गुरू
मैंने इस कविता को बहुत पहले अपने एक पाठक की गुजारिश पर लिखा था, लेकिन युवा सोच युवा खयालात पर पहली बार प्रकाशित कर रहा हूँ, उम्मीद करता हूँ कि मेरे जैसे अकवि की कलम और जेहन से निकले भाव आपको पसंद आएंगे। अकवि इसलिए क्योंकि काव्य की बहुत समझ नहीं, या फिर कभी समझने की कोशिश नहीं की।
गुरू एक मार्ग है,
मंजिल तक जाने का,
गुरू एक साधन है,
भगवान को पाने का
गुरू एक प्रकाशयंत्र है,
अज्ञानता को मिटाने का,
पहले गुरू हैं माता पिता,
जिसने बोलना सिखाया,
दूसरे गुरू शिक्षक हैं,
जिन्होंने जीना बतलाया,
तीसरा वक्त है,
जो पांव पांव पर
सिखाता है
परिस्थितियों से निपटना
है वो हर शख्स गुरू,
सिखाता जो
जीने का सलीका,
इस मतलबी दुनिया में
'हैप्पी' रहने का तरीका,
आभार
कुलवंत हैप्पी
BILKUL SAHI KAHA HAI AAPNE
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएकदम खरी बात।
जवाब देंहटाएंलगता है सच्चे मार्गदर्शन मिले हैं गुरू के.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंकुलवंत जी अच्छे हैप्पी विचार इन सबसे ऊपर मनुष्य[अगर आप मानो] स्वयं खुद का गुरू है |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमातु पिता गुर प्रभु कै बानी ।
बिनहिं विचार करिअ सुभ जानी ।।
माता पिता, गुरू और स्वामी की बात को बिना विचारे शुभ समझकर करना । मानना चाहिए ।
गुर के बचन प्रतीत न जेही ।
सपने हुँ सुगम न सुख सिधि ते ही ।।
जिसको गुरू के वचनों में विश्वास नहीं है,
उसको सुख और सिद्धि स्वप्न में भी सुगम नहीं होती ।
गुरु बिन ज्ञान नहीं .........बहुत खूबसूरत पंक्तियों से सजया है आपने ये कविता .
जवाब देंहटाएंबहुत बेहत्तरीन विचार, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हर तरफ मौजूद हैं गुरु ! महसूसने की जरूरत है बस !
जवाब देंहटाएंसच्चे मन की रचना ! आभार ।
तीसरा वक्त है,
जवाब देंहटाएंजो पांव पांव पर
सिखाता है
परिस्थितियों से निपटना
बहुत ही अच्छी लगी ये पँक्तियाँ पूरी कविता ही सार्थक सन्देश देती है बहुत बहुत आशीर्वाद्
इस मतलबी दुनिया में हैप्पी रहने का तरीका बहुत अच्छा जी ,अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंविकास पाण्डेय
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