हैप्पी अभिनंदन में अविनाश वाचस्पति


 आज जिस ब्लॉगर से आप रूबरू होने जा रहे हैं, वो हस्ती फ़िल्म समारोह निदेशालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, नई दिल्ली में कार्यरत तो है, लेकिन हमारी और उनकी मुलाकात हमेशा तेताला, बगीची, अविनाश वाचस्पति, झकाझक टाइम्स, नुक्कड़, पिताजी के अलावा भी कई जगहों पर हो जाती है। हरियाणवी फ़ीचर फ़िल्मों 'गुलाबो', 'छोटी साली' और 'ज़र, जोरू और ज़मीन' में प्रचार और जन-संपर्क तथा नेत्रदान पर बनी हिंदी टेली फ़िल्म 'ज्योति संकल्प' में सहायक निर्देशक रह चुके अविनाशजी को काव्य से इतना लगाव है कि टिप्पणी रूप में भी काव्य ही लिखते हैं और कविता अपने विभिन्‍न रूपों यथा गीत, गाना के माध्‍यम से जन-जन को सदा से लुभाती रही है।
यह कहना अतिश्‍योक्ति नहीं होगा कि इनकी टिप्‍पणियों ने इनका एक विशेष पाठक वर्ग तैयार कर दिया है जिसमें से मैं भी एक हूं। इतना ही नहीं, नई दिल्ली से प्रकाशित दैनिक नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, जनसत्ता, जयपुर की अहा जिंदगी मासिक पत्रिका जैसे अनेक प्रिंट मीडिया माध्‍यमों में अपनी लेखनी का लोहा मनवा चुके दिल्लीवासी कीबोर्ड खटरागी इस साल अलबेला खत्री डॉट कॉम द्वारा स्थापित ‘सर्वोत्तम ब्लॉगर पुरस्कार 2009’ भी जीतने में सफल हो गए। जबकि अलबेला खत्री जी ने इसे कुछ अपरिहार्य कारणों से स्‍थगित कर दिया है। केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद के आजीवन सदस्‍य, 'साहित्यालंकार', 'साहित्यदीप' उपाधियों और राष्ट्रीय ‘हिंदी सेवी सहस्त्राब्दी सम्मान' से सम्मानित अविनाश वाचस्पति से हुई ई-मेल टॉक के मुख्य बिंदु :-

कुलवंत हैप्पी : क्या आपका वो ही ड्रेस कोड है, जो अमिताभ श्रीवास्तव ने "औसतन कद-काठी, गले में टंगा चश्मा, कमर में बान्ध रखा बैग, अपनत्व की मुस्कान और मिलनसार व्यक्तित्व की ऊर्जा लिये दमकता चेहरा' अपने ब्लॉग अमिताभ कुछ खास है! में बताया है?

अविनाश : आप स्‍वयं मिल मिलाकर देख लें। यहां सच्‍चाई और दिखाई बिल्‍कुल समान है। अब जो है सो है। यह ब्‍लॉगजगत है फिल्‍मजगत तो है नहीं, जो मिलने के लिए आते समय भी मेकअप करवा कर आते हैं। ‘जैसा हूँ जहां हूं’ के आधार पर सदा उपलब्‍ध हूँ मैं। जब सफर में रहता हूं तो कमर का बैग कमर से अवश्‍य लिपटा रहता है।

