शेखर कपूर का ''पानी''
कहते हैं हर चीज का एक अपना समय होता है। वक्त से पहले और नसीब से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता। कुछ ऐसा हुआ है शेखर कपूर के ''पानी'' मिशन के साथ। शेखर कपूर को हटकर फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है। शेखर कपूर की फिल्में आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं चाहते वो मासूम हो या मिस्टर इंडिया या बैडिट क्वीन। उसके बाद शेखर कपूर ने हिन्दी सिने के लिए टाइम मशीन बनाने की कोशिश की, जो कोशिश किसी कारण सफल न हो सकी, मगर 13 साल पहले लिखी कहानी ''पानी'' को आखिर बहने के लिए रास्ता मिल ही गया, और 2013 तक यह पानी सिनेमा घरों तक आएगा।
6 दिसम्बर को 67 साल पूरे करने जा रहे शेखर कपूर के लिए 2013 बेहद अहम होगा, क्यूंकि इस साल वो अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में उनका साथ यशराज बैनर्स देने वाला है, जो पिछले कुछ सालों से लगातार बॉक्स ऑफिस पर मोटी कमाई कर रहा है। भले यशराज बैनर की फिल्में उतना जादू सिने खिड़की पर न दिखा पाती हों, जितने की उनसे उम्मीद की जाती है, फिर भी कमाई के मुकाबले में कोई जवाब नहीं यशराज बैनर का, प्रचार से जो चीज बेचने की कला है।
इस ग्रुप के साथ हाथ मिलाते ही शेखर कपूर का ''पानी'' काफी प्रीमियम हो गया, क्यूंकि शेखर कपूर जितने अच्छे निर्देशक हैं, आदित्य चोपड़ा उतना ही अच्छा फिल्म प्रोमोटर है। वो बाजार को समझते हैं, वो पहले ही दिन बहुत बड़ी राशि बॉक्स ऑफिस से ले उड़ते हैं, अगले तीन दिनों में बजट पूरा कर लेते हैं।
शेखर कपूर को बोनी कपूर बुला रहे थे, लेकिन शेखर नहीं आए, बोनी कपूर चाहते थे कि शेखर कपूर मिस्टर इंडिया का रीमेक बनाएं, मगर शेखर कहते हैं कि हर चीज का समय होता है, जो चीज बन गई, वो उस समय और परिस्थितियों के कारण बन गई। उसको फिर बना पा मुश्किल है। शेखर कपूर समझदार निर्देशक हैं, वो कुछ नया करने के लिए फिल्म बनाते हैं, पुराने को दोहराकर पैसा कमाने के लिए नहीं या फिर कहूं कि दूसरों की गलतियों से सीखने वाले इंसान हैं शेखर कपूर। राम गोपाल की आग को कोई नहीं भूला, जो शोले से बनी थी, शायद रामगोपाल भी कभी नहीं भूला पाएंगे।
शेखर कपूर ने 1994 के बाद भले ही भारतीय सिने जगत के लिए कोई कृति न रची हो, मगर हॉलीवुड में उनके काम को सराहा जा रहा है, उन्होंने एलिजाबेथ द गोल्डनन ऐज, फौर फेदर, आई लव न्यूयार्क एवं पेसेज जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। भारत से उनका प्रेम कभी छूटा नहीं, वो टिवटर पर अपने विचार प्रकट करते रहते हैं, उनकी निगाह भारत के हर क्षेत्र पर हैं। जब देश काले धन या लोक पाल बिल जैसे मुद्दों के लिए संघर्षरत है, तब शेखर कपूर को ''पानी'' के निर्माण के लिए यशराज बैनर मिला। उक्त मुद्दों से कहीं गुना ज्यादा गम्भीर विषय है, लेकिन देखना अब यह है कि यशराज एवं शेखर कपूर का पानी दर्शकों को किस दिशा में बहाकर लेकर जाता है।
6 दिसम्बर को 67 साल पूरे करने जा रहे शेखर कपूर के लिए 2013 बेहद अहम होगा, क्यूंकि इस साल वो अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में उनका साथ यशराज बैनर्स देने वाला है, जो पिछले कुछ सालों से लगातार बॉक्स ऑफिस पर मोटी कमाई कर रहा है। भले यशराज बैनर की फिल्में उतना जादू सिने खिड़की पर न दिखा पाती हों, जितने की उनसे उम्मीद की जाती है, फिर भी कमाई के मुकाबले में कोई जवाब नहीं यशराज बैनर का, प्रचार से जो चीज बेचने की कला है।
इस ग्रुप के साथ हाथ मिलाते ही शेखर कपूर का ''पानी'' काफी प्रीमियम हो गया, क्यूंकि शेखर कपूर जितने अच्छे निर्देशक हैं, आदित्य चोपड़ा उतना ही अच्छा फिल्म प्रोमोटर है। वो बाजार को समझते हैं, वो पहले ही दिन बहुत बड़ी राशि बॉक्स ऑफिस से ले उड़ते हैं, अगले तीन दिनों में बजट पूरा कर लेते हैं।
शेखर कपूर को बोनी कपूर बुला रहे थे, लेकिन शेखर नहीं आए, बोनी कपूर चाहते थे कि शेखर कपूर मिस्टर इंडिया का रीमेक बनाएं, मगर शेखर कहते हैं कि हर चीज का समय होता है, जो चीज बन गई, वो उस समय और परिस्थितियों के कारण बन गई। उसको फिर बना पा मुश्किल है। शेखर कपूर समझदार निर्देशक हैं, वो कुछ नया करने के लिए फिल्म बनाते हैं, पुराने को दोहराकर पैसा कमाने के लिए नहीं या फिर कहूं कि दूसरों की गलतियों से सीखने वाले इंसान हैं शेखर कपूर। राम गोपाल की आग को कोई नहीं भूला, जो शोले से बनी थी, शायद रामगोपाल भी कभी नहीं भूला पाएंगे।
शेखर कपूर ने 1994 के बाद भले ही भारतीय सिने जगत के लिए कोई कृति न रची हो, मगर हॉलीवुड में उनके काम को सराहा जा रहा है, उन्होंने एलिजाबेथ द गोल्डनन ऐज, फौर फेदर, आई लव न्यूयार्क एवं पेसेज जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। भारत से उनका प्रेम कभी छूटा नहीं, वो टिवटर पर अपने विचार प्रकट करते रहते हैं, उनकी निगाह भारत के हर क्षेत्र पर हैं। जब देश काले धन या लोक पाल बिल जैसे मुद्दों के लिए संघर्षरत है, तब शेखर कपूर को ''पानी'' के निर्माण के लिए यशराज बैनर मिला। उक्त मुद्दों से कहीं गुना ज्यादा गम्भीर विषय है, लेकिन देखना अब यह है कि यशराज एवं शेखर कपूर का पानी दर्शकों को किस दिशा में बहाकर लेकर जाता है।
सुन्दर प्रस्तुति !!
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