चलेगी सलमान ख़ान की दबंगिरी
-: वाईआरएन सर्विस :-
इस साल की मेगा बजट एवं अंतिम फिल्म दबंग 2 बॉक्स ऑफिस पर इतिहास बनाने में सफल रहेगी। बॉलीवुड पर निगाह रखने वाले जी-ईटीसी बॉलीवुड ने अपने टि्वटर खाते पर लिखा है कि पूरे भारत में इस फिल्म के शाम के शो पूरी तरह पहले से हाऊसफुल हैं, इतना ही नहीं सलमान ख़ान की लोकप्रियता को देखते हुए सिनेमा मालिकों ने टिकटों रेटों में भी इजाफा किया है। एक था टाइगर के वक्त भी ऐसा ही हुआ था।
फिल्म दबंग टू की फिल्म समीक्षा को लेकर सभी फिल्म समीक्षक अलग अलग राय रखते हैं, लेकिन सलमान ख़ान की उपस्थिति होने के कारण फिल्म के हिट होने की गारंटी जरूर दे रहे हैं। हिन्दी वेबदुनिया के फिल्म समीक्षक समय ताम्रकर एक जगह लिखते हैं, 'दबंग 2 एक तरह से दबंग का ही रीमेक है। इसमें नया कुछ नहीं है। दरअसल यह फिल्म उन लोगों के लिए है जिन्हें चुलबुल की चुलबुली हरकतें पसंद हैं'। सोनाक्षी सिन्हा के बारे में लिखते हैं कि चुलबुल की बुलबुल सोनाक्षी सिन्हा बीच-बीच में कपड़े सुखाती रहती हैं, जिससे पता चलता रहता है कि वे भी फिल्म में हैं।
एनडीटीवी ख़बर पर प्रशांत सिसोदिया फिल्म की समीक्षा करते हुए लिखते हैं कि शुरू के करीब 15 मिनट की फिल्म देखकर लगा कि बॉलीवुड में भी एक रजनीकांत का जन्म हो गया है, यानी सलमान खान, जिन्हें दर्शक किसी भी रूप में पसंद करते हैं और उनके लिए तालियां और सीटियां बजाते हैं, पर यह कहना जरूरी है कि फिल्म सिर्फ और सिर्फ सलमान खान की है। कहानी में कोई नयापन नहीं है। गाने अच्छे हैं, लेकिन कहानी के साथ पिरोए नहीं गए। हालांकि जितने अच्छे डायलॉग 'दबंग' के थे, उतने 'दबंग-2' के नहीं हैं। हां, चुलबुल पांडे के किरदार को थोड़ा और तराशा गया है। चुलबुल और उनके पिता बने विनोद के साथ कुछ अच्छे सीन्स और खूबसूरत लम्हे दिखाए गए हैं।
हिन्दी डॉट इन डॉट कॉम पर फिल्म की समीक्षा करते हुए लिखते हैं कि कुछ छोटी बातों को छोड़ दें तो यह फिल्म काफी मनोरंजक है और पांडे जी मल्टीप्लेक्स में काफी सीटी बटोरेंगे। ‘दबंग 2’ आपको कहीं भी बोर नहीं होने देती, पर अपने पहले भाग के बराबर नहीं कही जा सकती।
युवा रॉक्स व्यू - एक था टाइगर में कुछ नहीं था, फिर भी दो सौ करोड़ से ऊपर की कमाई करने में सफल रही, यह तो फिर भी सलमान की कॉमेडी कम एक्शन फिल्म है, जिस पर पैसे खर्च करने के बाद दर्शक ज्यादा नहीं तो यह तो कहेंगे पैसा वसूल।
उधर, फिल्म निर्देशक कुणाल कोहली अपने टि्वटर खाते पर लिखते हैं कि हॉलीवुड हेज स्पाइडरमैन, सुपरमैन, बट बॉलीवुड हेज सलमान। कुल मिलाकर कहें तो सलमान ख़ान के साथ किस्मत है, और जिसके साथ किस्मत है, वो किसी को भी मात दे सकता है।
फिल्म दबंग टू की फिल्म समीक्षा को लेकर सभी फिल्म समीक्षक अलग अलग राय रखते हैं, लेकिन सलमान ख़ान की उपस्थिति होने के कारण फिल्म के हिट होने की गारंटी जरूर दे रहे हैं। हिन्दी वेबदुनिया के फिल्म समीक्षक समय ताम्रकर एक जगह लिखते हैं, 'दबंग 2 एक तरह से दबंग का ही रीमेक है। इसमें नया कुछ नहीं है। दरअसल यह फिल्म उन लोगों के लिए है जिन्हें चुलबुल की चुलबुली हरकतें पसंद हैं'। सोनाक्षी सिन्हा के बारे में लिखते हैं कि चुलबुल की बुलबुल सोनाक्षी सिन्हा बीच-बीच में कपड़े सुखाती रहती हैं, जिससे पता चलता रहता है कि वे भी फिल्म में हैं।
एनडीटीवी ख़बर पर प्रशांत सिसोदिया फिल्म की समीक्षा करते हुए लिखते हैं कि शुरू के करीब 15 मिनट की फिल्म देखकर लगा कि बॉलीवुड में भी एक रजनीकांत का जन्म हो गया है, यानी सलमान खान, जिन्हें दर्शक किसी भी रूप में पसंद करते हैं और उनके लिए तालियां और सीटियां बजाते हैं, पर यह कहना जरूरी है कि फिल्म सिर्फ और सिर्फ सलमान खान की है। कहानी में कोई नयापन नहीं है। गाने अच्छे हैं, लेकिन कहानी के साथ पिरोए नहीं गए। हालांकि जितने अच्छे डायलॉग 'दबंग' के थे, उतने 'दबंग-2' के नहीं हैं। हां, चुलबुल पांडे के किरदार को थोड़ा और तराशा गया है। चुलबुल और उनके पिता बने विनोद के साथ कुछ अच्छे सीन्स और खूबसूरत लम्हे दिखाए गए हैं।
हिन्दी डॉट इन डॉट कॉम पर फिल्म की समीक्षा करते हुए लिखते हैं कि कुछ छोटी बातों को छोड़ दें तो यह फिल्म काफी मनोरंजक है और पांडे जी मल्टीप्लेक्स में काफी सीटी बटोरेंगे। ‘दबंग 2’ आपको कहीं भी बोर नहीं होने देती, पर अपने पहले भाग के बराबर नहीं कही जा सकती।
युवा रॉक्स व्यू - एक था टाइगर में कुछ नहीं था, फिर भी दो सौ करोड़ से ऊपर की कमाई करने में सफल रही, यह तो फिर भी सलमान की कॉमेडी कम एक्शन फिल्म है, जिस पर पैसे खर्च करने के बाद दर्शक ज्यादा नहीं तो यह तो कहेंगे पैसा वसूल।
उधर, फिल्म निर्देशक कुणाल कोहली अपने टि्वटर खाते पर लिखते हैं कि हॉलीवुड हेज स्पाइडरमैन, सुपरमैन, बट बॉलीवुड हेज सलमान। कुल मिलाकर कहें तो सलमान ख़ान के साथ किस्मत है, और जिसके साथ किस्मत है, वो किसी को भी मात दे सकता है।
वो तो हमेशा से चल ही रही है बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति फाँसी : पूर्ण समाधान नहीं
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