गुजरात विस चुनाव 2012 बनाम नरेंद्र मोदी
गुजरात विधान सभा चुनाव 2012 पर भारत की ही नहीं, बल्कि विश्व की निगाह टिकी हुई है, क्यूंकि नरेंद्र मोदी हैट्रिक बनाने की तरफ अग्रसर हैं, और उनका प्रचार प्रसार राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रचार कर चुकी पीआर एजेंसी के पास है, जो प्रचार पसार के लिए नए नए हथकंडे अपनाने के लिए बेहद तेज है। इतना प्रचार तो आदित्य चोपड़ा और आमिर ख़ान भी नहीं कर पाते, जितना प्रचार नरेंद्र मोदी का हो रहा है। अक्षय कुमार की तरह मीडिया की नजरंदाजी के बावजूद अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब रहे नरेंद्र मोदी, आज सबसे ज्यादा चर्चित नेता हैं।
आख़िर कैसे देते हैं हर बात का जवाब
नरेंद्र मोदी एक दिन में सबसे ज्यादा प्रचार रैलियां करने वाले शायद भारत के पहले नेता होंगे, फिर भी वो हर भाषण का पलटकर जवाब दे रहे हैं। इसके पीछे एक ही कारण है कि मोदी ने अपने आस पास ऐसे लोगों का घेरा बनाया हुआ है जो मीडिया के संपर्क में हैं, कुछ मीडिया संस्थान तो विरोधी नेताओं द्वारा अलग अलग स्थानों पर दिए गए, बयानों की कॉपियां पल पल नरेंद्र मोदी तक पहुंचाते हैं, और मोदी कभी भी पटकथा तैयार कर रैली को संबोधित नहीं करते, वो कांग्रेस के बयानों पर चुटकी लेते हुए जनता को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं, सबसे बड़ी बात यह है कि वो गुजराती हैं, जिसके कारण उनका संपर्क जनता से बहुत आसानी से हो जाता है, जबकि कांग्रेस के पास बड़े नेताओं में केवल और केवल हिन्दी भाषी हैं, जो कहीं न कहीं गुजरात की धरती पर फेल हो रहे हैं।
त्रिकोणी लड़ाई में फायदे की संभावना
पिछले चुनावों में कांग्रेस वर्सेस भाजपा थी, लेकिन इस बार चुनाव मैदान में नरेंद्र मोदी, कांग्रेस एवं गुजरात परिवर्तन पार्टी में त्रिकोणी लड़ाई है। इस लड़ाई में कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है, क्यूंकि कुछ ऐसा समीकरण पंजाब विधान सभा के भीतर तब बना था, जब प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल शिअद का साथ छोड़ते हुए अलग पार्टी का निर्माण कर चुनाव मैदान में कूद गए थे। अंत जनता में ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि मनप्रीत सिंह बादल आगे चलकर कांग्रेस के साथ समझौता कर सकते हैं, सकारात्मक माहौल से सीधा नकारात्मक माहौल मनप्रीत सिंह बादल की पार्टी के प्रति बन गया, अंत प्रकाश सिंह बादल फिर से पंजाब के मुख्यमंत्री बने और मनप्रीत सिंह बादल की पार्टी खाता भी न खोल सकी। अब कुछ दिन पहले मणिनगर विधान सभा सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े अपने उम्मीदवार को जीपीपी ने इस लिए वापिस ले लिया, क्यूंकि वहां पर कांग्रेस ने संजीव भट्ट की पत्नि को टिकट दे दिया। इस बात से नाराज हुए जीपीपी प्रत्याशी ने भाजपा का दामन थाम लिया। पहले उम्मीद थी कि नरेंद्र मोदी अपने पुराने आंकड़े को कायम ही रख पाएंगे, मगर अब लग रहा है कि नरेंद्र मोदी 130 सीटों तक भाजपा को खींच कर ले जाएंगे।
युवा मतदाताओं की अधिक तादाद