कुलवंत हैप्पी : आपको कैसा लगता है, जब आपका नाम ब्लॉगर्स सेलीब्रिटी की श्रेणी में आता है?
अविनाश : आपका नाम 'हैप्‍पी' है तो आप सबको खुशियाँ ही बांटते हैं। ऐसा महसूस हो रहा है। आपने यह मुलाकात आरंभ कर वास्‍तव में खुशियों को सांझा करने का एक बेहतरीन कदम पूरी शिद्दत से उठाया है। ब्‍लॉगर में भी सेलीब्रिटी और उसमें मेरा नाम, क्‍या कह रहे हैं आप कुलवंत जी। ब्‍लॉगर सेलीब्रिटी के लिए अमिताभ बच्‍चन, आमिर खान, शाहरूख खान, मनोज बाजपेयी, लालू यादव, लालकृष्‍ण आडवाणी इत्‍यादि खूब सारे हैं तो। आप कहीं इनके साथ मेरी तुलना करके मेरी खिंचाई तो नहीं कर रहे हैं। ऐसा कुछ नहीं है, पर अगर आप कह रहे हैं और अगर ऐसा है तो अच्‍छा ही लगेगा, परंतु इससे जिम्‍मेदारी और बढ़ जाएगी मेरी। वैसे जिम्‍मेदारियों से घबराने वाला नहीं हूँ मैं। परन्‍तु वे सभी नेक कार्य तो मैं बिना सेलीब्रिटी बने ही कर सकता हूँ। इसके लिए "मुझे सेलीब्रिटी बनाने की कोनो जरूरत नाहीं है भाई"। पर आपसे ऐसा सुनकर मन में अजीब किस्‍म की गुदगुदी होने लगी है।

कुलवंत हैप्पी : कहीं पप्पू की आड़ में आप अपनी या अपने पड़ोसी की स्थिति तो नहीं लिखते?
अविनाश : न अपनी, न पड़ोसी की, आप क्‍यों नहीं समझ रहे हैं कि यह प्रत्‍येक पढ़ने वाले की स्थिति का वर्णन है। हम सब ही पप्‍पू हैं। कुछ लोग घर में हैं। पर इस पप्‍पूपने को मानना सबसे जरूरी है। हम सब कुछ होते हैं पर मानना स्‍वीकारना कहां चाहते हैं। सच्‍चाई और गलतियों को मानना स्‍वीकारना आ जाए तो ... अपना एक पुराना कथन फिर से दोहरा रहा हूं कि यह दुनिया स्‍वर्ग बन जाए और प्रत्‍येक व्‍यक्ति स्‍वर्गवासी और बिना मरे स्‍वर्गवासी सब बनना चाहते हैं मतलब जीते जी स्‍वर्ग की सुविधाएं तो हासिल हो जाएं परन्‍तु नर्क की यातनाएं हमारे पड़ोसी को मिलें, दुश्‍मनों को मिले- इस प्रवृति से बचना होगा। इससे बच गए तो बिना मरे स्‍वर्ग मिल जाएगा। और रही पप्‍पू की स्थिति की सच्‍चाई तो इन अनुभवों से अच्‍छा-अच्‍छा सीखने में कामयाबी मिलती है तो मेरा लिखना सार्थक है अन्‍यथा इसका कोई अर्थ नहीं। इस पर मुझे टिप्‍पणी की चाहना भी नहीं है, पर मिल जाती है तो सहर्ष स्‍वीकार है। अच्‍छी भली बातों का जितना प्रचार प्रसार हो, समाज के लिए हितकर है। इसी आशय की प्राप्ति के ‘मानस के मोती’ गूगल समूह बना रखा है जिसके माध्‍यम से अपनी बेकार भी और सबकी अच्‍छी-अच्‍छी सूचनायें साझा करता रहता हूं।

कुलवंत हैप्पी : आप पर आरोप है कि आप परिवार और दफ्तर से ज्यादा ब्लॉगिंग पर ध्यान देते हैं?
अविनाश : मुझे तो यह आरोप से अधिक सम्‍मान लगता है। लगाने वाले भी मेरे अपने ही हैं। घर पर मेरी पत्‍नी और ब्‍लॉग जगत में मेरे चाहने वाले। मैं भी सच्‍चाई से मुंह क्‍यों फेरूं और यह भी बतलाना चाहता हूँ कि आप सबका प्रेम देखकर दिल करता है कि नौकरी वगैरह सब छोड़छाड़ कर ब्‍लॉग जगत में छलांग एक लांग लगा दूं और बस लिखता पढ़ता ही रहूं 48 घंटे। मेरा बस चले तो सोना भी छोड़ दूं परंतु इसके बिना गुजारा नहीं होगा और नौकरी के बिना भी। अगर ऐसी कंपनियां आ जाएं जो हिन्‍दी ब्‍लॉगर को प्रायोजित करें तो सबसे पहले मैं नौकरी छोड़ दूंगा वैसे हो सकता है बिना प्रायोजन के भी छोड़ दूं। इतना मन रम गया है सबके नेह में।

कुलवंत हैप्पी : जिन्दगी का कोई ऐसा राज जो किसी को आप बताना नहीं चाहते?

