टिप बॉक्स का कमाल
खाना खाने के बाद टिप देना स्टेटस बन चुका है, अगर आप ने खाना खाने के बाद टिप न दी तो शायद आपको महसूस होगा कि आज मैंने बड़े होटल में खाना नहीं खाया, वैसे टिप देना बुरी बात नहीं, इससे सर्विस देने वाले का मनोबल बढ़ता है। मगर आज तक आपने टिप केवल उस व्यक्ित को दी, जो आपके पास अंत में बिल लेकर आता है, शायद बिल देने वाला वह व्यक्ित नहीं होता, जो आपको खाने के दौरान सर्विस दे रहा होता है।
पिछले दिनों मैं जेबीएम कंपनी के मुख्यालय अपने काम से गया हुआ था, वहां पर शाम को एमडी अशोक मंगुकिया जी बोले, आज आपको एक बेहतरीन जगह पर खाना खिलाने के लिए लेकर जाता हूं, वहां की सर्विस व खाना दोनों की बेहतरीन हैं। उनकी बात से मुझे इंदौर सरवटे बस स्टेंड स्िथत गुरुकृपा होटल की याद आ गई, जिसकी सर्विस और खाना असल में तारीफ लायक है। सूरत के आरटीओ कार्यालय के निकट स्िथत सासुमा गुजराती रेस्टोरेंट में पहुंचते ही एमडी ने वेटर को खाना लाने के लिए इशारा किया, वह खाना लेने चला गया, लेकिन मैं खाने का स्वाद नहीं ले सकता था, क्योंकि मेरा उस दिन उपवास था, ऐसे में मैं इधर उधर, नजर दौड़ा रहा था, इतने में मेरी निगाह रेस्टोरेंट में मुख्य काउंटर पर पड़े टिप बॉक्स पर गई, और मैंने तत्काल कहा, एमडी जी, यहां फर्स्ट सर्विस का मुख्य कारण वह टिप बॉक्स है, जो सबको बराबर पैसे बांटता है, जिसके कारण, कर्मचारियों का मनोबल बना रहता है, और उनकी काम के प्रति रुचि कम नहीं होती।
मेरे खयाल से ऐसे टिप बॉक्स बड़े बड़े होटलों में होने चाहिए, क्योंकि टिप देने वाले तो टिप देते ही हैं, फिर क्यूं न उनके द्वारा दी गई राशि वहां काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ित को मिले, चाहे वह रसोई में खाना परोसने वाला हो, चाहे वह टेबल पर खाना लाने वाला हो। मुझे टिप बॉक्स वाला विचार अच्छा लगा, लेकिन आप इसके बारे में क्या कहते हैं, जरूर लिखिए।
सही कहा आपने, आपसे सहमत ...
जवाब देंहटाएंसही कहा अपने..
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने।
जवाब देंहटाएंBahut hee achchhee baat par aapane gour kiya. Samuhik tip box ka funda bahut achchha laga. Tip ki rashi samuche staff men bantna chahiye.
जवाब देंहटाएंRGds Vishal