पंजाबी है जुबाँ मेरी, शेयर-ओ-शायरी

पंजाबी है जुबाँ मेरी, शेयर-ओ-शायरी

(1)
पंजाबी है जुबाँ मेरी,
लेकिन हिन्दी भी बोलता हूँ।
बनाता हूँ शरबत-ए-काव्य जब
ऊर्दू की शक्कर घोलता हूँ॥

(2)
मैं वो बीच समुद्र
एक तूफाँ ढूँढता हूँ।
हूँ जन्मजात पागल
तभी इंसाँ ढूँढता हूँ॥

(3)
गूँगा, बहरा व अन्धा
है कानून मेरे देश का।
फिर भी चाहिए इंसाफ
देख जुनून मेरे देश का।

(4)
खिलते हुए गुलाबों से प्यार है तुमको
काँटों से भरी जिन्दगी में
तुम आकर क्या करोगी।

देता नहीं जमाना तुमको आजादी जब
फिर इन आँखों में सुनहरे ख्वाब
सजा क्या करोगी।

टिप्पणियाँ

  1. मैं वो बीच समुद्र
    एक तूफाँ ढूँढता हूँ।
    हूँ जन्मजात पागल
    तभी इंसाँ ढूँढता हूँ॥
    अद्भुत। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह भाई क्या अंदाज है आपके...चार क्षणिकाओं में दिल जीत लिए..बहुत बढ़िया भाई...

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी एक से बढ़ कर एक..वाह!!

    जवाब देंहटाएं

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