जिस शख्सियत से आप आज रूबरू होने जा रहे हैं, वो शख्सियत उन लोगों के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम न होगी, जो लकीर के फकीर हुए फिरते हैं। भगवान ने हर व्यक्ति को किसी न किसी कला से नवाजा है, लेकिन लकीर के फकीर हुए लोग उस हुनर एवं कला को बाहर निकालने के चक्कर में जिन्दगी का असली स्वाद खो बैठते हैं। दुनिया में हमेशा ही दो तरह के लोग पाए जाते हैं, एक तो जिनकी बात मैंने ऊपर की, और दूसरे समीर लाल 'समीर' जैसे, जो शौक के कारण अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी बर्बाद नहीं करते, और रोजमर्रा की जिन्दगी को पटड़ी पर लाने के बाद शौक को नया आयाम देते हैं। आपको यकीन न हो शायद कि अपनी लेखनी के कारण तरकश सम्मान 2006, बेस्ट इंडिकाब्लॉग (हिन्दी) 2006, वाशिंगटन हिन्दी समिति की ओर साहित्य गौरव, शिवना सारस्वत सम्मान, पुरस्कार ब्लॉग ऑफ दी मन्थ फाऊंडेशन नवम्बर 2009, ताऊ डॉट कॉम के पहेली पुरस्कार एवं युवा सोच युवा खयालात द्वारा स्थापित वर्ष 2009 हरमन प्यारा ब्लॉगर पुरस्कार पा चुके समीर लाल 'समीर' असल जिन्दगी में भारत से चार्टड एकाउन्टेन्ट, अमरीका से सी एम ए (CMA), अमरीका से प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट प्रोफेशनल...
यह जो खिड़की हवा से खुल गई
जवाब देंहटाएंकुछ पुरानी यादें जेहन मे घु्ल गई
बस यही तो खजाना है जीवन का
जैसे कोई नई जिन्दगी मिल गई
मिल्नेगे यहाँ पर 12.30 के बाद
वाह जी कमाल की खिडकी खोल डाली आपने तो
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
बहुत अच्छी कविता,शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंkrantidut.blogspot.com
खिड़की खुली है तो हवा के झोंके आते ही रहेंगे खुश रहे ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता,शुभकामनायें.
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