दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के नाम 'खुला पत्र'
दक्षिण कोरिया की समस्या भी आबादी से जुड़ी है, और भारत की भी। भारत बढ़ती हुई आबादी को लेकर चिंतित है तो दक्षिण कोरिया अपनी सिमटती आबादी को लेकर। यहाँ भारत को डर है कि आबादी के मामले में वो अपने पड़ोसी देश चीन से आगे न निकल जाए, वहीं दक्षिण कोरिया को डर है कि वो अपने पड़ोसी देश जापान से भी आबादी के मामले में पीछे न रह जाए। अपनी समस्या से निपटने के लिए जहाँ भारत में पैसे दे देकर पुरुष नसबंदी करवाई जा रही है, वहीं दक्षिण कोरिया में दफ्तर जल्दी बंद कर घर जाने के ऑर्डर जारी किए गए हैं, और तो और, ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले दम्पतियों को पुरस्कृत किया जा रहा है।
देश के गणतंत्रता दिवस के मौके पर ऐसे दो देश एक साथ थे, जो आबादी को लेकर चिंतित हैं, एक घटती को और एक बढ़ती आबादी को लेकर। आज से कई दशकों पहले भारत में भी कुछ ऐसा ही हाल था, जिस घर में जितनी ज्यादा संतानें, उसको उतना अच्छा माना जाता था। मैं दूर नहीं जाऊंगा, सच में दूर नहीं जाऊंगा। मेरी नानी के घर सात संतानें थी और मेरी दादी के घर छ:, जबकि दादा की आठ, क्योंकि मेरे दादा की दो शादियाँ हुई थी। जितना मेरे दादा-नाना ने अपने समय में परिवार को फैलाने में जोर दिया, उतना ही अब हम महंगाई के जमाने में परिवार को सीमित करने में जोर लगा रहे हैं।
गणतंत्रता दिवस के मौके पर अब जब दक्षिण कोरिया राष्ट्रपति ली म्यूंग बाक भारत यात्रा पर आएं हैं, तो वो केवल नई दिल्ली के राजपथ का नजारा देखकर न जाएं, मेरी निजी राय है उनको। इस यात्रा के दौरान उन्हें भारत की पूरी यात्रा करनी चाहिए, उनको बढ़ती आबादी के बुरे प्रभाव देखकर जाने चाहिए, ताकि कल को म्यूंग का पड़पोता आगे चलकर ऐसा न कहे कि मेरे पड़दादा ने फरमान जारी किया था, आबादी बढ़ाओ, और आज की सत्ताधारी सरकार कह रही है कि आबादी घटाओ।
मुझे यहाँ पर एक चुटकला याद आ रहा है। एक ट्रेन में एक गरीब व्यक्ति भीख माँगता घूम रहा था, उसके कपड़े बहुत मैले थे, वो कई दिनों से नहाया नहीं था। उसकी ऐसी हालत देखकर एक दरिया दिल इंसान को दया आई, और उसने उसको सौ का नोट निकालकर देना चाहा। सौ का नोट देखते ही वो भिखारी बिना किसी देरी के बोला, साहिब कभी मैं भी ऐसे ही दरिया दिल हुआ करता था। इसलिए मेरी दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति को निजी राय है कि वो दरियादिली जरा सोचकर दिखाए, वरना भारत होने में उसको भी कोई ज्यादा समय न लगेगा, वैसे अगर वहाँ काम करने वालों के कमी महसूस हो रही है तो भारत में बेरोजगारों की भी एक बड़ी फौज है, वो चाहें तो जाते जाते भारत का भला कर जाएं।
जय हिन्द
बहुत अच्छी पोस्ट!
जवाब देंहटाएंदक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के नाम आपका शानदार पत्र पढ़कर अच्छा लगा। सच में उसको भारत भ्रमण करना चाहिए।
जवाब देंहटाएंमोहित सिंगला, दिल्ली
बहुत सटीक और सामयिक लिखा है. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बेहतरीन पत्राचार के माध्यम से उम्दा विश्लेषण!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कुलवन्त आशीर्वाद लगे रहो।
जवाब देंहटाएं" लेकिन उस चिंता से निटपने के लिए यत्न बहुत अलग अलग हैं, सच में।"
जवाब देंहटाएंलेकिन उस चिंता से निटपने के लिए यत्न बहुत अलग अलग हैं, सच में।
बहुत सटीक लिखा है
जवाब देंहटाएंपढ़कर अच्छा लगा
बहुत अच्छी पोस्ट!
शुभकामनाएं.
vaah aah...
जवाब देंहटाएंsaarthak chintan
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