अब तुम ही कहो
सरकार पुरानी है उसकी वो ही कहानी है ऑफिस में वजीर, तो जनपथ रहती रानी है वो चुपके से बयान देते हैं लोग कहां ध्यान देते हैं चंद पैसों के बदले में गिरवी रख हिन्दुस्तान देते हैं नहीं कृष्ण कोई यहां, तभी तो आबरू ए द्रोपदी सड़कों पर तार तार होती है कोई सरेआम उतारे कपड़े तो कोई कपड़े ओढ़ने को किसी कोने में बैठी रोती है शुक्र ए खुदा कि एक सोई 'दामिनी' तो जागे कई हजार वरना फाइलों में दबी रहती है कई दामिनियों की पुकार अब तुम ही कहो कैसे कहूं हैप्पी न्यू ईयर मेरे यार।