अविनाश : जब किसी को बताना ही नहीं चाहता हूं तो फिर आपको भी क्‍यूं बतलाऊं ? वैसे मैं जो बतला रहा हूं वे सब राज ही हैं। जिन्‍हें लोग जानते नहीं हैं और जान रहे हैं तो वे राज ही हैं उनके लिए जो आज वे जान पा रहे हैं।


कुलवंत हैप्पी : कोई ऐसा सवाल, जो पूछने में रह गया हो, जिसका उत्तर आप देना स्वयं देना सबसे ज्यादा पसंद करेंगे?
अविनाश : सवाल तो बहुत सारे छूट गए हैं और जब तक जिंदगी है छूटते ही रहेंगे जब जिंदगी छूटेगी तो सवालों का छूटना भी निश्चित ही बंद हो जाएगा। वैसे जो पाठक मेरे बारे में और अधिक जानना चाहते हैं वे ताऊडॉटइन परिचयनामा, मीडिया मंच   कल्‍पतरू
मुम्‍बई टाईगर भड़ास मन का पाखी इयत्‍ता, सारथी इत्‍यादि को पढ़कर मेरे बारे में जानसमझ सकते हैं और फिर भी अगर कोई जिज्ञासा है तो मेरे से फोन नंबर 09868166586 या 09711537664 अथवा ई मेल avinashvachaspati@gmail.com पर पूछ सकते हैं। मुझे खुशी होगी अगर मैं किसी की भी तनिक सी जिज्ञासा का शमन कर पाया। वैसे इंटरनेट पर किसी भी सर्च इंजन में मेरा नाम लिखकर सामग्री और तस्‍वीरों की तलाश की जा सकती है। जितनी जानकारी वहां पर है उतनी तो स्‍वयं मेरे पास भी नहीं है।

कुलवंत हैप्पी : कोई यादगार हसीन पल, जो ब्लॉगर्स के साथ शेयर करना चाहते हों?
अविनाश : सबसे हसीन पल तो यही है जब आपसे बात हो रही है। भला इससे हसीन पल भी कोई हो सकता है और इसके बाद जब पाठक इस बातचीत को पढ़ रहे होंगे तो वो सबसे हसीन पल होगा। आपने मुझे मुलाकात के योग्‍य समझा, मुलाकात की, सेलीब्रिटी कहकर मान बढ़ाया - इसके लिए मन से आभारी हूं। हसीन सीन नये-नये दृश्‍यों के आने से बदलते रहते हैं – परिवर्तन ही प्रकृति है।

कुलवंत हैप्पी : आपकी 'दिल्ली टू गोवा यात्रा' रोचक थी, इस यात्रा का सौभाग्य कैसा प्राप्त हुआ? और इस यात्रा के दौरान कई ब्लॉगरों से मिले, तो कैसा लगा?
अविनाश : सच कहूं तो दिल्ली-गोवा यात्रा पिछले 6 बरस से लगातार जारी है। पिछली बार ममता टीवी की ममता श्रीवास्‍तव, अशोक धेरेकर से मुलाकात हुई थी। इस बरस ब्‍लॉगरों का आग्रह था कि मुंबई आइये तो मैं गोवा से अपना कार्य संपन्‍न करके मुंबई पहुंचा और वहां पर सबसे मिलकर खूब आनंद आया। इस संबंध में ब्‍लॉग जगत के सक्रिय पाठक विभिन्‍न ब्‍लॉगों में इस बारे में खूब पढ़ चुके हैं। इसे देखकर महसूस हो रहा है कि ब्‍लॉगिंग का भविष्‍य बहुत सुनहरा है। इतना सुनहरा कि सोने की चमक भी इसके आगे फीकी पड़ जायेगी। ब्‍लॉगिंग बिना चीनी के इतनी मीठी है कि डायबिटीज से ग्रस्‍त भी इसका बेडर प्रयोग कर सकते हैं जैसे मैं कर रहा हूं और इसकी निस्‍सीमता में।

कुलवंत हैप्‍पी : और अंत में ...

