मोना लीसा की तस्वीर का सच आएगा सामने या नहीं
लिओनार्दो दा विंची
के द्वारा कृत एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है। यह एक विचारमग्न स्त्री का
चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए है। यह संसार की सम्भवत: सबसे
प्रसिद्ध पेंटिंग है जो पेंटिंग और दृष्य कला की पर्याय मानी जाती है।
सदियों से मोनालीसा की रहस्यमय मुस्कुराहट जहाँ रहस्य बनी हुई है।
एक तस्वीर हजारों बातें, लेकिन अब अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम इटली के फ्लोरेंस में पहुंच चुकी है। इस टीम के लिए उस कब्रगाह को खोल दिया गया है, जिसमें व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लिसा गेरार्दिनि' के अन्य परिजनों को दफनाया गया था। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि डीएनए से मोनालीसा की पहचान हो सकती है।
लेखक और अनुसंधानकर्ता सिल्वानो विन्सेटी ने योजना बनाई है कि हड्डियों के जरिये डीएनए टेस्ट लेकर पिछले साल सेंट ओर्सोला कान्वेंट से मिली तीन खोपड़ियों के साथ टेस्ट करके देखा जाएगा, क्यूंकि उनके हिसाब से इतिहासिकारों का मानना है कि लीसा गेरार्दिनी अपने अंतिम कुछ साल सेंट ओर्सोला कन्वेट में थी, और इस खंडहर इमारत में पिछले साल हड्डियों को ढूंढने का काम शुरू हुआ था। उनको यकीनन है कि तीन में से एक तो लीसा हो सकती है।
अगर एक बार डीएनए मैच कर जाता है तो सेंट ओर्सोला से मिले खोपड़ी से लीसा गेर्रिदिनी का चेहरा बनाया जा सकता है, और उसकी तुलना उस तस्वीर में मुस्कराती हुई, महिला से की जाएगी, और पता लगाया जा सकेगा कि लीसा गेर्रिदिनी है या कोई और। अनुसंधानकर्ता के अनुसार अगर वे मां और बच्चे के बीच का संपर्क ढूंढ़ने में कामयाब हुए तो यकीनन वे लीसा को खोज लेंगे।
ऐसा माना जाता है कि इतालवी चित्रकार लियोनार्दो दा विंची ने मोनालिसा की तस्वीर 1503 से 1506 के बीच बनाई थी। समझा जाता है कि ये तस्वीर फ़्लोरेंस के एक गुमनाम से व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लिसा गेरार्दिनि' को देखकर आंकी गई है।
वहीं जर्मन के कला इतिहासकार सुश्री माईक बोग्ट-लयरेसन ने दावा किया है कि तस्वीर में दिख रही महिला इटली के अरांगो प्रान्त के डियूक की पत्नी ईशाबेला है। सुश्री माईक के अनुसार ईशाबेला की मुस्कान में दुख है क्योंकि लीयनार्दो के पेंटिंग बनाने से कुछ समय पहले ही उसकी माँ का देहान्त हो गया था। माईक की माने तो ईशाबेला का शराबी पति नशे में धुत् होकर उसे अक्सर मारता-पीटता था। अपनी प्रकाशित पुस्तक ‘हू इज मोनालिसा ’ इंसर्च में अनेकों समानतांएं गिनवायी हैं। पुस्तक में आगे लिखा है कि लियनार्दो जो कि डियूक के दरबार में शाही कलाकार थे, ईसाबेला के काफी निकट थे।
कुछ साल पूर्व जापान में दाँतों के एक डॉक्टर ने यह कह कर सबको हैरत में डाल दिया था कि मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज उसके ऊपरी जबड़े में आगे के दो दाँतों का टूटा होना है और इसी कारण उसके ऊपरी होठ एक तरफ कुछ दबा हुआ-सा दिखाई दे रहा है, इसी कारण उसका एक ऊपरी होठ एक तरफ से कुछ दबा हुआ सा दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि अंजाने में मोनालिसा व रहस्यमय मुस्कान दिखाई देती है जब कि वास्तव में यह मुस्कराहट नहीं बल्कि अपने टूट चुके दाँतों से खाली हुए स्थान को जीभ से होठों को ठेलने का प्रयास कर रही है जिससे होठ दबा हुआ न दिखे। यह डाक्टर पिछले कई वर्षों से मोनालिसा पर शोध कर रहे थे।
