रेप मुआवजे से नरेंद्र मोदी पर चुटकियां लेती शिव सेना तक
जम्मू कश्मीर की कमान एक युवा नेता उमर अब्दुला के हाथ में है, लेकिन शनिवार को उनकी सरकार की ओर से लिए एक फैसले ने उनको सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया। जम्मू कश्मीर सरकार ने रेप पीड़ित को मुआवजे वाली लिस्ट में शामिल किया है। अगर युवा नेता उमर अब्दुला इस मुआवजे वाली सूची को जारी करने की बजाय बलात्कारी को सजा देने वाली सूची जारी करते तो शायद भारतीय युवा पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि देश की अन्य राज्यों की सरकारों को भी सीख मिलती। उमर अब्दुला, इज्जत औरत का सबसे महंगा गहना होती है, उसकी कीमत आप ने ज्वैलरी से भी कम आंक दी। उसको मुआवजे की नहीं, उसको सुरक्षा गारंटी देने की जरूरत है। उसको जरूरत है आत्मराक्षण के तरीके सिखाने की, उसको जरूरत है आत्मविश्वास पैदा करने वाली आवाज की। अगर इज्जत गंवाकर पैसे लेने हैं तो वे कहीं भी कमा सकती है। आपके मुआवजे से कई गुना ज्यादा, जीबी रोड दिल्ली में अपना सब कुछ दांव पर लगाकर पैसा कमाती बेबस लाचार लड़कियां महिलाएं इसकी साक्षात उदाहरण हैं। जख्मों पर नमक छिड़ने का काम अगर आज के युवा नेता करने लग गए तो शायद देश की सत्ता युवा हाथों में सौंपते हुए देश की जनता डरेगी। वैसे भी आज देश की जनता युवाओं की तरह फुर्तीफे दिखने वाले 60 पार कर चुके गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपने के लिए पैरों की उंगलियों पर खड़ी है, भले एनडीए की सहयोगी पार्टियां इस बात को स्वीकार करने में थोड़ा सा कतराती हों।
एनडीए की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी बाला साहेब ठाकरे की शिव सेना है, जिसका नेतृत्व उद्धव ठाकरे जैसे युवा नेता के हाथ में है। इस पार्टी के मुख्य समाचार पत्र सामना हिन्दी में नरेंद्र मोदी को केंद्र बिंदु बनाकर संपादकीय लिखा गया है, जो पहले शिव सेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे के विचारों का कॉलम माना जाता था, और अब वे उद्धव ठाकरे के विचारों का। भुज के लालन कॉलेज से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के मौके राष्ट्रीय ध्वज लहराने वाले देश के प्रधानमंत्री पर जुबानी हमला बोला।
यह साढ़े छह दशक पुराने लोकतंत्र में पहला मौका था, जब एक प्रधानमंत्री के राष्ट्र नाम दिए भाषण को किसी मुख्यमंत्री ने आड़े हाथों लिया हो। इस भाषण के बाद पार्टी के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी पार्टी के इस तेज तरार नेता से असहमत नजर आए, जिसका जिक्र संपादकीय में किया गया है। संपादकीय में लिखा कि नरेंद्र मोदी किसी और दिन भी यह कसर पूरी कर सकते थे। संपादकीय में शिवसेना मोदी की तारीफ करती है, लेकिन चुटकियां लेते हुए, जैसे कि मोदी के नेतृत्व में गुजरात में अच्छा काम काज हुआ, और उसके लिए उनकी प्रशंसा करने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। स्पर्धा का घोड़ा कितना भी क्यूं न दौड़े, लेकिन दिल्ली की राजनीति में आखिरी क्षण में खरारा 'एक प्रकार की कंघी' करने वाले ही जीतते हैं, ऐसा आज तक का अनुभव है।
आगे कहते हैं, मनमोहन सिंह से युद्ध की भाषा झेली नहीं जाती, और आक्रामकता उनसे बर्दाशत नहीं होती। मोदी मात्रा आक्रामक बोलकर जनभावना की तोप दाग रहे हैं। फिर भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री को इस तरह बेइज्जत करना ठीक है क्या? आगे संपादकीय में उद्धव एलके आडवाणी की तारीफ करते हुए लिखते हैं, आडवाणी की देशभक्ति भी गरम और उनका अनुभव भी मजबूत है। भारतीय जनता पार्टी जिस तरह के मीठे फल चख रही है, उसका श्रेय आडवाणी को ही जाता है।
मोदी पर चुटकी लेते हुए, आज मोदी ने कांग्रेस के खिलाफ रणभेरी बजाकर आग लगा दी है यह सच है। उस आग की ज्वाला कई बार आग लगाने वाले को ही झुलसा देती है। शिव सेना आगे कहती है कि जो लालन कॉलेज से नरेंद्र मोदी ने बोला, कल वे उसके सामने आने वाला है। यकीनन अगर कांग्रेस वहां से आउट होती है तो नरेंद्र मोदी के सामने वे सब चुनौतियां आएंगी, जिसको लेकर वे मनमोहन सिंह पर हल्ला बोल रहे हैं।
प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को बनाने की बात पर शिव सेना के उद्धव ठाकरे हमेशा बच निकलते हैं, लेकिन संपादकीय के पहले अध में कहते हैं कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुनना भाजपा का अंदरूनी मामला है, वहीं अंत तक आते आते वे सरदार पटेल से मोदी की तुलना करते हुए कहते हैं कि हमे विश्वास है कि मोदी के हाथ में सरदार पटेल की तरह दिल्ली की सत्ता आएगी, उस समय देश लूटने वाले सारे डकैतों को वे जेल का रास्ता दिखाएंगे।
उद्धव ठाकरे उक्त लाइन में एक बात स्पष्ट कर रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के हाथ में जो सत्ता है वे सरदार पटेल की तरह आएगी, मतलब उप प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री नहीं। सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते, लेकिन कहते हैं कि महात्मा गांधी के कारण जवाहर लाल नेहरु प्रधानमंत्री बने, और पटेल उप प्रधानमंत्री। उद्धव ठाकरे भले ही कुछ स्पष्ट न कर रहे हों, लेकिन कहीं न कहीं इस बात का संदेश जरूर दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के लिए नरेंद्र मोदी के आगे कोई तो है, वे राजनाथ सिंह है, वे अरुण जेटली है, वे सुषमा स्वराज है या कोई अन्य, पता नहीं, लेकिन एलके आडवाणी यहां गांधी की भूमिका अदा करना चाहेंगे।
संपादकीय का अंतिम पड़ाव भी किसी चुटकी से कम नजर नहीं आता। जिसमें कहा गया है, वे दाऊद इब्राहिम, सईद हाफिज, मेमन टाइगर जैसों को पाकिस्तान से घसीटते हुए लाएंगे, लाकर फांसी पर लटकाएंगे। जो धन स्विस बैंक में पड़ा है उसको कार्गो हवाई जहाज में लादकर भारतीय सीमा में लाएंगे। ऐसा करने में मोदी पूरी तरह सक्षम हैं, हमको तिल जितनी भी शंका नहीं। यह बात उस समय किसी व्यंग से कम नहीं लगती, जब किसी भी देश में घुसने के लिए किसी विशेष कानूनी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता हो।
अंत में शिव सेना कहती है कि मोदी ने गुजरात के रेगिस्तान से जो तोप दागी, उससे पाकिस्तान को फर्क पड़ा या नहीं, इसका तो पता नहीं, लेकिन मोदी की तोप से निकले गोले के कारण दिल्ली के कांग्रेसी नेताओं ने नींद की गोलियों का ऑर्डर दे दिया है।
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