हैप्पी अभिनंदन में 'हरकीरत हीर'
हैप्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर शख्सियत से मिलने जा रहे हैं, वो शख्सियत अचानक ब्लॉगवुड के आसमान से उस चाँद की तरह छुप गई, जो बादलों की आढ़ में आते ही हमारी आँखों से ओझल हो जाता है, और फिर वो ही चाँद बादलों को चीरते हुए रात को फिर से रोशनमयी बना देता है। उम्मीद करता हूँ, यहाँ पर भी कुछ ऐसा ही हो..जो चाँद आज हम से दूर जाकर कहीं छुप गया है, वो भी फिर से लौट आए। पता नहीं क्यों ऐसा लगता है कि ये शख्सियत भी इस दिन के इंतजार में थी कि कोई आए और उसके मन को टोटले, और फिर वो दिल खोलकर अपने मन की सभी बातें कहकर कहीं छुप जाए। ऐसा ही कुछ हुआ है इस बार, खुद ही जाने आगे की बात।
कुलवंत हैप्पी : कौन सा वो एक दर्द है...जिसने आपको हरकीरत 'हक़ीर' से कवयित्री बना दिया?
हरकीरत : हरकीरत हक़ीर से नहीं .....हरकीरत कलसी से कहिये .....!!
इक बात कहूँ .....? आपने प्रश्न बेशक छोटा पूछा हो पर जवाब देने जाती हूँ तो सारी ज़िन्दगी सामने आ खड़ी होती है कुछ मेरी हैसियत और औकात दर्शाते शब्द यूँ आस पास रहे कि अपने आप को हकीर से ज्यादा समझ ही नहीं सकी ....' हकीर' का मतलब तो आप जानते ही होंगे ....बहुत ही क्षुद्र तुच्छ सी वस्तु ....!!
अब रही कवयित्री बनने की बात तो बचपन में शेरो-शायरी का शौक तो रहा ...और उपन्यास भी खूब पढ़ती थी मैं जासूसी से लेकर सामाजिक,साहित्यिक सभी ...किताबों में छिपाकर ... पंजाबी के भी कुछेक उपन्यास पढ़े खासकर नानक सिंह के ....'कोई हरया बूट रहियो री ', 'अद्द खिडिया फुल्ल ' आदि ...पंजाबी उपन्यास के शौकीन थे मेरे पापा ....हम तीनों भाई बहनों को आस - पास बैठा लेते और सुनाने लगते ....तब मैं बहुत छोटी थी ४,५ साल की ...पर उपन्यास की कथा बहुत लगाव से सुनती ....शायद इसी शौक ने पंजाबी भी सिखा दी ....हाँ मैंने लिखना शुरू किया विवाह के बाद .....जब दर्द करीब रहने लगे .....तब इन दीवारों और कज़ज कलम से प्यार हो गया .....वर्ना जीना कहाँ आता ....!!
कुलवंत हैप्पी : कवयित्री हरकीरत हकीर से हरकीरत हीर कैसे हुई?
हरकिरत : ये तो मैंने ब्लॉग में भी बताया था ....बहुत से मित्रों ने विरोध किया हकीर न लिखा करूँ ....फिर इमरोज़ जी का ख़त ....कवि या कलाकार 'हकीर' नहीं हुआ करते ....वे लिखते भी हकीर ही थे ....तो सोचा क्यूँ न उनका दिया नाम ही अपना लूँ .....!!
कुलवंत हैप्पी : ब्लॉग पढ़ने के बाद 'इक-दर्द' को पढ़ने की इच्छा होती है, ये काव्य संग्रह कहाँ से मिलेगा?
हरकिरत : ऐसा कुछ नहीं है " इक-दर्द " में कि पढ़ा जाये ....बस जीवन और मृत्यु से संघर्ष करती इक औरत कि दास्तां है ...साहित्यिक जैसा कुछ नहीं ....यहाँ ब्लॉग जगत में मुझ से अच्छा लिखने वाले कई हैं ....फिर भी अगर कोई पढना चाहे तो मेरे प्रकाशक से मंगवाई जा सकती है .....उनका फोन नम्बर है .....०९२३१८४५२८९.
कुलवंत हैप्पी : आपका मनपसंदीदा कवि कौन है, क्या वो ही आपके आदर्श हैं?
