम आदमी बसता है, जो सामाजिक मुददों को बेहतरीन तरीकों से जाना है और उठता है। वैसे उनको मजा लेने की बड़ी आदत है, यह आदत आप उनके प्राइम टाइम शो के दौरान कभी भी देख सकते हैं। आजकल उनको ब्लॉग से ज्यादा माइक्रो पोस्ट में मजा आता है, जो फेसबुक पर देखी जा सकती है, यह व्यस्त समय में अपनी बात कहने का आसान व सुखद तरीका है। वह कभी कभी फोटो से भी काम चला लेते हैं। चलते चलते इतना ही कहूंगा उनके चाहने वालों की लम्बी कतार हैं।
चलते चलते। दिग्गी सिंह, सोनिया जी आप नाराज क्यूं हो रही हैं, हमने तो राहुल के कहने पर सब बयान दिए थे, सोनिया, दिग्गी जी आपकी उम्र हो चली है, राहुल तो अभी बच्चा है, आपको तो कुछ सोचना चाहिए था।
आपका
कुलवंत हैप्पी
बढिया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा रविश कुमार जी को इस साक्षात्कार के माध्यम से और जानना!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
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