एक संवाद, जो बदल देगा जिन्दगी


धूप की चिड़िया मेरे आँगन में खेल रही थी, और मेरी माँ की उंगलियाँ मेरे बालों में, जो सरसों के तेल से पूरी तरह भीगी हुई थी। इतने में एक व्यक्ति घर के भीतर घुस आया, वो देखने में माँगने वाला लगता था। उसने आते ही कहा "माता जी, कुछ खाने को मिलेगा"। घर कोई आए और भूख चला जाए हो नहीं सकता था। मेरी माँ ने मेरी बहन को कहा "जाओ रसोई से रोटी और सब्जी लाकर दो"। वो रोटी और एक कटोरी में सब्जी डालकर ले आई। उसने खाना खाने के बाद और जाने से पहले कहा "मैं हाथ भी देख लेता हूं"। मेरी माँ ने मेरा हाथ आगे करते हुए कहा "इस लड़के का हाथ देकर कुछ बताओ"। उसने कहा "वो हाथ दो, ये हाथ तो लड़कियाँ दिखाती हैं"। उसने हाथ की लकीरों को गौर से देखा, फिर मेरे माथे की तरफ देखा। दोनों काम पूरे करने के बाद बोला "तुम्हारा बच्चा बहुत बड़ा आदमी बनेगा"। वो ही शब्द कहे, जो हर माँ सुनना चाहती है

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उस बात को आज 14 साल हो चले हैं, उस माँ का बेटा बड़ा आदमी तो नहीं बना, लेकिन चतुर चोर बन गया, जो अच्छी चीजों को बिना स्पर्श किए चुरा लेता है। जनाब! लड़कियों के दिल नहीं, बल्कि कुछ अच्छे संदेशवाहक शब्द एवं पंक्तियाँ, ताकि इतर की तरह उनको हवा में फैला सके, और सब उसकी खुशबू का आनंद ले सके। एक चोरी, जो मैंने आज से कुछ साल पहले की थी, लेकिन आज उसको सार्वजनिक करने जा रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि मैं अपने मकसद में कामयाब हूँ। बात है कुछ साल पहले की, जब मैं और मेरी छमकछल्लो दीपावली के मौके शाहरुख खान की फिल्म 'ओम शांति ओम' देखने सिनेमाहाल में गए, फिल्म तो कुछ खास न थी परंतु उस फिल्म में एक संवाद था, जो दिल को छू गया। उसको सुनने के बाद दिल ने कहा "लिखने वाले ने कितनी शिद्दत से लिखा होगा"।

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वो संवाद था 'हमारी हिन्दी फिल्मों की तरह हमारी जिन्दगी में आखिर तक सब कुछ ठीक हो जाता है, और अगर ऐसा न हो तो समझो फिल्म अभी बाकी है मेरे दोस्त'। इंसान की आदत है कि वो बुरे वक्त के आते ही घुटने टेक देता है। उस स्थिति के साथ दो चार हाथ करने की क्षमता खो देता है। वो ऐसे उसके सामने हथियार डाल देता है, जैसे युद्ध के मैदान में कोई बुजदिल हमलावर, क्योंकि योद्धा कभी हथियार नहीं डालता। बुरे वक्त में इंसान को लगने लगता है कि अब उसका अच्छा वक्त कभी नहीं आएगा, लेकिन ये गलत धारणा है क्योंकि अगर आपका अच्छा वक्त नहीं रहा तो आपका बुरा वक्त भी चिरस्थायी नहीं है। अगर हमारी जिन्दगी में बुरा वक्त न आए तो हमें दुखों को सहन करने का ढंग नहीं आता, इसलिए जब बुरा वक्त पड़े तो मेरे दोस्तों सोचो फिल्म अभी बाकी है। ये शब्द आपको याद दिलाएंगे कि बुरे वक्त के बाद अच्छा वक्त हमेशा आता है, जैसे कि दिन के बाद रात और रात के बाद दिन।

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जाते जाते बस इतना ही कहूँगा कि एक दफा अकबर ने बीरबल से कहा कि तुम कुछ ऐसा लिखो, जिसको गम में पढ़े तो खुशी हो और खुशी में पढ़े तो गम हो। बीरबल ने तुरंत लिख दिया "ये वक्त गुजर जाएगा"।

टिप्पणियाँ

  1. कवि और चोर की गति है एक समान्।
    दिल की चोरी कवि करे,लूटे चोर मकान्॥


    कलम के योद्धा पी सी गोदियाल-"चिट्ठाकार चर्चा"

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  2. बता कर चोरी करने वाले को डाकू , लुटेरा कहा जाता है.... चोर नहीं ..
    अच्छी और बुरी दोनों ही परिस्थितियों में " ये भी गुजर जायेगा " स्मरण रखने योग्य है ....!!

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  3. ये वक्त गुजर जायेगा...:)

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  4. बहुत शानदार। सार्थक लेख।

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  5. बिल्‍कुल दुरुस्‍त फरमाया कुलदीप। पर क्‍या हम सब चोर नहीं हैं ?

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  6. @विनाश जी, मैं आपको चोर कैसे कह सकता हूँ? अगर आप भी इस श्रेणी आते हैं तो मैं जरूर कहूँगा। स्वागतम।

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  7. मुझे भी एक ज्योतिशी ने कहा था कि तुम्हारे पास सब कुछ होगा जहां तक कि चौपईया वाहन भी मैं हंसी थी चौपईया वाहन तो है दो साईकिल एक मेरा एक मेरे पति का हो गये चार पहिये लेकिन आज उसकी सभी बातें अक्षर्श: सच साबित हुयी। तुम भी बच्चा बडे आदमी बनोगे अभी उम्र ही क्या हुयी है । बहुत बहुत आशीर्वाद्

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