भारत को ब्रिटेन से मिला विकासशील देश का प्रमाण पत्र
अब भारत गरीब देश
नहीं रहा। अब भारत एक अमीर देश बन चुका है। भारत दिन प्रति दिन विश्व के नक्शे
पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। ऐसा मैं नहीं कह रहा, बल्कि यह बात तो ब्रिटेन कह रहा है, और इस की आढ़ लेकर वो हम को अब आर्थिक सहायता
देने से मना कर रहा है। यह सब भारत के कुछ नीच अमीर लोगों के कारण हुआ, जो घोटाले कर कर मीडिया के दुबारा दुनिया को बता
रहे हैं कि हमारे यहां पैसे की कोई कमी नहीं, बल्कि कमी है तो मिल बांटकर खाने की, एक बेहतर प्रबंधन की।
हमें चीजों का सही
इस्तेमाल नहीं करना आता। इसकी सबसे बड़ी उदाहरण है हमारे देश का प्रधान मंत्री
मनमोहन सिंह, जो विश्व के सबसे महान अर्थ शास्त्रियों में शामिल हैं, लेकिन देश
को आर्थिक रूप से सशक्त कर पाने में असशक्त हैं, उनके पीछे उनका हाथ नहीं, बल्कि
कुछ हमारे समाज के भ्रष्ट लोगों का दोष है। ब्रिटेन का उक्त
बयान मनमोहन सिंह को सही साबित कर रहा है, लेकिन देश की जमीनी हालत तो पूरी दुनिया
जानती है। इस देश की एक और बड़ी समस्या है, जो प्रबंधन से ही जुड़ी हुई है, कुछ
नेता पैसा कमाते हैं, और सीधा स्विस बैंक में भेज देते हैं, ऐसे करीबन 700 लोगों
का पैसा स्विस बैंक में पड़ा हुआ है, लेकिन देश के अंदर विकास के नाम पर विदेशी
कंपनी को उतारा जा रहा है। उस पैसे देश के अंदर हजारों रोजगार ईकाइयों को जन्म
दिया जा सकता है। मगर पैसा प्रबंधन का तरीका नहीं है। बचपन से सिखाया ही नहीं गया, हमारे
जहां तो गोलक में पैसे एकत्र करने सिखाए जाते हैं, जब एक दम जरूरत पड़ती है तो बच्चे
गोलक तोड़कर पैसा निकाल लेते हैं, वो पैसा कब और कहां से आए, उसका क्या करना चाहिए,
इसका हमारे पास कोई ज्ञान नहीं होता।
एक आदमी की जरूरत क्या
है, रोटी कपड़ा और मकान। जो बड़ी आसानी से मिल सकता है, लेकिन देश के अंदर बेहतर प्रबंधन
न होने के कारण आदमी पहली जरूरत बमुश्किल पूरी कर पाता है। सुबह की चाय इतनी
महंगी हो गई कि लोटा भर कर पीने वाला साधारण व्यक्ति अब केवल गला तर कर पाता है।
गैस सिलेंडर, चीनी, चाय एवं दूध का रेट देखकर आंखें खुली की खुली रह जाती हैं,
हिमायल एवं सागरों के बीच बसने वाले इस देश के कुछ इलाकों में तो लोग आज भी पानी
को तरसते हैं। दिल्ली, मुम्बई
एवं बैंगलूरू जैसे महानगरों से अभी तक झुग्गी झोपड़ियां खत्म नहीं हुई तो हम कैसे कहें कि देश विकास कर रहा है। यह बात ब्रिटेन कह सकता है, क्यूंकि उसको अपने देश के नागरिकों की चिंता है, वो फोकट में ऐसे देश में पैसा बर्बाद नहीं कर सकता, जहां पर आए दिन करोड़ों रुपए के घोटाले होना आम बात है। हिंदुस्तान में पैसे की कमी तो कभी नहीं थी, मुगलों का इतिहास उठाकर देख लो या फिर खुद ब्रिटेनियों का। कमी रही है तो अक्सर प्रबंधन की।
क्या
कहा ब्रिटेन - ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय सहायता मामलों की मंत्री ने घोषणा की है कि
ब्रिटेन भारत को साल 2015 तक अपने यहाँ से मिलने वाली सहायता
पर रोक लगा देगा.
यह कटौती वर्ष 2013 से 2015 के बीच चरणबद्ध तरीके से की जाएगी. इस दौरान सहायता में करीब 1700 करोड़ रुपयों की कटौती की जाएगी. ब्रितानी मंत्री जस्टिन ग्रीनिंग ने इस
बाबत घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि भारत आर्थिक रूप से
तरक्की कर रहा है और दुनिया में एक ताकत के रूप में उभर रहा है.
badhiya janakari di hai ...
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