प्रेम की परिभाषा

"अगर मैं तुम्हें फोन न कर सकूँ समय पर, या फिर समय पर फोन न उठा सकूँ, तो तुम बुरा मत मनाना, और कुछ भी मत सोचना। अगर सोचना हो तो बस इतना सोचना कि मैं किसी काम में व्यस्त हूँ।" फोन पर उसने महोदयजी के कुछ कहने से पहले ही सफाई देते हुए कह दिया। अब अगर गिला करने की इच्छा भी हो, तो गिला न कर सकोगे।


इतना सुनते ही महोदयजी शुरू पड़ गए, 'तुमसे कई सालों तक बात न करूँ या हररोज करूँ, मुझे उसमें दूर दूर तक कोई फर्क दिखाई ही नहीं पड़ता। आज तुमसे ढेर सारी बातें कर रहा हूँ, आज भी तुम मेरे लिए वो ही हो, जो तुम पहले हुआ करती थी, जब  मेरे पास तेरा मोबाइल नम्बर भी न था।'
"ठीक ठीक अब तुम चुप करो" उसने महोदयजी की बात को बीच में से काटते हुए कहा क्योंकि वो जानती थी कि एक बार महोदयजी को बोलने का मौका मिल जाए, तो फिर जब तक सामने वाला चुप न कराए तब तक महोदयजी चुप नहीं होते।

फिर भी महोदयजी कहां चुप होने वाले थे, उन्होंने अपना भाषण शुरू रखा, "तुमको पता है अगर तुम कल को किसी दूसरे से शादी कर लोगी तो मुझे तब भी तुमसे उतना ही प्रेम रहेगा, जितना आज है। सच में प्रेम कभी खत्म न होगा, मेरे शरीर खत्म हो सकता लेकिन प्रेम खत्म न होगा। जब तेरी ये काली नागिन सी जुल्फें डँसना छोड़ देंगी, जब तेरे चाँद से चेहरे पर उम्र अपना असर छोड़ देगी, काली काली आंखों के ऊपर वाली काली भौहें सफेद रंग में रंग जाएंगी, तभी मेरा प्रेम कम न होगा। तुम अचानक एक दिन बाजार में मिलोगी, और तुमको देखते ही मैं फिर से जवान हो उठूँगा।"

'तुम बंद करो! ये प्यार का भाषण' उसने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा। लेकिन महोदयजी के प्रेम भाषण के साथ उसका लगाव देखो, वो फोन नहीं काट रही। वो चाहे तो फोन काट सकती है, लेकिन वो ऐसा नहीं करेगी। क्योंकि उसको पता है कि फोन काटते महोदयजी का भाषण तो समाप्त हो जाएगा, लेकिन दिमाग में महोदयजी का आधा अधूरा संदेश घूमता रहेगा, जिससे सिरदर्द होने का भय है।

महोदयजी ने उसकी बात को नजरंदाज करते हुए अपना भाषण जारी रखते हुए पूछा 'तुम जानती हो..मीरा कौन थी? उसने कहा, तुम तो पागल हो गए हो। महोदयजी ने कहा, पागलपन ही तो प्रेम की सही अवस्था है, जब तक तुम पागल अवस्था में नहीं पहुंचोगे, तो तुम मीरा न हो सकोगी, तुम बुल्ले शाह न हो सकोगी।  तुम प्रेम न कर सकोगी। प्रेम पागलपन की अवस्था में ही हो सकता। तुमने कभी किसी पागल को स्वार्थ साधते देखा है। उसने कहा 'वो पागल है वो स्वार्थ क्या साधेगा'।