अविनाश : यह अंत नहीं शुरूआत है और आपको और सभी को भविष्‍य की बेहतर हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के लिए अनंत शुभकामनायें।


चक्क दे फट्टे  : बाबा जी मैं अपनी पत्नि से बेहद तंग हूँ, कोई उपाय बताएं। बेटा जी अगर उपाय जानते तो आज हम भी बाबा न होते।




टिप्पणियाँ

  1. बहुत शानदार, ऐसे ही मिलवाते रहें। इस बहाने जानने को मिल जाता है।

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  2. आज अविनाश जी से रुबरु मिल लिए, बडा अच्छा लगा, आपको शुभाकामनाएं, है्प्पी अभिनंदन

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  3. अविनाश जी हैं ही इस ब्लॉग जगत के एक नामी महापुरुष उनके योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता चाहे ब्लॉगर्स के हित में उठे उनके कदम हो चाहे ब्लॉगर्स सम्मेलन का प्रयास सब कुछ अतुलनीय है..कुलवंत जी बहुत बहुत धन्यवाद मुलाकात का यह अंश बहुत बढ़िया लगा....सुंदर प्रस्तुति

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  4. अविनाश भाई से यहाँ मिल कर अच्छा लगा. बहुत आभार आपका.

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  5. अविनाश जी को पढना काफी मजेदार होता है. और उनके बारे में पड़ना भी उतना ही मजेदार रहा.
    बढ़िया इंटरव्यू हैप्पीजी.

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  6. अविनाश भाई एक जिंदादिल इंसान हैं और उतने ही अच्छे ब्लोग्गर , सभी नए पुराने ब्लोग्गर्स के मार्गदर्शक भी ,आज उनसे एक और मुलाकात हुई मजा आया
    अजय कुमार झा

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  7. बहुत अच्‍छा लगा ये साक्षात्‍कार .. अविनाश वाचस्‍पति जी से मिलवाने का शुक्रिया !!

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  8. बेनामी1/12/2010 12:04 pm

    बच्चा अविनाश वाचस्पति! लो आ गए तुम्हारे ब्लॉग पर, अब तो खुश हो न? तुम्हारे बारे में क्या जानना है, तुम्हे तो हम बहुत ही करीब से जानते हैं, तुम भी हमें बहुत अच्छी तरह से जानते हो, पर हम खुलकर सामने नहीं आ सकते, हमारी मजबूरी है ! कल्याण हो !

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  9. हैप्पी हैप्पी रही ये मुलाक़ात.

    अविनाश जी से तो गुफ्तगू होती रहती है.

    कुलवंत भाई, अब आप एक जिम्मेदार और परिपक्व पत्रकार बन गए हैं...

    - सुलभ

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  10. इस नेक काम के लिए आप बधाई के पात्र हें।

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  11. bahut khoob kulavantji, happy rahe, happy vaatavaran banaaye rakhe, isi tarah.., achhi mulakate jyada yaad rahti he, yadi insaan behatar va apne hi jagat se ho to aour adhik sansmaran tathaa smratiyaa sanjo detaa he../

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  12. अविनाश जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा.

    आपका आभार

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  13. जो जो पहली बार मिले
    वे जो बार बार मिले
    और अब जो आयेंगे मिलने
    मिले तो और भी हैं
    जो मौन हैं
    कुछ इसलिए
    हिन्‍दी में टिप्‍पणी कैसे करें
    कुछ सिर्फ पढ़ते समझते हैं
    पर अपनी राय बतलाने में झिझकते हैं
    यही झिझक तो तोड़नी है
    सबको ब्‍लॉग से और हिन्‍दी से
    जोड़ना है
    लत इसकी बुरी नहीं है
    हालत इसकी अच्‍छी हो रही है
    लागत इस पर कम हो रही है
    देखिये कंप्‍यूटर भी सस्‍ते
    और हो रहा है ब्रॉडबैंड इंटरनेट भी सस्‍ता
    सस्‍ते में मिल रहा है
    हिन्‍दी को आगे बढ़ने का रस्‍ता
    इस पर सभी चलते जायें
    मिल जुल कर सभी कदम बढ़ायें
    और कोई कठिनाई आये
    तो बेझिझक हमें बतलायें।

