कौन हूँ मैं


हिन्दु हूँ
या
मुस्लिम हूँ
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
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बस!
इतना जानूँ
मानवता
धर्म मेरा
है यही
कर्म मेरा
बहता दरिया,
चलती पौन हूँ
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
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दुनिया
एक रंगमंच
तो कलाकार हूँ मैं
धर्म रहित
जात रहित
एक किरदार हूँ मैं
जात के नाम पर
अक्सर
होता मौन हूँ मैं
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
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जिन्दगी
है एक सफर
तो मुसाफिर हूँ मैं
जो छुपता नहीं
धर्म की आढ़ में
वो काफिर हूँ मैं
काट दूँ एकलव्य का अंगूठा
न कोई द्रोण हूँ मैं
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
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पौन-पवन,



टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर जो आत्मा कहें वही हूँ मैं .. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओ के साथ ...

    जवाब देंहटाएं
  2. har koi to aaz isi asmanjas main hai ..kaun hoon main? sunder abhivyakti.

    जवाब देंहटाएं
  3. कौन हुं मैं?

    युगों से अनुतरित है यह प्रश्न. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  4. जबरदस्त रचना!

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं

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