खुद क्यूं नहीं काटकर लाते जेठमलानी की जुबान
भाजपा नेता राम जेठमलानी के श्रीराम भगवान पर दिए बयान को लेकर हिन्दु समुदाय बेहद क्रोधित है, भले ही आम आदमी श्रीराम भगवान के घर वापसी उत्सव को समर्पित दीवाली त्योहार की तैयारियों में मस्त है। शायद आम आदमी ही नहीं, बल्कि श्री हिंदू न्यायपीठ विधान परिषद के सदस्य भी, तभी तो उन्होंने श्रीराम भगवान के चरित्र पर बुरे पति का ठप्पा लगाने वाले नेता की जुबान काटकर लाने वाले को 11 लाख रुपए देना का एलान किया है यह कार्य तो केवल वो व्यक्ति कर सकता है, जिसके मुंह में राम और बगल में छुरी
अब ऐसा व्यक्ति की तलाश करनी होगी। भारत में ऐसा वयक्ति ढूंढ़ना बेहद मुश्किल है। आप पूछोगे क्यूं, यहां तो हर दूसरा व्यक्ति ऐसा है, लेकिन यह बात मानने को कौन तैयार है, कि मैं मुंह में राम और बगल में छूरी रखता हूं, सब कहेंगे हमारे मुंह में राम है, बगल में खड़े व्यक्ति के पास जरूर छूरी होगी, जब आप दूसरे से पूछोगे तो वो भी यही कहेगा।
आप सोच रहे होंगे मुद्दा तो राम भगवान का चल रहा था, छूरी कहां से आ गई। छूरी का जिक्र इस लिए करना पड़ रहा है, क्यूंकि जुबान काटने के लिए कोई तो औजार चाहिए। तो वो छूरी क्यूं नहीं हो सकता, जब कि हमारे तो कवाहत में भी दोनों साथ आते हैं, मुंह में राम बगल में छूरी।
चलो छोड़ो हम छुरी से वापिस जेठमलानी पर लौटते हैं, मुझे तो नेता जेठमलानी भी अजीब प्राणी लगते हैं, पहले बुरे पति का ठप्पा लगाते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम पर, फिर कहते हैं कि वो है भी थे या नहीं। अंतिम में जेठमलानी से पूछना चाहूंगा कि जेठमलानी के आगे लगा राम कहां से आया ?
दूसरी तरफ परिषद को देखो, जो बुजुर्ग व्यक्ति की जुबान काटने के लिए 11 लाख रुपए की ईनाम राशि देकर एक जरूरतमंद को अपराध की दुनिया की तरफ धकेल रही है, अगर परिषद श्रीराम भगवान के प्रति इतना ही स्नेह रखती है तो इस पवित्र कार्य के लिए खुद की आगे क्यूं नहीं आती।
इनाम रखकर किसी गरीब एवं जरूरतमंद व्यक्ति की जिन्दगी का क्यूं राम राम सत्य करने पर तुली हुई है। श्री राम भगवान एवं सीता मैया की कथा में जब भी धोबी का किस्सा आएगा, तो सवाल हर दिल में उठेगा, चाहे वो उस सवाल को जमाने से पूछे, चाहे अपने मन से या परिवार से।
लेकिन इस सवाल का जवाब केवल केवल उस समय की परिस्थ्ितियों के सही सही आंकलन के बाद ही हो सकता है, इसके पीछे की क्यूं को समझना होगा, हो सकता है कि उस समय कुछ परिस्थ्तियां ऐसी हों कि उनको स्वीकार करने के अलावा श्रीराम के पास कोई विकल्प न हो। लेकिन कभी कभी तो भारतीय लोग श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा देते हैं। इस धर्म को इतना पेचीदा मत करो कि लोग इस धर्म को छोड़कर किसी और धर्म की तरफ निकल पड़े। बहुत सारे नए धर्म पुराने धर्मों के ज्यादा पेचीदा होने के कारण अस्तित्व में आए।
अब ऐसा व्यक्ति की तलाश करनी होगी। भारत में ऐसा वयक्ति ढूंढ़ना बेहद मुश्किल है। आप पूछोगे क्यूं, यहां तो हर दूसरा व्यक्ति ऐसा है, लेकिन यह बात मानने को कौन तैयार है, कि मैं मुंह में राम और बगल में छूरी रखता हूं, सब कहेंगे हमारे मुंह में राम है, बगल में खड़े व्यक्ति के पास जरूर छूरी होगी, जब आप दूसरे से पूछोगे तो वो भी यही कहेगा।
आप सोच रहे होंगे मुद्दा तो राम भगवान का चल रहा था, छूरी कहां से आ गई। छूरी का जिक्र इस लिए करना पड़ रहा है, क्यूंकि जुबान काटने के लिए कोई तो औजार चाहिए। तो वो छूरी क्यूं नहीं हो सकता, जब कि हमारे तो कवाहत में भी दोनों साथ आते हैं, मुंह में राम बगल में छूरी।
चलो छोड़ो हम छुरी से वापिस जेठमलानी पर लौटते हैं, मुझे तो नेता जेठमलानी भी अजीब प्राणी लगते हैं, पहले बुरे पति का ठप्पा लगाते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम पर, फिर कहते हैं कि वो है भी थे या नहीं। अंतिम में जेठमलानी से पूछना चाहूंगा कि जेठमलानी के आगे लगा राम कहां से आया ?
दूसरी तरफ परिषद को देखो, जो बुजुर्ग व्यक्ति की जुबान काटने के लिए 11 लाख रुपए की ईनाम राशि देकर एक जरूरतमंद को अपराध की दुनिया की तरफ धकेल रही है, अगर परिषद श्रीराम भगवान के प्रति इतना ही स्नेह रखती है तो इस पवित्र कार्य के लिए खुद की आगे क्यूं नहीं आती।
इनाम रखकर किसी गरीब एवं जरूरतमंद व्यक्ति की जिन्दगी का क्यूं राम राम सत्य करने पर तुली हुई है। श्री राम भगवान एवं सीता मैया की कथा में जब भी धोबी का किस्सा आएगा, तो सवाल हर दिल में उठेगा, चाहे वो उस सवाल को जमाने से पूछे, चाहे अपने मन से या परिवार से।
लेकिन इस सवाल का जवाब केवल केवल उस समय की परिस्थ्ितियों के सही सही आंकलन के बाद ही हो सकता है, इसके पीछे की क्यूं को समझना होगा, हो सकता है कि उस समय कुछ परिस्थ्तियां ऐसी हों कि उनको स्वीकार करने के अलावा श्रीराम के पास कोई विकल्प न हो। लेकिन कभी कभी तो भारतीय लोग श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा देते हैं। इस धर्म को इतना पेचीदा मत करो कि लोग इस धर्म को छोड़कर किसी और धर्म की तरफ निकल पड़े। बहुत सारे नए धर्म पुराने धर्मों के ज्यादा पेचीदा होने के कारण अस्तित्व में आए।
अच्छे विचार....
जवाब देंहटाएंइंटरनेट से भारी डाटा भेजने का आसन तरीका
sahi hai
जवाब देंहटाएंhttp://achhibatein.blogspot.in/