'गे' वेंटवर्थ मिलर ने की 'मर्दों' वाली बात
बहुत मुश्किल होता है कभी कभी उस बात को स्वीकार करना, जिसको समाज में असम्मानजनक नजर से देखा जा रहा हो, लेकिन अमेरिकी धारावाहिक प्रिज्यॅन ब्रेक के स्टार वेंटवर्थ मिलर ने रूस में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल में बतौर मुख्यातिथि के लिए आए न्यौते को ठुकराते हुए स्वयं के गे होने की बात को सार्वजनिक कर दिया। रूस के प्रस्ताव को ठुकराने और स्वयं को गे घोषित करने के बाद टि्वटर पर उनके लोकप्रिय धारावाहिक प्रिज्यॅन ब्रेक के ट्रेंड ने जोर पकड़ लिया।
दरअसल, रूस ने एक नया प्रस्ताव पारित किया है, जो असल में है तो एंटी गे लॉ, लेकिन सरकार इस बिल का बचाव बच्चों की सुरक्षा का हवाला देते हुए करती है। सेंट पीटर्सबर्ग ऐसी जगह है, जहां पर गे बहुसंख्या में रहते हैं, लेकिन हिंसक गतिविधियों के कारण सामने आने का सांस नहीं करते। पिछले दिनों न्यू यॉर्क टाइम्स में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसकी शुरूआत करते हुए लेखक ने लिखा था, अगर यह लेख रूस में प्रकाशित हुआ होता तो इसके लिए एक्स रेटिंग होती, और 18 साल से कम उम्र के बच्चों को पढ़ने की मनाही होती। इस लेख के अंदर कई ऐसी घटनाओं का जिक्र है, जहां पर गे युगलों को निशाना बनाया गया।
अगले वर्ष होने वाले 2014 विंटर ओलंपिक गेम्स पर एंटी गे लॉ की काली परछाई पड़ सकती है, क्यूंकि गे समुदाय के पक्ष में कुछ देश इन खेलों का विरोध करने का मन बना रहे हैं। पिछले दिनों तो एक ब्रिटिश कॉमेडियन स्टिफन फ्राय, जो गे हैं, ने कहा था कि सोची गेम्स का बायकॉट किया जाए। अप्रैल महीने में लवादा सेंटर की ओर से गे संबंधों को लेकर एक सर्वे किया गया, जिसमें 35 फीसदी रूसी लोगों ने समलैंगिक रिश्ते को एक बीमारी बताया, तो 43 फीसद लोगों ने इसको बुरी आदत कहा। उधर, इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने गे एथलीट और दर्शकों को सुरक्षा को लेकर चिंतित न होने की बात कही है, लेकिन इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी उन घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती, जिनमें गे समुदाय के लोगों को त्रासदी का सामना करना पड़ता है। सेंट पीटसबर्ग, जहां पर अमेरिकी टेलीविजन स्टार को बुलाया जा रहा था, वहां पर पिछले महीने गे प्राइड एवेंट का आयोजन किया गया, तो पुलिस ने गे प्राइड एवेंट में शामिल लोगों को पकड़कर खूब धोया।
सेंट पीटर्सबर्ग की गे प्राइड एवेंट से वापिस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल की तरफ लौटते हैं, जिसका न्यौता अमेरिकी टेलीविजन एक्टर ने इसलिए ठुकरा दिया, क्यूंकि वे स्वयं एक गे है। रूस के इन्वीटेंशन के बाद आयोजकों के नाम लिखे ख़त में वेंटवर्थ मिलर ने लिखा, मुझे खुशी है कि आपने मुझे इतने बड़े प्रोग्राम में बतौर मुख्यातिथि आने का न्यौता दिया। पिछली बार रूस में बेहद मजा आया। मुझे अच्छा लगता अगर में इस बार में भी हां कहता, लेकिन एक गे होने के नाते मैं इस न्यौते को सिरे से खारिज करता हूं।
मैं उस देश के एक जश्न में शरीक नहीं हो सकता, जहां मेरे जैसे लोगों को खुले में प्यार करने और जीने की आजादी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा हो। जो रूस सरकार ने पिछले दिनों एक युवक और महिला के साथ व्यवहार किया, उसने मुझे अंदर तक तोड़ दिया है। ऐसे में मैं रूस का चक्कर नहीं लगा सकता। इस तरह उसने अपना विरोध प्रकट किया।
ऐसा नहीं कि ऐसा केवल विदेश है, भारत में भी बड़ी बड़ी हस्तियां गे हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर किसी ने अभी तक स्वीकारा नहीं, और न ही गे समुदाय के लिए आवाज उठाई।
ऐसा नहीं कि ऐसा केवल विदेश है, भारत में भी बड़ी बड़ी हस्तियां गे हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर किसी ने अभी तक स्वीकारा नहीं, और न ही गे समुदाय के लिए आवाज उठाई।
जो कल तक लोगों की निगाह में एक टेलीविजन स्टार था, अचानक उसने अपने गे होने की बात स्वीकार करते हुए अपने चाहने वालों को चौंकाया होगा। उसको पता भी होगा कि इससे उसको नुकसान हो सकता है, लेकिन जब बात किसी के अहं को लगती है तो वे दौलत सौहरत को छोड़कर निकल पड़ता है। एक गे ने कही, मर्दों वाली बात, इसलिए कह रहा हूं, अमेरिका और ब्रिटेन नरेंद्र मोदी को हर बार वीजा न देने की बात कहकर एक नये विवाद को जन्म दे देते हैं, एक भारतीय जन प्रतिनिधि का अपमान कर देते हैं, लेकिन भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह खुशी खुशी अमेरिका की यात्रा करते हैं। किसी भी जन प्रतिनिधि के साथ कोई देश इस तरह का बर्ताव करे तो देश के राजनेताओं को सोचना चाहिए, अगर कल को उनकी सत्ता न रही तो क्या अमेरिका ब्रिटेन उनके साथ भी इस तरह का व्यवहार करेंगे। एक गे अपने गे भाईयों पर हो रहे अत्याचारों के लिए सार्वजनिक तौर पर न्यौते को ठुकराता है। रूस की सरकार को दिखाता है कि गे के अहं को भी चोट लगती है, उसकी भावनाएं हैं, भले ही इसको आप बुरी आदत कहें या बीमारी। लेकिन जो लत लग गई, उसका इलाज नहीं है। अमेरिका ब्रिटेन एक भारतीय जन प्रतिनिधि को वीजा नहीं देता, और देश की सरकार विदेश नीति को लेकर सख्त कदम नहीं उठाती तो देश को शर्म आनी चाहिए।
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