कृष्ण जन्माष्टमी, और एक शोध का दावा
हर साल की तरह इस बार भी, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आज आधी रात करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य, सोलह कलाओं तथा 64 विद्याओं के पारंगत, चक्र सुदर्शनधारी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव परंपरागत और उल्लासपूर्वक मनाया जायेगा।
संयोग देखिए, जब विश्व का एक समुदाय भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बनाने की तैयारियों में जुटा हुआ था, तब जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय का एक अध्ययन सामने आया, जिसमें कहा गया कि नवजात बच्चे को मां के गर्भ में रहते हुए अपनी जननी की और अन्य लोगों की आवाज़ें याद रहती हैं। शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान 74 महिलाओं का परीक्षण किया जो 36 हफ्तों की गर्भवती थीं। उन्हें दो मिनट तक कहानियां सुनाने को कहा गया और इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु की धड़कनों और हरकतों का परीक्षण किया गया।
इस शोधकार्य के दौरान पता चला कि औसतन एक बच्चा एक ही शब्द 25 हज़ार बार सुन सकता है। जीवन के पहले महीने में बच्चा उस संगीत के प्रति प्रतिक्रिया दिखाता है जो उसने गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में सुना था। आप सोच रहे होंगे, इस का कृष्ण जन्माष्टमी से क्या संबंध है ?
कृष्ण जन्माष्टमी का संबंध श्रीकृष्ण भगवान से है, और श्रीकृष्ण भगवान से जुड़ी एक कथा तो आपको याद होगी, जिसमें बताया जाता है कि श्रीकृष्ण भगवान बहन सुभद्रा को चक्रव्यूह भेदने का तरीका बता रहे थे, लेकिन बात के बीच में गर्भवती सुभद्रा की आंख लग गई, और वो सो गई, बात अधर में रह गई, और गर्भ में अभिमान्यु केवल चक्रव्यूह भेदने तक सुन पाया, आगे नहीं। जो शोध अब सामने आई है, यह उस बात की पुष्टि कर रही है, जो बहुत पहले से भारतीय धर्मों में बताई जा रही है।
इतना ही नहीं, कुछ महीने पहले एक अन्य संस्थान अमेरिकी शैक्षणिक संस्थान पैसिफिक लुथरीन यूनिवर्सिटी ने भी इस तरह की बात कही थी। वैसे ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे अंश की अठखेलियों को महसूस करती हैं। उनके उदास होने, उनके खुश होने, उनके अठखेलियां करने आदि को महसूस करती हैं। बच्चे की किक तो बहुत से पिताओं ने महसूस की हो गई, लेकिन अन्य हकरतें केवल मां महसूस कर सकती है।
यह हरकतें बच्चा बाहर हो रही गतिविधियों पर प्रतिक्रियाएं देते हुए करता है। कुछ महिलाएं तो यहां तक कहती हैं कि अगर गर्भ में पल रहा शिशु शांत है तो लड़का, अगर शरारती है, तो लड़की। कभी कभी ऐसे कयास स्टीक भी बैठते हैं।
संयोग देखिए, जब विश्व का एक समुदाय भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बनाने की तैयारियों में जुटा हुआ था, तब जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय का एक अध्ययन सामने आया, जिसमें कहा गया कि नवजात बच्चे को मां के गर्भ में रहते हुए अपनी जननी की और अन्य लोगों की आवाज़ें याद रहती हैं। शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान 74 महिलाओं का परीक्षण किया जो 36 हफ्तों की गर्भवती थीं। उन्हें दो मिनट तक कहानियां सुनाने को कहा गया और इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु की धड़कनों और हरकतों का परीक्षण किया गया।
इस शोधकार्य के दौरान पता चला कि औसतन एक बच्चा एक ही शब्द 25 हज़ार बार सुन सकता है। जीवन के पहले महीने में बच्चा उस संगीत के प्रति प्रतिक्रिया दिखाता है जो उसने गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में सुना था। आप सोच रहे होंगे, इस का कृष्ण जन्माष्टमी से क्या संबंध है ?
कृष्ण जन्माष्टमी का संबंध श्रीकृष्ण भगवान से है, और श्रीकृष्ण भगवान से जुड़ी एक कथा तो आपको याद होगी, जिसमें बताया जाता है कि श्रीकृष्ण भगवान बहन सुभद्रा को चक्रव्यूह भेदने का तरीका बता रहे थे, लेकिन बात के बीच में गर्भवती सुभद्रा की आंख लग गई, और वो सो गई, बात अधर में रह गई, और गर्भ में अभिमान्यु केवल चक्रव्यूह भेदने तक सुन पाया, आगे नहीं। जो शोध अब सामने आई है, यह उस बात की पुष्टि कर रही है, जो बहुत पहले से भारतीय धर्मों में बताई जा रही है।
इतना ही नहीं, कुछ महीने पहले एक अन्य संस्थान अमेरिकी शैक्षणिक संस्थान पैसिफिक लुथरीन यूनिवर्सिटी ने भी इस तरह की बात कही थी। वैसे ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे अंश की अठखेलियों को महसूस करती हैं। उनके उदास होने, उनके खुश होने, उनके अठखेलियां करने आदि को महसूस करती हैं। बच्चे की किक तो बहुत से पिताओं ने महसूस की हो गई, लेकिन अन्य हकरतें केवल मां महसूस कर सकती है।
यह हरकतें बच्चा बाहर हो रही गतिविधियों पर प्रतिक्रियाएं देते हुए करता है। कुछ महिलाएं तो यहां तक कहती हैं कि अगर गर्भ में पल रहा शिशु शांत है तो लड़का, अगर शरारती है, तो लड़की। कभी कभी ऐसे कयास स्टीक भी बैठते हैं।
shubh janmastami,
जवाब देंहटाएंham wigyan me duniya se koso aage rahe hain
jab zero diya mere bharat ne..........