सत्याग्रह की फिल्म समीक्षा
तमाम लटक- झटक दिखाने वाले ग्लैमरस सितारे, दाढी वाले अपने निर्देशक
प्रकाश बाबू के साथ बुझे, घुटे और बोझिल से चेहरे लिए, कुल मिलाकर मन
मारकर बुद्धु बक्से के कई कार्यक्रमों में "सत्याग्रह" का प्रमोशन करते
दिखाई पड रहे थे, मुझे तो शक तभी हो गया था कि भैया इस फिल्मे में काम
करके ये लोग फंस गए हैं, और अब इनसे हड्डी निगली नहीं जा रही.
..खैर सत्याग्रह नाम की इस फिल्म में बाद में तो यह समझ ही नहीं आता कि लोग आंदोलन क्यों कर रहे हैं , और आखिर क्यों अनशन पर बैठे हैं..?
..खैर सत्याग्रह नाम की इस फिल्म में बाद में तो यह समझ ही नहीं आता कि लोग आंदोलन क्यों कर रहे हैं , और आखिर क्यों अनशन पर बैठे हैं..?
बताते हैं अपनी घोषणा के बाद से अब तक इसे बनाने में बहुत समय ले लिया
बाऊजी जी ने.. और जो बनाया है तो उसमें इतना हडबडी के साथ दिखा है कि पूछो
मत..
इतनी घाई, मानों प्रोजेक्ट खत्मू करने का दबाव था.
फिल्म शुरू होते हुए हाथ में रहती है, लेकिन उसके बाद तो मानों सब कुछ निर्देशक के हाथों से, दर्शकों की आंखों से और महिला अभिनेत्रियों के चेहरे से मेकअप की तरह फिसलती हुई दिखती है... अब आगे आपकी मर्जी...!!!
सारंग उपाध्याय की फेसबुक से
इतनी घाई, मानों प्रोजेक्ट खत्मू करने का दबाव था.
फिल्म शुरू होते हुए हाथ में रहती है, लेकिन उसके बाद तो मानों सब कुछ निर्देशक के हाथों से, दर्शकों की आंखों से और महिला अभिनेत्रियों के चेहरे से मेकअप की तरह फिसलती हुई दिखती है... अब आगे आपकी मर्जी...!!!
सारंग उपाध्याय की फेसबुक से
thanks to share this post kulwant ji
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