बाबा साहेब या बाला साहेब की स्मारक
बाला साहेब को अभी रुखस्त हुए कुछ दिन भी नहीं हुए कि उनकी स्मारक को लेकर विवाद शुरू हो गया। शिव सेना चाहती है कि बाला साहेब का स्मारक शिवाजी पार्क में बने, जबकि मनसे चाहती है कि शिवाजी पार्क को छोड़ कर बाला साहेब की स्मारक इंदू मिल की जगह पर बने। मगर दिलचस्प बात यह है कि मनसे ने जिस जगह बाला साहेब की स्मारक बनाने की बात कही है, उस जगह पर बाबा साहेब की स्मारक बनाने के लिए दलित संगठन संघर्ष कर रहे हैं।
इतना ही नहीं, आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि 5 दिसंबर तक इंदू मिल की 12.5 एकड़ जमीन बाबासाहब आंबेडकर के स्मारक के लिए उपलब्ध नहीं कराई गई तो पार्टी 6 दिसंबर को मिल जमीन पर कब्जा कर लेगी।
सूत्रों की माने तो लगभग 3500 करोड़ की कीमत वाली इस जगह को लेकर राज्य सरकार पहले ही मुश्किल में है, ऐसे में अगर राज ठाकरे शिवाजी पार्क में बाला साहेब की स्मारक बनने के रास्ते में रोड़ा बने तो राज्य सरकार के लिए और मुश्किल हो सकती है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में दलित-आदिवासी कुल जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत है। ऐसे में राज्य सरकार कोई भी कदम एक दम से नहीं उठा सकती।
अब देखना यह रोचक होगा कि बाला साहेब की शिव सेना अपने प्रमुख की स्मारक को शिव पार्क में स्थापित कर पाती है या फिर बाला साहेब की छात्र छाया में पलकर बड़ा हुआ राज ठाकरे बाला साहेब को इंदू मिल पहुंचाता है।
इतना ही नहीं, आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि 5 दिसंबर तक इंदू मिल की 12.5 एकड़ जमीन बाबासाहब आंबेडकर के स्मारक के लिए उपलब्ध नहीं कराई गई तो पार्टी 6 दिसंबर को मिल जमीन पर कब्जा कर लेगी।
सूत्रों की माने तो लगभग 3500 करोड़ की कीमत वाली इस जगह को लेकर राज्य सरकार पहले ही मुश्किल में है, ऐसे में अगर राज ठाकरे शिवाजी पार्क में बाला साहेब की स्मारक बनने के रास्ते में रोड़ा बने तो राज्य सरकार के लिए और मुश्किल हो सकती है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में दलित-आदिवासी कुल जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत है। ऐसे में राज्य सरकार कोई भी कदम एक दम से नहीं उठा सकती।
अब देखना यह रोचक होगा कि बाला साहेब की शिव सेना अपने प्रमुख की स्मारक को शिव पार्क में स्थापित कर पाती है या फिर बाला साहेब की छात्र छाया में पलकर बड़ा हुआ राज ठाकरे बाला साहेब को इंदू मिल पहुंचाता है।
gandi raajneeti..
जवाब देंहटाएंजाने वाले चले गए हैं और राजनीति अपनी रोटी सेक रही है और कुछ नहीं किसी को कुछ नहीं चाहिए सिवाय दबंगई के .सार्थक प्रस्तुति
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