फिल्‍म समीक्षा 'तलाश' से 'खिलाड़ी 786' तक

-: वाईआरएन सविर्स :-

'तलाश' बड़े नामों के साथ बनाई गई एक साधारण फिल्‍म। आमिर ख़ान के साथ लोगों का ब्रांड पर विश्‍वास वाला रिश्‍ता हो सकता है, लेकिन 'तलाश' फिल्‍म निराश करती है। फिल्‍म की कहानी एक सड़क हादसे से शुरू होती है और खत्‍म भी एक सड़क हादसे के बाद। मगर इस दौरान फिल्‍म में बहुत साधारण सी कहानी है, सस्‍पेंस के नाम पर आपको वहां कुछ भी नहीं मिलेगा। अंत में आप कई सवालों के जवाब की तलाश में तलाश को अलविदा कहेंगे।

इस फिल्‍म को कहानी से जोड़कर देखने वालों के लिए इस फिल्‍म में निराशा के सिवाय कुछ नहीं। गम्‍भीर अभिनय तो आमिर बाख़ूबी कर लेते हैं। टूटे परिवार के रिश्‍तों को चलते चलते में रानी मुखर्जी से पहले भी रुपहले पर्दे पर जीवंत कर चुकी हैं। वेश्‍या के रूप में करीना को देखना कहीं भी सुकून नहीं देता। इससे बेहतर होता अगर कोंकणासेन को इस रोल के लिए चुना होता। फिल्‍म का सस्‍पेंस तो इंटरमेशन में तोड़ देते हैं। सीबीआई एवं अन्‍य मर्डर मिस्‍ट्री हल करने वाले सीरियल देख चुके लोगों के लिए तलाश में कुछ भी खास नहीं।

अंतिम हादसे से पूर्व करीना की एंट्री जबरदस्‍त है। अगर वहां आकर निर्देशक कहानी का सस्‍पेंस तोड़ते तो शायद फिल्‍म को देखने का कुछ मजा भी आता। अगर आप मुस्‍कराहटें गीत को सुनना चाहते हैं तो फिल्‍म शुरू होने से पूर्व पहुंचे, क्‍यूंकि नम्‍बरिंग के दौरान इस गीत को फिल्‍माया गया है।

अब बात करते हैं 'खिलाड़ी 786' की

अगर आप 'गोलमाल 3' 'वेलकम' 'दे दनादन' 'चुप चुपके से' 'ढोल' 'हाऊस फुल' जैसी हल्‍की फुल्‍की कामेडी फिल्‍मों को देखकर कहते हैं, चलो मनोरंजन तो बढ़िया हुआ, तो आपके लिए 'खिलाड़ी 786' एक अच्‍छी फिल्म हो सकती है। फिल्‍म की कहानी शादी टूटने से शुरू होती है, और शादी संपूर्ण कर खत्‍म होती है। इस फिल्‍म में डायलॉग आपको हंसाएंगे। फिल्‍म के डायलॉग छोटे हैं। दो अर्थी शब्‍दों का इस्‍तेमाल नहीं किया गया। अक्षय कुमार की कई फिल्‍मों की झलक आपको इसमें मिल सकती है, जैसे कि नमस्‍ते लंडन, वेलकम, सिंह इज किंग, तीस मार ख़ान आदि। हिमेश रेशमिया, अक्षय कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, जोनी लीवर, असीन आदि के किरदार आपको सिने हाल से बाहर आने के बाद भी याद रहेंगे, उनके संवाद आपको हंसाएंगे।

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