उसके उत्तर का जवाब देते महोदय जी ने कहा कि जहाँ स्वार्थ न होगा, वहीं सही प्रेम होगा, और वो भी प्रेम जीवंत,  हमेशा के लिए है। जहाँ प्रेम स्वार्थ से हुआ है, उस प्रेम की उम्र तो सिर्फ उस स्वार्थ तक, जैसे स्वार्थ खत्म प्रेम की मृत्यु। असली प्रेम तो सदैव जीवंत रहता है, उसकी कभी मृत्यु नहीं होती, तुम खुद देख लो, मीरा का प्रेम आज भी जिन्दा है, बुल्ले शाह का प्रेम आज भी जीवंत है। प्रेम कभी खत्म नहीं होता, तुम खत्म हो जाते हो। मैंने तुमसे इस तरह का प्रेम किया है, जो मुझे तुमसे कभी भी जुदा नहीं कर सकेगा। तुम किसी भी रूप में आओ, मुझे स्वीकार हो। तुम्हें हैरानी हो रही होगी, मैंने कहा किसी भी रूप में, तुम कहोगी बहन रूप, पत्नि रूप, माँ रूप, रूप तो बहुत हैं, लेकिन जिस प्रेम में तुम पूरी उतर सको, उस प्रेम के रूप में आओ, मुझे कोई गिला नहीं। अगर तुम दूर भी रहो, फोन भी न उठाओ, तो भी तुम्हारे के लिए प्रेम मेरे हृदय में सदैव के लिए है। वो कभी खत्म नहीं होगा।

'ठीक ठीक है, प्रेम खत्म नहीं होगा, अगर आपका भाषण खत्म न हुआ तो मैं मोबाइल बैलेंस खत्म हो जाएगा' महोदय जी! हमारी बात मोबाइल पर हो रही है, आमने सामने नहीं उसने याद दिलाते हुए कहा।

टिप्पणियाँ

  1. हा हा हा हा ये आज के प्रेम की तस्वीर है । बहुत सुन्दर कहानी है आज इतनी बातें सुनने का समय किस के पास है आओ और आई लव यू कहो बस प्रेम हो गया । सही लिखा है बधाई ,, आशीर्वाद्

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  2. भाई वाह क्या बात है , आजकल एक दम डूब कर लिख रहे हो , मजेदार व लाजवाब लगी आपकी ये पोस्ट ।

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  3. कुलवंत इन्‍हें सेम नेटवर्क पर अनलिमिटेड फ्री टॉक टाइम वाले मोबाइल थमा दो और आप कीबोर्ड जमा लो फिर जाम से जाम प्‍यार के टकरायेंगे। सब अनुभव जमा हो जायेंगे। उबल उबल कर बाहर आयेंगे। इन्‍हें रोको मत। इन्‍हें टोको मत। इनको सुनकर चौंको मत। इनको देता हूं मैं सौ प्रतिशत मत।

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  4. आजकल मोबाईल बडा काम आ रहा है।
    ईश्क के मामले मे तो गजब ढा रहा है।


    बढिया पोस्ट
    जय हिंद

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  5. प्रेम है मन की मधुर इक भावना,
    अनुभूति प्यास में डूबी हुई इक कामना...

    जय हिंद...

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  6. avinash ji ne sahi kaha hai..........aaj ke prem ke bare mein.

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  7. ओए बल्ले बल्ले लिखा है।

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  8. सही है कि प्रेम कभी मरता नहीं, अंग्रेज कवि जान कीट्स का कहना है कि एक युग के प्रेमी भले ही उस दौर के साथ चले जाएँ लेकिन प्रेम फिर भी कहीं न कहीं स्कूलों, कॉलेजों में किसी ना किसी रूप में नवयुवकों और नवयौवनाओं में जीवंत रहता है।

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  9. wakt kitna bhi badal jaye lakin prem ki paribhasha to sadiyo sadiyo tak ek hi hoti hai .....bahut badhiya kissa sunaya hai aapne aaj ke jamane ka.

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  10. pyar ko shabdo ki jarurat nahi hoti ye to mahsus karne wali bhavna hai,,..bina ummed ke sab kuchh arpit karne ki chahat hoti hai.......achha likha hai..

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  11. pyar ko shabdo ki jarurat nahi hoti ye to mahsus karne wali bhavna hai,,..bina ummed ke sab kuchh arpit karne ki chahat hoti hai.......achha likha hai..

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  12. Achha laga aapka lekh.......
    Aaj to pyar ke mayane hi badal gaye hai... Meera jaisa prem ab kahan...... phir bhi pyar to pyar hai use jis roop mein liya jay wahi uske liye pyara....................
    Samyik lekh ke liye badhai

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  13. vaah....vaah....balle...balle.... vaise avinaash ji ne theek farmaya hai is baabat.....!!

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