दस साल की 'बच्ची' पर 'रेप' का केस
ब्राउन टी शर्ट में खड़ा मुस्कराते हुए जैक |
बात दस साल की अशले से शुरू करते हैं, जो मेलबर्न में रहती है। उसका अब बच्चों के समूह के साथ खेलना प्रतिबंधित है। अप्रैल की एक घटना ने अशले को बच्चों के समूह से दूर कर दिया।
दरअसल, दस वर्षीय अशले एक डॉक्टर गेम के दौरान चार साल के लड़के को असंगत ढंग से छूते हुए पाई गई। शिकायत के बाद पुलिस ने अशले को गिरफ्तार कर लिया, उससे पूछताछ की, और चार दिन के लिए उसको हैरिस काउंटी बाल सुधार गृह में छोड़ा गया।
इस मामले में जब बच्ची से पूछताछ की जा रही थी, तो उसकी मां को भी वहां पर उपस्थित होने की आज्ञा नहीं दी गई। अब दस वर्षीय बच्ची को अक्टूबर में बलात्कार के आरोप के तहत कोर्ट में पेश किया जाएगा। यह घटना अप्रैल महीने में घटित हुई थी। बच्ची को बच्चे के साथ असंगत तरीके से छेड़छाड़ करते पाया गया, और मामला चला। भारत में गैंगरेप होने के बाद भी विचार किया जाता है कि रेप करने वाला नाबालिग है या बालिग।
मानवता का परिचय देता एक मामला मियामी में सामने आया है। जहां एक माता पिता ने अपने बीमार बेटे के सारे अंगदान करने का फैसला किया है। दस साल का जैकची रेयन देखने में बेहद खूबसूरत, मासूम और लवली ब्यॉय है, लेकिन उसको एक बीमारी ने जकड़ लिया, जो दिमाग से संबंधी है। जैकची का ब्रेन खत्म हो चुका है।
ऐसे में उसके माता पिता ने फैसला किया कि उसके अंग दान किए जाएं, ताकि चत्मकार का रास्ता देख रहे किसी व्यक्ति को जीने की आशा मिल जाए। इस अभियान के लिए जैकची के माता पिता ने एक फेसबुक पेज pray4number4-zachary reyna भी तैयार किया। यहां पर रेयन की बेहद खूबसूरत दिल लुभावनी तस्वीरें हैं, जिनको देखकर ऐसा लगता है, जैसे कोई झूठ बोल रहा है, कोई मजाक कर रहा है, इतना खूबसूरत बच्चा, इतनी जल्दी कैसे जा सकता है, लेकिन यह हकीकत है कि वे अब इस दुनिया के और लोगों को जिन्दगी देकर रुखस्त हो रहा है।
फेसबुक के इस पन्ने पर लिखा है, कि आज मंगलवार रात से जैक अपने सारे अंग दान करने की घोषणा करते हुए जीवन बचाओ मुहिम का आगाज कर रहा है। जैक ने अपने सारे अंग दान कर दिए उनके लिए जो किसी महान चत्मकार का इंतजार कर रहे हैं। वे जिन्दा रहेगा, उसका दिल किसी के सीने में धड़केगा, उसके फेफड़े किसी को सांस लेने में मदद करेंगे, कुछ लोगों को उसके अन्य अंग जीने की नई आशा देंगे।
ऐसी स्थिति में ज्यादातर मां बाप सदमे से उभर नहीं पाते, वहीं जैक के माता पिता इतना बड़ा फैसला कर रहे हैं, यह भी ताजुब की बात है। मानवता का इससे बड़ा उदाहरण देना मुश्िकल है। इस मानवता की कहानी को शायद भारतीय मीडिया में कहीं जगह नहीं मिली, क्यूंकि भारतीय मीडिया एक नेगेटिव स्टोरी पर अपना पूरा दम खम लगा रहा था, वे दूनिया को बता रहा था, एक युवती ने किस तरह एक पब के टॉयलेट में घुसकर बच्चे को जन्म दिया, और फिर उसको पॉलीथीन में भर टॉयलेट में फेंक दिया।
इस युवती ने जहां नवजात को, अपने खून के कतरे कतरे से सींचे पौधे को फलने फूलने से पहले मार दिया, वहीं जैक के माता पिता, उन जिन्दगियों को खुशियों से भर देना चाहते हैं, जो उनसे कोसों दूर किसी चत्मकार की राह देख रही हैं, शायद तभी जैक के माता पिता अपने बच्चे को मिरेकल कहकर पुकार रहे हैं। मियामी के जैक का दिल भले ही किसी एक सीने में धड़के, लेकिन उसके द्वारा किया कार्य उसको हर दिल में रहने का हक देता है, वे हर दिल में धड़केगा, जो मानवता से प्यार करता है।
सलाम जिन्दगी, सलाम जैक।
विश्वगुरु बनने का दंभ किनारे कर,हम भारतीयों को औरों के पास जो अच्छाइयाँ हैं उन्हें ग्रहण करने सद्बुद्धि भी विकसित करनी चाहिय़े!
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