फ़ैरो आइलैंड्स की चुनौतियां

आइलैंड्स घूमने का बहुत शौक होता है पर्यटकों को। वहां की हरियाली, वहां के वातावरण में सांस लेने का अपना ही एक मजा होता है, लेकिन फ़ैरो आइलैंड्स की युवा पीढ़ी अपने आइलैंड्स से दूर भाग रही है। अटलांटिक महासागर के उत्तरी भाग फ़ैरो आइलैंड्स की सरकार के सामने आज दो चुनौतियां हैं, तो युवा पीढ़ी के पलायन को रोकना, दूसरा अपने भोजन और आय स्रोत को जिंदा रखना। चालीस हजार की आबादी वाला यह खूबसूरत आइलैंड्स युवा पीढ़ी के पलायन के कारण धीरे धीरे खाली होता जा रहा है। यहां के नागरिकों का मानना है कि यहां पर जीवन अधिक मुश्‍िकल है, अन्‍य जगहों के मुकाबले में महंगा भी। युवा पीढ़ी अपने सपनों को साकार करने के लिए आइलैंड्स से बाहर निकलकर संघर्ष करना चाहती है, नाम कमाना चाहती है। भारतीय समाज भी गांवों से निकलकर मंडियों और शहरों में तबदील हो रहा है। 

आइलैंड्स की सरकार जहां कम होती जनसंख्‍या से परेशान है। वहीं यूरोपियन संघ का मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाना भी इस आइलैंड्स वासियों को नागवार गुजर रहा है। यहां के प्रधानमंत्री ने यूरोपियन संघ को चैंलेज करते हुए कहा, वे 150 वर्षों से इस आइलैंड्स पर रह रहे हैं। उनका मुख्‍य भोजन स्रोत मछलियां हैं। और वे अपने अधिकार क्षेत्र वाले पानी में कुछ भी करें, उससे यूरोपियन संघ को दिक्‍कत नहीं होनी चाहिए, वे क्रोध होकर कहते हैं कि उत्‍तरी अटलांटिक महासागर के लुटेरे नहीं हैं।

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