हरकिरत : पसंदीदा और आदर्श दोनों अमृता जी रही हैं ....अमृता जी का लिखा एक -एक शब्द मुझे भीतर तक कचोट जाता है ....इक आग जो बरसों से अपने भीतर कहीं महसूस करती हूँ उनमें आब का कम करतीं हैं अमृता जी की नज्में .....मैं उनमें डूब जाना चाहती हूँ इतनी गहराई से कि मेरा रोआं रोआं अमृता हो जाये .....ताज्जुब देखिये मेरा और अमृता का जन्मदिन भी एक ही है ....क्या पता मौत का दिन भी रब्ब ने वही निश्चित किया हो .....???
कुलवंत हैप्पी : जब आप ने साहित्य को चुना तो क्या आप के परिजनों ने विरोध किया या नहीं....??
हरकिरत : साहित्य के क्षेत्र में बहुत कम महिलाएं होंगी जिनके साथ परिजनों की दुआएं रही हों .....मेरे हिस्से के तो फूल ही जले हुए थे ....सेज के भी ....झोली के भी ....!!
कुलवंत हैप्पी : असम में हिन्दी भाषियों को पसंद नहीं किया जाता , और आपने हिन्दी काव्य की ज्योति को वहाँ पर ही ज्वलित रखा कैसे?
हरकिरत : साहित्य के क्षेत्र में ऐसा नहीं देखा मैंने .....मुझे असमियाँ साहित्य समाज भी सम्मान के साथ बुलाता है ....उनमें मैंने हिंदी साहित्य को पढने जानने की ललक भी देखी ....अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो उनका लिखा बस असम तक ही सिमित रह जायेगा ....यहाँ भी बहुत अच्छे रचनाकार हैं ...जरुरत है उनके लिखे साहित्य को अनुवाद की ....कुछेक अनुवाद का कार्य हाथ में लिया है .....उसके लिए शायद मुझे ब्लॉग बंद करना पड़ जाये ....!!
कुलवंत हैप्पी : 'इक दर्द' की सफलता के बाद दूसरा काव्य संग्रह कब तक आ रहा हैं आपका ?
हरकिरत : नज्में तो काफी हो चुकी हैं ....पर अब तक कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा कि छपवा पाऊँ ....देखती हूँ....आप सब की दुआएं चाहिए .....!!
कुलवंत हैप्पी : आप पंजाबी भी जानती हैं, ये कैसे संभव हुआ?
हरकिरत : मैं पंजाबी ही हूँ कुलवंत जी .....सिख परिवार की ....होशियारपुर जिले से हूँ ....हाँ मेरा जन्म यहाँ असम का है ....शिक्षा- दीक्षा यहाँ की है ...पर अपनी मात्र भाषा कोई थोड़े ही भूल जाता है ....यहाँ भी बहुत से सिख परिवार हैं ...गुरूद्वारे हैं ....और बंदिशें भी सिख परिवारों सी हैं ....हा....हा...हा.....!!
कुलवंत हैप्पी : जिन्दगी का कोई ऐसा लम्हा बताएं, जिसको याद करते हुए मन खुशी से गदगद हो उठता हो?
हरकिरत : कोई ऐसा लम्हा याद नहीं आ रहा .....हाँ एक बात देखी मैंने ....इंसानों में भले ही एक दुसरे से प्रेम हो या न हो ...पर ये जानवर कई बार इतना स्नेह दे जाते हैं कि ख़ुशी से आँखें छलछला आयें .....मेरे घर में एक कुत्ता है एल्सेशियन ......रोक्की पुकारती हूँ उसे ....जब भी कोई मुझसे ऊँची आवाज़ में बात करता है वह मेरे सपोर्ट में आ खड़ा होता है ....मुझे घेरकर ....किसी को मुझे हाथ तक नहीं लगाने देता ....और मैं उसे सीने से लगा फफक पड़ती हूँ .....!!
कुलवंत हैप्पी : ब्लॉगवुड और पाठकों के लिए कोई संदेश देना चाहेंगी?
हरकिरत : हाँ उनके लिए जो औरत को सम्मान नहीं दे पाते .......
बधाईयाँ जी! हरकीरत "हीर" जी से मिलकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाईयाँ।
प्रारंभ से ही हरकीरत की लेखनी से प्रभावित रही हूँ ...कही कही अमृता झलक जाती है कई बार इनके शब्दों में ....आज और भी जाना ...आभार ...
