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सदन में जो हुआ, उसे रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल तक सीमित न करें

सांसद रमेश बिधूड़ी के बोल बिगड़े कहकर मामले में इतना सतही मत कीजिये। सांसद रमेश बिधूड़ी ने सांसद दानिश अली को संबोधित करते हुए सदन के भीतर जो कुछ भी कहा, सबसे पहले तो उसको संसदीय रिकॉर्ड से हटाया नहीं जाना चाहिए। साथ ही, उसे जस का तस स्वीकार किया जाना चाहिए। तैश हो या नशा दोनों एक समान है। दोनों ही व्यक्ति के असली चरित्र को बाहर लाते हैं। वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि रमेश बिधूड़ी दोनों ही अवस्थाओं में हैं – एक तैश और दूसरा सत्ता का नशा।  मैं तो कहूंगा कि सांसद रमेश बिधूड़ी का स्वागत करना चाहिए। सांसद रमेश बिधूड़ी को जस का तस स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि हम तो रोजमर्रा की जिंदगी कहते हैं कि, मैं जैसा व्यक्ति हूं वैसा ही मुझे स्वीकार करो। मुझे फेक लोगों से नफरत है। अब जब सदन में रमेश बिधूड़ी ने फेक लिबास उतार फेंका तो आपको बुरा लग रहा है। सांसद रमेश बिधूड़ी से मुंह फेरना सत्य की ओर पीठ करने के समान होगा क्योंकि आप सत्य से मुंह फेर रहे हैं, जो रमेश बिधूड़ी ने बोला वो सत्य है या नहीं जांच का विषय है, पर, जो रमेश बिधूड़ी नजर आ रहे हैं, वो सोलह आने खरा सत्य है, उसको झूठलाया नहीं जा सकता

यदि ऐसा है तो गुजरात में अब की बार भी कमल ही खिलेगा!

गुजरात विधान चुनाव के पहले चरण के मतदान में गिनती के 9 दिन बचे हैं। दूसरे चरण के मतदान के लिए 14 दिन, भले ही 3 साल बीतने के बाद भी देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी विकास की मुंह दिखाई न कर सके हों, लेकिन, 18 दिसंबर 2017 को 'गुजरात का किंग कौन' के रहस्य से पर्दा उठ जाएगा, जिसको लेकर इस समय गुजरात में राजनीतिक पारा अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में संबोधित करते हुए कहा था कि 151 गिन लो। यह वो ही आंकड़ा है, जो सोमनाथ में इस साल के आरंभ में आयोजित भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में तय हुआ था, बस फर्क इतना है​ कि उस समय केवल 150 से अधिक सीटों का संकल्प कहा गया था। लेकिन, आज से कुछ महीने पहले, जब जीएसटी लागू नहीं हुआ था, तब एक बड़े पद की जिम्मेदारी संभाल रहे भाजपा नेता से मैंने व्यक्तिगत स्तर पर बात की थी, और पूछा था कि इस बार गुजरात चुनाव में जनता का रूझान क्या है? उनका कहना था कि 80 सीट तो हाथ में हैं। उनका मतलब साफ था कि 119 सीटों के साथ सत्ता में बैठी भाजपा के लिए डगर आसान नहीं है। संसदीय समिति के सामने पेश

जय शाह के कारोबार पर द वायर की रिपोर्ट से केंद्र सरकार को क्यों लगा करंट?

हाल ही में द वायर ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय अमितभाई शाह की कंपनी के टर्नओवर को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया। पत्रकार रोहिणी सिंह ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के दस्तावेजों का हवाला देते हुए द वायर के लिए सनसनीखेज स्टोरी करते हुए लिखा कि मोदी सरकार आने के बाद 16000 गुना बढ़ा अमित शाह के बेटे की कंपनी का टर्नओवर। रोहिणी सिंह ने ही 2011 में इकनॉमिक टाइम्स में रॉबर्ट वाड्रा के कारोबार का सनसनीखेज खुलासा किया था। इस खुलासे ने कांग्रेस की नोका डुबाने में अहम भूमिका निभायी थी। याद ही होगा कि 2014 में लोक सभा चुनावों का प्रचार करते हुए नरेंद्र मोदी ने रॉबर्ट वाड्रा का हवाला देते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था। उस समय रोहिणी सिंह की स्टोरी भाजपा को बड़ी स्वादिष्ट लग रही थी और बीजेपी की तरह कांग्रेस भी रॉबर्ट वाड्रा के बचाव में उतरी थी। और भाजपा सरकार ने अपने रेल मंत्री पीयूष गोयल को जय शाह के बचाव में उतारकर कांग्रेस की बराबरी करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इस मामले में हैरानीजनक बात तो यह है कि जय शाह मानहानि का केस अहमदाबाद में ठोकते हैं, और उस