दिसम्बर 1986 में अमेरिका के बेल लेबोट्री में कम्प्यूटर वैज्ञानिक सुश्री लिलीयन स्वाडज ने अपने अनुसंधान के आधार पर यह कह कर पूरी दुनिया में तहल्का मचा दिया कि लीयनार्दो विंची की सुप्रसिद्ध कलाकृति मोनालिसा किसी रहस्यमय युवती का नहीं बल्कि स्वयं चित्रकार का अपना ही आत्म चित्र है। आर्ट एण्ड एनटिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित लेख में सुश्री लिलीयन ने दावा किया कि 1518 में लाल चाक से बनें लिनार्डोविंची का आत्मचित्र व मोनालिसा के चित्र को जब उसने पास-पास रखा तो यह देखकर दंग रह गई कि लीयनार्दो तथा मोनालिसा के चेहरे, ऑंखें, गाल, नाक व बालों में अद्भत समानता है। कम्प्यूटर के मदद से जब मोनालिसा के चेहरे के ऊपर लीयनार्दो के बाल, दाढ़ी व भवहे लगाकर देखा गया तो वह पूरी तरह लीयनार्दो में परिवर्तित हो गई। इसके विपरीत लीयनार्दो के चेहरे से यदि दाढ़ी, बाल, मूँछ, भवे आदि हटा दी जाये तो लीयनार्दो मोनालिसा में बदल जाते है।
एक तस्वीर हजारों बातें, लेकिन अब अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम इटली के फ्लोरेंस में पहुंच चुकी है। इस टीम के लिए उस कब्रगाह को खोल दिया गया है, जिसमें व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लिसा गेरार्दिनि' के अन्य परिजनों को दफनाया गया था। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि डीएनए से मोनालीसा की पहचान हो सकती है।
लेखक और अनुसंधानकर्ता सिल्वानो विन्सेटी ने योजना बनाई है कि हड्डियों के जरिये डीएनए टेस्ट लेकर पिछले साल सेंट ओर्सोला कान्वेंट से मिली तीन खोपड़ियों के साथ टेस्ट करके देखा जाएगा, क्यूंकि उनके हिसाब से इतिहासिकारों का मानना है कि लीसा गेरार्दिनी अपने अंतिम कुछ साल सेंट ओर्सोला कन्वेट में थी, और इस खंडहर इमारत में पिछले साल हड्डियों को ढूंढने का काम शुरू हुआ था। उनको यकीनन है कि तीन में से एक तो लीसा हो सकती है।
अगर एक बार डीएनए मैच कर जाता है तो सेंट ओर्सोला से मिले खोपड़ी से लीसा गेर्रिदिनी का चेहरा बनाया जा सकता है, और उसकी तुलना उस तस्वीर में मुस्कराती हुई, महिला से की जाएगी, और पता लगाया जा सकेगा कि लीसा गेर्रिदिनी है या कोई और। अनुसंधानकर्ता के अनुसार अगर वे मां और बच्चे के बीच का संपर्क ढूंढ़ने में कामयाब हुए तो यकीनन वे लीसा को खोज लेंगे।
ऐसा माना जाता है कि इतालवी चित्रकार लियोनार्दो दा विंची ने मोनालिसा की तस्वीर 1503 से 1506 के बीच बनाई थी। समझा जाता है कि ये तस्वीर फ़्लोरेंस के एक गुमनाम से व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लिसा गेरार्दिनि' को देखकर आंकी गई है।
वहीं जर्मन के कला इतिहासकार सुश्री माईक बोग्ट-लयरेसन ने दावा किया है कि तस्वीर में दिख रही महिला इटली के अरांगो प्रान्त के डियूक की पत्नी ईशाबेला है। सुश्री माईक के अनुसार ईशाबेला की मुस्कान में दुख है क्योंकि लीयनार्दो के पेंटिंग बनाने से कुछ समय पहले ही उसकी माँ का देहान्त हो गया था। माईक की माने तो ईशाबेला का शराबी पति नशे में धुत् होकर उसे अक्सर मारता-पीटता था। अपनी प्रकाशित पुस्तक ‘हू इज मोनालिसा ’ इंसर्च में अनेकों समानतांएं गिनवायी हैं। पुस्तक में आगे लिखा है कि लियनार्दो जो कि डियूक के दरबार में शाही कलाकार थे, ईसाबेला के काफी निकट थे।
