Aseem Trivedi का पत्र संतोष कोली की मृत्यु के बाद
साथियों, बहुत दुखद खबर है कि आज संतोष कोली
जी हमेशा के लिए हम सब से दूर चली गयीं. अब उनकी वो निर्भीक और निश्चिंत
मुस्कराहट हमें कभी देखने को नहीं मिलेगी. अन्ना आंदोलन के सभी मित्रों में
संतोष जी मेरी फेवरिट थीं. उनसे मिलकर आपके भीतर भी साहस और सकारात्मकता
बढ़ जाती थी. मैं दावे से कह सकता हूँ कि समाज के लिए उनके जैसे निस्वार्थ
भाव से काम करने वाले लोग आपको बहुत मुश्किल से देखने को मिलेंगे.
दामिनी आन्दोलन के दौरान एक दिन वो बता रही थीं कि अब वो एक गैंग बनाएंगी और ऐसी हरकतें करने वालों से अच्छी तरह निपटेंगी. बाद में उनके फेसबुक पेज पर नाम के साथ दामिनी गैंग लिखा देखा. खास बात ये है कि उनके साहस और आक्रोश में बहुत सहजता थी. ये वीर रस कवियों की तरह आपको परेशान करने वाला नहीं बल्कि आपको बुरे से बुरे क्षणों में भी उम्मीद और सुकून भरी शान्ति देने वाला था. समय समय पर उनके परिवार के सदस्यों से भी मिलने को मिला जो संतोष जी के साथ उनके संघर्ष में कंधे से कंधे मिलाकर साथ दे रहे थे. आज के फाइव स्टार एक्टिविज्म के दौर में एक बेहद साधारण परिवार से आयी संतोष जी का जीवन अपने आप में एक उदाहरण पेश करने वाला था. अपने साधारण और सहज अंदाज़ में वो जन साधारण के साथ कनेक्ट और कम्युनिकेट करने की अद्भुत क्षमता रखती थीं. सुन्दरनगरी में लोगों का उन पर विश्वास देखने योग्य था.
लेकिन दुर्भाग्य ही है कि उनके साथ बहुत थोड़ा सा समय ही बिताने को मिला और बहुत गिनती की मुलाकातें ही मेरे हिस्से आयीं. मुझे आज भी याद है जब वो करीब साल भर पहले जंतर मंतर पर अन्ना, अरविन्द के अनशन के दौरान जनता को संबोधित कर रही थीं, उनका बेहद सहज और उन्मुक्त अंदाज़ अपने आप में एक सन्देश देता लग रहा था. करीब दस दिन चले उन अनशन के दौरान ही उनके साथ काफी समय बीता और उनको अच्छी तरह समझने का मौक़ा मिला. सेव योर वॉयस अभियान के दौरान इंटनरेट सेंसरशिप के खिलाफ राजघाट पर हमारा पहला प्रोटेस्ट हो या 66A के खिलाफ जंतर मंतर पर हमारा अनशन, संतोष जी ने अपने मित्रों के साथ पहुचकर हमारा पूरा साथ दिया.
लेकिन अफ़सोस है कि ज़िंदगी की लड़ाई में हम चाहकर भी उनका साथ नहीं दे पाए और उनकी इस असमय विदाई को स्वीकार करने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं बचा. लेकिन हमें विश्वास है कि संतोष जी हमेशा हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी और सहज और निर्भीक रूप से अपने कर्त्तव्य पथ पर चलने के लिए हमें प्रेरित करती रहेंगी. काश वो एक बार ठीक हो पातीं और लोगों का उनके प्रति प्रेम और सम्मान देख पातीं कि कितनी शिद्दत से लोगों ने उनके लिए प्रार्थनाएं कीं उनके स्वस्थ्य होने की दुआएं कीं और काश कि हम सब उनके साथ कुछ और समय बिता पाते.
लेकिन इतना दूर जाकर भी आप हमारे साथ रहेंगी सतोष जी, आपकी यादें जनसंघर्ष की प्रेरणा बनकर हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगी और स्वार्थपरता के इस अमानवीय दौर में निस्वार्थ सेवा भाव के बीज अंकुरित करती रहेंगी.
दामिनी आन्दोलन के दौरान एक दिन वो बता रही थीं कि अब वो एक गैंग बनाएंगी और ऐसी हरकतें करने वालों से अच्छी तरह निपटेंगी. बाद में उनके फेसबुक पेज पर नाम के साथ दामिनी गैंग लिखा देखा. खास बात ये है कि उनके साहस और आक्रोश में बहुत सहजता थी. ये वीर रस कवियों की तरह आपको परेशान करने वाला नहीं बल्कि आपको बुरे से बुरे क्षणों में भी उम्मीद और सुकून भरी शान्ति देने वाला था. समय समय पर उनके परिवार के सदस्यों से भी मिलने को मिला जो संतोष जी के साथ उनके संघर्ष में कंधे से कंधे मिलाकर साथ दे रहे थे. आज के फाइव स्टार एक्टिविज्म के दौर में एक बेहद साधारण परिवार से आयी संतोष जी का जीवन अपने आप में एक उदाहरण पेश करने वाला था. अपने साधारण और सहज अंदाज़ में वो जन साधारण के साथ कनेक्ट और कम्युनिकेट करने की अद्भुत क्षमता रखती थीं. सुन्दरनगरी में लोगों का उन पर विश्वास देखने योग्य था.
लेकिन दुर्भाग्य ही है कि उनके साथ बहुत थोड़ा सा समय ही बिताने को मिला और बहुत गिनती की मुलाकातें ही मेरे हिस्से आयीं. मुझे आज भी याद है जब वो करीब साल भर पहले जंतर मंतर पर अन्ना, अरविन्द के अनशन के दौरान जनता को संबोधित कर रही थीं, उनका बेहद सहज और उन्मुक्त अंदाज़ अपने आप में एक सन्देश देता लग रहा था. करीब दस दिन चले उन अनशन के दौरान ही उनके साथ काफी समय बीता और उनको अच्छी तरह समझने का मौक़ा मिला. सेव योर वॉयस अभियान के दौरान इंटनरेट सेंसरशिप के खिलाफ राजघाट पर हमारा पहला प्रोटेस्ट हो या 66A के खिलाफ जंतर मंतर पर हमारा अनशन, संतोष जी ने अपने मित्रों के साथ पहुचकर हमारा पूरा साथ दिया.
लेकिन अफ़सोस है कि ज़िंदगी की लड़ाई में हम चाहकर भी उनका साथ नहीं दे पाए और उनकी इस असमय विदाई को स्वीकार करने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं बचा. लेकिन हमें विश्वास है कि संतोष जी हमेशा हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी और सहज और निर्भीक रूप से अपने कर्त्तव्य पथ पर चलने के लिए हमें प्रेरित करती रहेंगी. काश वो एक बार ठीक हो पातीं और लोगों का उनके प्रति प्रेम और सम्मान देख पातीं कि कितनी शिद्दत से लोगों ने उनके लिए प्रार्थनाएं कीं उनके स्वस्थ्य होने की दुआएं कीं और काश कि हम सब उनके साथ कुछ और समय बिता पाते.
लेकिन इतना दूर जाकर भी आप हमारे साथ रहेंगी सतोष जी, आपकी यादें जनसंघर्ष की प्रेरणा बनकर हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगी और स्वार्थपरता के इस अमानवीय दौर में निस्वार्थ सेवा भाव के बीज अंकुरित करती रहेंगी.
बेहद दुखद है!!!!
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