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
दर्द देखकर बहुत दुख हुआ, और भी ज्यादा दुख इसलिए कि उन्होंने ब्लॉग बंद कर दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा हरकीरत हीर जी से उनकी जुबानी मिल...
जवाब देंहटाएंइतना न सता दुनियाँ वाले
जरा अश्कों को बह जाने की मोहलत तो दे
कहीं दहक के शोला न बन जाऊं मैं
शमा हूँ शमा की ही तरह जलने दे .......!!
-क्या बात कही है!! वाह!
हरकीरक हीर जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा .. आप सबों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !!
जवाब देंहटाएंब्लॉगवुड के हीरे से मुलाकात करा कुलवंत भाई आप ने खुशदीप को हैप्पी कर दिया...नहीं, नहीं... खुश कर दित्ता...
जवाब देंहटाएंहीर के इक दर्द में ही संसार की हर शह का हर इक फ़साना है,
इक धुंध से आना है, इक धुंध में जाना है...
जय हिंद...
बहुत अच्छा लगा हरकीरत हीर जी से उन्ही के बारे में इतना कुछ जान कर शुक्रिया कुलवंत जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा हरकीरत जी के बारे मे जान कर।ाप दोनो का धन्यवाद। गनतंत्र दिवस की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअपने फ़न की माहिर इस सखशियत के बारे मे जानकर बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंइतना न सता दुनियाँ वाले
जरा अश्कों को बह जाने की मोहलत तो दे
कहीं दहक के शोला न बन जाऊं मैं
शमा हूँ शमा की ही तरह जलने दे .......!!
लाजवाब. बहुत शुभकमनाएं.
रामराम.
हरकीरत जी के बारे में कुछ और जानकारियाँ आपकी पोस्ट से मिलीं
जवाब देंहटाएंआभार आपका
बी एस पाबला
bahut acha laga harkirt ji se milkar ......dhanybaad kulwant ji
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंहरकीरत जी के बारे मे जान कर बहुत अच्छा लगा
आपका आभार
हरकीरत जी की जुबानी उन्ही की कहानी सुन दिल खुश हो गया,उनकी नायब नज्मों से तो परिचित थे ही,आज करीब से भी जान लिया ...ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व से रु-ब-रु कराने का बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंहरकीरत जी को उन्ही की ज़ुबानी जानना बहुत अच्छा लगा ...... हम तो मुरीद हैं इन की रचनाओं के ........ आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई ........
जवाब देंहटाएंharkirat ji ke jeevan ke anchhuye pahluon se ru-b-ru karwane ke liye aapki aabhari hun.
जवाब देंहटाएंKuldip bhai
जवाब देंहटाएंHarkirat jee ka ek tippani mujhe mere pichle post par mila tha tab hin maine unke blog ko dekha..
Sadhi hui lekhani..Shabdon ko badhne ki kala unme hay..magar aapka ye post
unke chupe un pahluon ko baata gaya jo shayad dusre logon ki tarah mai bhi janna chahta tha..
Dhanwad prerna dene wale logo ko hamse rubaru karane ke liye.
अरे! वाह! हरकीरत जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा........
जवाब देंहटाएंथैंक्स हैप्पी........
बहुत अच्छा लगा हरकीरत हीर जी से उनकी जुबानी मिलना ..
जवाब देंहटाएंआपका आभार...
गणतंत्र दिवस की शुभकामना...!!
हरकीरत जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये और बधाई .
इस साक्षात्कार में प्रत्यक्ष अनुभव की बात की गई है, इसलिए सारे शब्द अर्थवान हो उठे हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, हरकीरत जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंहरकीरत 'हीर' जी के बारे में जान कर अच्छा लगा...ये जानकार और भी अच्छा लगा कि वो असम की हैं...मैं भी गुवाहाटी में दो साल तक रह चुका हूँ
जवाब देंहटाएंbahut accha laga...aur harkirat ji ko dusri amrita keha jaye to galat bhi nahi...maine amrita ji ko bhi bahut jyada nahi padha..par jitna bhi padha..uska hi aks yahan bhi nazar aata hai ...
जवाब देंहटाएंहरकीरत जी के बारे में कुछ और जानकारियाँ आपकी पोस्ट से मिलीं
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