कुछ साल पूर्व जापान में दाँतों के एक डॉक्टर ने यह कह कर सबको हैरत में डाल दिया था कि मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज उसके ऊपरी जबड़े में आगे के दो दाँतों का टूटा होना है और इसी कारण उसके ऊपरी होठ एक तरफ कुछ दबा हुआ-सा दिखाई दे रहा है, इसी कारण उसका एक ऊपरी होठ एक तरफ से कुछ दबा हुआ सा दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि अंजाने में मोनालिसा व रहस्यमय मुस्कान दिखाई देती है जब कि वास्तव में यह मुस्कराहट नहीं बल्कि अपने टूट चुके दाँतों से खाली हुए स्थान को जीभ से होठों को ठेलने का प्रयास कर रही है जिससे होठ दबा हुआ न दिखे। यह डाक्टर पिछले कई वर्षों से मोनालिसा पर शोध कर रहे थे।
दिसम्बर 1986 में अमेरिका के बेल लेबोट्री में कम्प्यूटर वैज्ञानिक सुश्री लिलीयन स्वाडज ने अपने अनुसंधान के आधार पर यह कह कर पूरी दुनिया में तहल्का मचा दिया कि लीयनार्दो विंची की सुप्रसिद्ध कलाकृति मोनालिसा किसी रहस्यमय युवती का नहीं बल्कि स्वयं चित्रकार का अपना ही आत्म चित्र है। आर्ट एण्ड एनटिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित लेख में सुश्री लिलीयन ने दावा किया कि 1518 में लाल चाक से बनें लिनार्डोविंची का आत्मचित्र व मोनालिसा के चित्र को जब उसने पास-पास रखा तो यह देखकर दंग रह गई कि लीयनार्दो तथा मोनालिसा के चेहरे, ऑंखें, गाल, नाक व बालों में अद्भत समानता है। कम्प्यूटर के मदद से जब मोनालिसा के चेहरे के ऊपर लीयनार्दो के बाल, दाढ़ी व भवहे लगाकर देखा गया तो वह पूरी तरह लीयनार्दो में परिवर्तित हो गई। इसके विपरीत लीयनार्दो के चेहरे से यदि दाढ़ी, बाल, मूँछ, भवे आदि हटा दी जाये तो लीयनार्दो मोनालिसा में बदल जाते है।
स्वार्ड जी का कथन है कि लीयनार्दो ने मोनालिसा के रूप में स्वयं का नारी चित्रण किया है। उन्होंने इसके पीछे एक कलाकार का समलैंगिक होना प्रमुख कारण बताया है। इस बात की प्रबल संभावना है कि विंची समलैंगिक हो और उभय लिंगी विषयों को कलाकृति में ढालने में रूची रखते हो तथा अपनी इसी प्रवित्ती के चलते स्वयं को नारी रूप में चित्रित कर उसे मोनालिसा नाम दिया।
सम्प्रति यह छबि फ्रांस के लूव्र संग्रहालय में रखी हुई है। म्यूज़ियम के इस क्षेत्र में 16वीं शताब्दी की इतालवी चित्रकला की कृतियाँ रखी गई हैं। यह तस्वीर यहां से 1911 में यहां के पूर्व कर्मचारी द्वारा चुरा ली गई थी, लेकिन दो साल बाद पुलिस ने उस कर्मचारी को पकड़कर इस तस्वीर को फिर से हासिल किया।
मोनालिसा की असल पेंटिंग केवल 21 इंच लंबी
और 30 इंच चौड़ी है। तस्वीर को बचाए रखने के लिए एक ख़ास किस्म के शीशे के
पीछे रखी गई है जो ना तो चमकता है और ना टूटता है। मोनालिसा: एक अनसुलझा
रहस्य। जिसको देखने के लिए लूव्र संग्रहालय में हर साल मिलियन्स पर्यटक आते हैं, और उसकी मुस्कराहट को देखकर चले जाते हैं।
कुछ इनपुट विकीपीडिया से
कुछ इनपुट विकीपीडिया से
आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
bhai copy paste mat kar
जवाब देंहटाएं