सिंघवी सीडी मामला निजता का नहीं, राष्ट्रीयता का
जब ''राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में'' को लेकर मीडिया ने कुछ चिट्ठियां लीक की तो कुछ मीडिया ग्रुप बोल रहे थे, देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में मीडिया को ऐसे समाचार प्रकाशित नहीं करने चाहिए। अब जब फिर कांग्रेस के प्रवक्ता व राज्य सभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की रिकोर्डिंग का मामला सामने आया तो मीडिया ने अपने मुंह पर ताले मार दिए और कुछ ब्लॉगर लिख रहे हैं कि यह निजता का मामला है, इस तरह उछाला नहीं जाना चाहिए, लेकिन किसी ने यह क्यूं नहीं कहा कि यह मामला निजता का नहीं, राष्ट्रीयता का है, क्यूंकि सिंघवी कोई आम आदमी नहीं, बल्कि देश का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह का हिस्सा है।
हो सकता है कि सिंघवी के दीवाने उनको एक आम आदमी मानते हों, मगर मैं उनको एक बात याद दिलाना चाहूंगा कि सिंघवी जहां राज्य सभा सांसद हैं, वहीं दूसरी ओर वह कांग्रेस के प्रवक्ता भी हैं, जो देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, जिनके कंधों पर देश को चलाने का भार है, जो कभी उसने समझा नहीं।
एक बात और जो वीडियो में सौदेबाजी हो रही है, वह देश की न्याय व्यवस्था प्रणाली से जुड़ी हुई है, जिससे हम न्याय की उम्मीद करते हैं। अगर वो व्यवस्था ही इस तरह खोखली हो जाएगी तो इंसाफ की गुहार हम किस से लगाएंगे।
हो सकता है कि सिंघवी के दीवाने उनको एक आम आदमी मानते हों, मगर मैं उनको एक बात याद दिलाना चाहूंगा कि सिंघवी जहां राज्य सभा सांसद हैं, वहीं दूसरी ओर वह कांग्रेस के प्रवक्ता भी हैं, जो देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, जिनके कंधों पर देश को चलाने का भार है, जो कभी उसने समझा नहीं।
एक बात और जो वीडियो में सौदेबाजी हो रही है, वह देश की न्याय व्यवस्था प्रणाली से जुड़ी हुई है, जिससे हम न्याय की उम्मीद करते हैं। अगर वो व्यवस्था ही इस तरह खोखली हो जाएगी तो इंसाफ की गुहार हम किस से लगाएंगे।
सिंघवी मामले में हाईकोर्ट का फैसला, न्याय प्रणाली व्यवस्था को उजागर ही तो करता है। सीडी के प्रसारण पर रोक लगाने की बात कहकर अदालत ने न्याय प्रेमियों को पूर्ण रूप से निराश किया है। जबकि कोर्ट को इस मामले में सिंघवी के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की जरूरत थी, जो न्याय पालिका को अपने बाप की जागीर समझता है।
मीडिया को नींद की गोलियां खिलाकर सुला देने वाले लोगों ने सोचा कि अब तो दुनिया उनकी मुट्ठी में है, लेकिन वह टीवी देखना भूल गए, जहां पर आईडिया कंपनी का एक शानदार विज्ञापन जोरदार आइडिया देता है। जब मीडिया ने मुंह बंद कर लिया, तब वह आइडिया ही अकेले सिंघवी की नहीं, पूरे सिस्टम की बाट लगा रहा है।
सिंघवी ने कहा कि यह किसी के भी साथ हो सकता है और यदि इस अराजकता को जारी रहने दिया गया तो यह जल्द ही हम सब को बर्बाद कर देगी। सिंघवी का यह बयान देशहित में तो लगता नहीं, क्यूंकि देश हित में सोचने वाले ऐसा कार्य नहीं करते, जो कार्य सिंघवी ने किया है। शायद वह इस बयान से उन लोगों को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनके खेमे में आते हैं।
देश को जगाने का प्रयास संघवी नहीं, यह चाय का विज्ञापन कर है, जिसमें 'देश उबल रहा है' संवाद शुमार है।
मीडिया को नींद की गोलियां खिलाकर सुला देने वाले लोगों ने सोचा कि अब तो दुनिया उनकी मुट्ठी में है, लेकिन वह टीवी देखना भूल गए, जहां पर आईडिया कंपनी का एक शानदार विज्ञापन जोरदार आइडिया देता है। जब मीडिया ने मुंह बंद कर लिया, तब वह आइडिया ही अकेले सिंघवी की नहीं, पूरे सिस्टम की बाट लगा रहा है।
सिंघवी ने कहा कि यह किसी के भी साथ हो सकता है और यदि इस अराजकता को जारी रहने दिया गया तो यह जल्द ही हम सब को बर्बाद कर देगी। सिंघवी का यह बयान देशहित में तो लगता नहीं, क्यूंकि देश हित में सोचने वाले ऐसा कार्य नहीं करते, जो कार्य सिंघवी ने किया है। शायद वह इस बयान से उन लोगों को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनके खेमे में आते हैं।
देश को जगाने का प्रयास संघवी नहीं, यह चाय का विज्ञापन कर है, जिसमें 'देश उबल रहा है' संवाद शुमार है।
are mere pyare bhai tu aajkal business kaun sa kar raha hai. aur ye blogging bahut achchhee karata hee hai. isake liye time kaise nikalta hai??
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