गुजरात में भाजपा की स्थिति ख़राब, मीडिया को भी बदलने पड़ रहे हैं तेवर

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शुक्रवार को एनडीटीवी सोशल मीडिया नेटवर्क वेबसाइटों पर तैरने लगा। ख़बर आई कि एनडीटीवी की 40 फीसद हिस्सेदारी नरेंद्र मोदी के करीबी कारोबारी और स्पाइस जेट के संस्थापक अजय सिंह ने खरीद ली, जिनकी बदौलत भारत को अबकी बार मोदी सरकार जैसा नारा मिला था। हालांकि, शाम होते होते एनडीटीवी ने बीएसई को पत्र लिखकर मामले में अपना पक्ष रखते हुए सभी ख़बरों की हवा निकाल दी। मगर, अभी भी टेलीविजन से जुड़े कुछ सूत्रों का कहना है कि एनडीटीवी के कार्यालय में परिवर्तन होना शुरू हो चुका है। वैसे आग के बिना धुंआं होता नहीं, लेकिन, जब महिला ही गर्भवती न होने की पुष्टि कर दे, तो दूसरे लोगों के शोर मचाने से क्या होगा? ​अब तो बस इंतजार करना होगा, गर्भवती महिला की तरह एनडीटीवी के पेट बाहर आने का। शुक्रवार से ठीक एक दिन पहले सोशल मीडिया पर ऐसी भी चर्चा थी कि एनडीटीवी गुजरात में प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि, ऐसा भी कुछ देखने में नहीं मिला। दिलचस्प बात तो यह है कि इस पूरे घटनाक्रम में जी मीडिया के शेयरों को झटका लगा और एनडीटीवी के शेयर बाजार में खूब उछले। मीडिया जगत से एक और ख़बर सामने आ रही है, जो गुजरात से ज

महात्मा गांधी के एक श्लोक ''अहिंसा परमो धर्म'' ने देश नपुंसक बना दिया!

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जब खुद में लड़ने का दम नहीं था तो गीता के श्लोक को आधा करके लोगों को नपुंसक बना दिया। भारत में अहिंसा के पुजारी का ढोंग करने वाले महात्मा गाँधी ने हिन्दुओं की सभा में हमेशा यही श्लोक पढ़ते थे लेकिन हिन्दुओं को कायर रखने के लिए गांधी इस श्लोक को अधूरा ही पढ़ता था। ऐसी सैंकड़ों बातें आपको इंटरनेट पर तैरती हुई मिल जाएंगी, जब आप ''अहिंसा परमो धर्म:'' श्लोक को कॉपी पेस्ट करके गूगल सर्च में खोजने निकलेंगे। इस साहित्य को लिखने वाले आपको बताएंगे कि ''अहिंसा परमो धर्म'' अधूरा श्लोक है जबकि पूरा श्लोक तो 'अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:' है, जिसका अर्थ है कि अहिंसा परम् धर्म है, तो धर्म के लिए हिंसा भी परम् धर्म है। महात्मा गांधी का शरीर तो नत्थू राम गोडसे ने गोलियों से मार डाला। अब गोडसे के अनुयायी की ओर से महात्मा गांधी के विचारों को मारने की कोशिश पुरजोर चल रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सोशल मीडिया पर कॉपी पेस्ट चलन के कारण उनके सफल होने की संभावनाएं ज्यादा हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि नरफत की आबोहवा पैदा करने के लिए लिखने वाले बेहतर जा