जहां नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए ग्राम पंचायतों तक पहुंचे, वहीं गूगल हैंगआऊट, यूट्यूब एवं फेसबुक के जरिए युवा वर्ग को आकर्षित करने में पूरी तरह सफल रहे। इस बार युवा मतदाताओं की संख्या बेहद ज्यादा है, जो नतीजे पटलने के लिए बेहद अहम रोल अदा करेगी। पहले पड़ाव का चुनाव प्रचार खत्म हो गया, और पहले पड़ाव के लिए मतदान 13 दिसम्बर को होने वाला है।
आख़िर कैसे देते हैं हर बात का जवाब
नरेंद्र मोदी एक दिन में सबसे ज्यादा प्रचार रैलियां करने वाले शायद भारत के पहले नेता होंगे, फिर भी वो हर भाषण का पलटकर जवाब दे रहे हैं। इसके पीछे एक ही कारण है कि मोदी ने अपने आस पास ऐसे लोगों का घेरा बनाया हुआ है जो मीडिया के संपर्क में हैं, कुछ मीडिया संस्थान तो विरोधी नेताओं द्वारा अलग अलग स्थानों पर दिए गए, बयानों की कॉपियां पल पल नरेंद्र मोदी तक पहुंचाते हैं, और मोदी कभी भी पटकथा तैयार कर रैली को संबोधित नहीं करते, वो कांग्रेस के बयानों पर चुटकी लेते हुए जनता को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं, सबसे बड़ी बात यह है कि वो गुजराती हैं, जिसके कारण उनका संपर्क जनता से बहुत आसानी से हो जाता है, जबकि कांग्रेस के पास बड़े नेताओं में केवल और केवल हिन्दी भाषी हैं, जो कहीं न कहीं गुजरात की धरती पर फेल हो रहे हैं।
त्रिकोणी लड़ाई में फायदे की संभावना
पिछले चुनावों में कांग्रेस वर्सेस भाजपा थी, लेकिन इस बार चुनाव मैदान में नरेंद्र मोदी, कांग्रेस एवं गुजरात परिवर्तन पार्टी में त्रिकोणी लड़ाई है। इस लड़ाई में कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है, क्यूंकि कुछ ऐसा समीकरण पंजाब विधान सभा के भीतर तब बना था, जब प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल शिअद का साथ छोड़ते हुए अलग पार्टी का निर्माण कर चुनाव मैदान में कूद गए थे। अंत जनता में ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि मनप्रीत सिंह बादल आगे चलकर कांग्रेस के साथ समझौता कर सकते हैं, सकारात्मक माहौल से सीधा नकारात्मक माहौल मनप्रीत सिंह बादल की पार्टी के प्रति बन गया, अंत प्रकाश सिंह बादल फिर से पंजाब के मुख्यमंत्री बने और मनप्रीत सिंह बादल की पार्टी खाता भी न खोल सकी। अब कुछ दिन पहले मणिनगर विधान सभा सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े अपने उम्मीदवार को जीपीपी ने इस लिए वापिस ले लिया, क्यूंकि वहां पर कांग्रेस ने संजीव भट्ट की पत्नि को टिकट दे दिया। इस बात से नाराज हुए जीपीपी प्रत्याशी ने भाजपा का दामन थाम लिया। पहले उम्मीद थी कि नरेंद्र मोदी अपने पुराने आंकड़े को कायम ही रख पाएंगे, मगर अब लग रहा है कि नरेंद्र मोदी 130 सीटों तक भाजपा को खींच कर ले जाएंगे।
युवा मतदाताओं की अधिक तादाद
जहां नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए ग्राम पंचायतों तक पहुंचे, वहीं गूगल हैंगआऊट, यूट्यूब एवं फेसबुक के जरिए युवा वर्ग को आकर्षित करने में पूरी तरह सफल रहे। इस बार युवा मतदाताओं की संख्या बेहद ज्यादा है, जो नतीजे पटलने के लिए बेहद अहम रोल अदा करेगी। पहले पड़ाव का चुनाव प्रचार खत्म हो गया, और पहले पड़ाव के लिए मतदान 13 दिसम्बर को होने वाला है।
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