तो मोदी का सिर मांग लेता मीडिया
सुषमा स्वराज टि्वट के जरिए लोगों को संबोधित करते हुए कहती हैं, 'मैं आपकी भावनाओं को समझती हूं, आपके गुस्से का सत्कार करती हूं, हमें कुछ वक्त दें, हम बातचीत कर रहे हैं, जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचेंगे'। उधर, तस्लीमा नस्रीन लिखती हैं, 'यह औरतों की सुरक्षा का सवाल नहीं, केवल औरतों के लिए नहीं, बल्कि मानव अधिकारों का सवाल है, हर किसी को इस मार्च में शामिल होना चाहिए'।
वहीं आजसमाज ने टि्वट पर लिखा है कि अगर यह मसला गुजरात के अंदर बना होता तो मीडिया अब तक नरेंद्र मोदी का सिर मांग चुका होता, लेकिन अभी तक मीडिया एवं अन्य पार्टियों ने शीला दीक्षित से नैतिकता के तौर पर अस्तीफा देने जैसे सवाल नहीं उठाए।
वहीं कुछ मित्रों ने फेसबुक पर लिखा है कि लोगों का जनाक्रोश अब किसी दूसरी तरफ मोड़ खाता नजर आ रहा है, ऐसे में किसी अनहोनी के होने से पहले लोगों को सतर्क होते हुए वापिस जाना चाहिए।
वहीं, मीडिया के रुख पर गुस्साए अभिनेता परेश रावल अपने टि्वट पर लिखते हैं, ''ख़बर कमरे में बैठकर लोगों के गुस्से को गलत बताने वाले पत्रकारों को घटनास्थल पर जाकर आंसू गोलों, पानी की ठंडी बौछारों का सामना करना चाहिए, और फिर बताएं प्रदर्शनकारियों का गुस्सा गलत या सही।
वहीं आजसमाज ने टि्वट पर लिखा है कि अगर यह मसला गुजरात के अंदर बना होता तो मीडिया अब तक नरेंद्र मोदी का सिर मांग चुका होता, लेकिन अभी तक मीडिया एवं अन्य पार्टियों ने शीला दीक्षित से नैतिकता के तौर पर अस्तीफा देने जैसे सवाल नहीं उठाए।
वहीं कुछ मित्रों ने फेसबुक पर लिखा है कि लोगों का जनाक्रोश अब किसी दूसरी तरफ मोड़ खाता नजर आ रहा है, ऐसे में किसी अनहोनी के होने से पहले लोगों को सतर्क होते हुए वापिस जाना चाहिए।
वहीं, मीडिया के रुख पर गुस्साए अभिनेता परेश रावल अपने टि्वट पर लिखते हैं, ''ख़बर कमरे में बैठकर लोगों के गुस्से को गलत बताने वाले पत्रकारों को घटनास्थल पर जाकर आंसू गोलों, पानी की ठंडी बौछारों का सामना करना चाहिए, और फिर बताएं प्रदर्शनकारियों का गुस्सा गलत या सही।
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