    आभार चौदह का
    आप सोच रहे होंगे
    टिप्‍पणियां आई तेरह
    और आभार एक और का
    अपने भी आभारी हो गये
    नहीं ऐसा नहीं है जी
    ऐसी गुस्‍ताखी नहीं करूंगा
    पर कुलवंत जी का नहीं किया आभार
    तो आप भी क्‍यों हैप्‍पी होंगे सरकार।

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  14. हैप्पी हैं अविनाश सदा,अविनाश बन गये हैप्पी.
    हैप्पी और अविनाश की जोङी, करे सभी को हैप्पी.
    करे सभी को हैप्पी, चौदह क्या चौदह सौ!
    नाम की बात नहीं, काम उत्तम सबकी सौं.
    कह साधक ये कर सकते हैं, नाखुशियों का नाश.
    ‘अविनाश बनगये हैं हैप्पी, हैप्पी हैं सदा अविनाश.

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  15. अजी साधू बाबा जी से मिल कर ओर उन के दर्शन कर के बहुत अच्छा लगा, आप का धन्यवाद

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  16. अविनाश जी से तो पहले से ही परिचित थे... उनके बारे में और जान कर अच्छा लगा

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  17. वाह कुलवंत जी !! मै तो जब ब्लॉगजगत में प्रवेश किया था तो इन्ही से पला पडा था मुझे तो पता ही नहीं था कौन क्या है !!! पर मैंने इन्हें एक ही बार में कह दिया भाई आप कमाल है !! बिना कविता के कुछ बोलते ही नहीं!!! इतने सुलझे हुए हैं की कहीं उलझन नाम की कोई गुन्जाईस ही नहीं है!!! अविनाशजी एक चलती फिरती रचनाओं का भण्डार हैं ! आज सबसे ज्यादा ब्लॉग जगत में मुझे लगता है अविनाशजी ही लिखते हैं! वैसे इनसे पहले से परिचय है पर जो कुछ बचा हुआ था उसकी कसार आपने पूरी कर दी !! सुन्दर साक्षात्कार!!!

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  18. धन्यबाद कुलवंत जी अविनाश जी के बारे में कौन नहीं जानता और जानने की इच्छा नहीं रखता काफी कुरेदा है आप ने बधाई स्वीकार करे
    सादर
    प्रवीण पथिक
    ९९७१९६९०८४

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  19. अरे !!
    हमे भी चस्का इन्होने ही लगवाया जी ब्लागिग का
    हिंदी में लिखना पढ़ना भी
    धन्यवाद कुलवंत जी !!!

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  20. बहुत बढ़िया !! अविनाशजी !!! चमत्कारी सींगो को तेल चढाते रहिये !!सरसों का !!! कल्याण ही होगा जल्द ही आपसे मुलाक़ात होगी!!

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  21. साक्षात्कार से अविनाश जी के राज बेपर्दा हो गए .
    सुंदर प्रश्नोतरी के लिए हैप्पी जी ने हैप्पी कर दिया .

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  22. हम समझे कि हम खूब जानते है
    अब तो शोध ही करना पडेगा बाबा अविनाशी पर

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  23. आभारी हूं बाकी दस का भी
    वैसे दस के दम से परिचित
    हैं सभी, आप हैं न।

    शोध अवश्‍य कीजिए हरि जी
    क्रोध कभी न कीजिए
    करना पड़े क्रोध तो पीछे मत रहिये
    भ्रष्‍टाचार, रिश्‍वत का मुंह तोडि़ये
    सारी बुराईयां का सिर भी फोडि़ये
    पर क्‍या करेंगे शोध में
    आना पड़ेगा मेरे विरोध में।

    शोध में वही तो तलाशा जाता है
    जो वैसे नहीं पाया जाता है
    जब वैसे ही सब पाया है तो
    शोध के लिए क्‍यूं भरमा रहे हो
    ?

    जवाब देंहटाएं

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