कैमरॉन की हसीं दुनिया 'अवतार'
टायटैनिक जैसी एक यादगार एवं उम्दा फिल्म बनाने वाले निर्देशक जेम्स कैमरॉन उम्र के लिहाज से बुजुर्ग होते जा रहे हैं, लेकिन उनकी सोच कितनी गहरी होती जा रही है। इस बात का पुख्ता सबूत है 'अवतार'। करोड़ रुपयों की लागत से बनी 'अवतार' एक अद्भुत फिल्म ही नहीं, बल्कि एक अद्भुत दुनिया, शायद जिसमें हम सब जाकर रहना भी पसंद करेंगे। फिल्म की कहानी का आधारित पृथ्वी के लालची लोगों और पेंडोरा गृह पर बसते सृष्टि से प्यार करने वाले लोगों के बीच की जंग है। पृथ्वी के लोग पृथ्वी के कई हजार मीलों दूर स्थित पेंडोरा गृह के उस पत्थर को हासिल करना चाहते हैं, जिसके छोटे से टुकड़े की कीमत करोड़ रुपए है, लेकिन उनकी निगाह में वहां बसने वाले लोगों की कीमत शून्य के बराबर है।
इस अभियान को सफल बनाने के लिए अवतार प्रोग्रोम बनाया जाता है। इस प्रोग्रोम के तहत पृथ्वी के कुछ लोगों की आत्माओं को पेंडोरा गृहवासियों नमुना शरीरों में प्रवेश करवाया जाता है। वो पेंडोरा गृहवासी बनकर ही पेंडोरा गृहवासियों के बीच जाते हैं, ताकि उन लोगों को समझा बुझाकर कहीं और भेजा जाए एवं पृथ्वी के लोग अपने मकसद में पूरे हो सकें। उसकी मुलाकात नाईत्रि (जो सल्डाना) से होती है, जो वहां के लोगों के मुखिया की पुत्री है, लेकिन धीरे धीरे फिल्म का नायक जैक सुली (सैम वर्थिंगटन) वहां के लोगों के बेहद प्यार करने लगता है, जो अपने विज्ञानी भाई के अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए गया है। इस मिशन में शामिल कुछ और लोग भी जैक सुली की तरह उन लोगों को प्यार करने लगते हैं, लेकिन पृथ्वी के लालची मानवों को ये बर्दाशत नहीं होता, और शुरू होती है जंग। फिल्म आज के समाज को एक आईना दिखाती है कि कुछ कागज के टुकड़ों के लिए उन्होंने जन्नत को कैसे नर्क बना दिया। पेंडोरा गृह पर पैसा नहीं, वहां लालच नहीं। वहां तो एकता है, वहां कुदरत से प्यार करने वाले बाशिंदे हैं।
कैमरॉन ने बहुत दूर की सोची है, शायद भारतीय फिल्म निर्देशक और लेखक तो सदियों तक उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। फिल्म का नायक जैक सुली (सैम वर्थिंगटन) और नायिका जोई सलदाना (नेईत्रि) ने अपने किरदारों को बाखूबी अंजाम दिया। इसके अलावा खलनायक कर्नल मिलिज़ कैट्रिच की भूमिका निभा ने वाले सटिफ्न लैंग ने अपने किरदार में अपने उम्दा अभिनय से जान डाल दी जबकि मिशैल रोडरिग्स एवं सीगोर्नी विवर ने भी अपने किरदार को पूरी जी जान से निभाया है। वैसे असली शब्दों में तो जेम्स कैमरून नि:संदेह इस फिल्म के हीरो हैं। छोटी-छोटी बातों पर उन्होंने ध्यान रखा है और हर किरदार का ठीक से विस्तार किया है। विज्युअल इफेक्ट, कहानी और एक्शन का उन्होंने संतुलन बनाए रखा है और तकनीक को फिल्म पर हावी नहीं होने दिया है।
उन्होंने कहीं भी फिल्म को बोझिल नहीं होने दिया, जो उनकी निर्देशन कमांड का एक लाजवाब नमूना है। इस फिल्म का तकनीकी रूप से फिल्म लाजवाब है। फोटोग्राफी, स्पेशल/विज्युअल इफेक्ट, कास्ट्यूम डिजाइन, संपादन बेहतरीन है। लाइट और शेड का प्रयोग फिल्म को खूबसूरत बनाता है। इस फिल्म में सीजीआई (कम्प्यूटर जनरेटेड इमेज) के सबसे अत्याधुनिक वर्जन का प्रयोग किया गया है, जिससे फिल्म के ग्राफिक्स की गुणवत्ता और अच्छी हो गई है। जेम्स कैमरॉन की निगाह से के अद्भुत दुनिया की सैर 'अवतार'।
इस अभियान को सफल बनाने के लिए अवतार प्रोग्रोम बनाया जाता है। इस प्रोग्रोम के तहत पृथ्वी के कुछ लोगों की आत्माओं को पेंडोरा गृहवासियों नमुना शरीरों में प्रवेश करवाया जाता है। वो पेंडोरा गृहवासी बनकर ही पेंडोरा गृहवासियों के बीच जाते हैं, ताकि उन लोगों को समझा बुझाकर कहीं और भेजा जाए एवं पृथ्वी के लोग अपने मकसद में पूरे हो सकें। उसकी मुलाकात नाईत्रि (जो सल्डाना) से होती है, जो वहां के लोगों के मुखिया की पुत्री है, लेकिन धीरे धीरे फिल्म का नायक जैक सुली (सैम वर्थिंगटन) वहां के लोगों के बेहद प्यार करने लगता है, जो अपने विज्ञानी भाई के अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए गया है। इस मिशन में शामिल कुछ और लोग भी जैक सुली की तरह उन लोगों को प्यार करने लगते हैं, लेकिन पृथ्वी के लालची मानवों को ये बर्दाशत नहीं होता, और शुरू होती है जंग। फिल्म आज के समाज को एक आईना दिखाती है कि कुछ कागज के टुकड़ों के लिए उन्होंने जन्नत को कैसे नर्क बना दिया। पेंडोरा गृह पर पैसा नहीं, वहां लालच नहीं। वहां तो एकता है, वहां कुदरत से प्यार करने वाले बाशिंदे हैं।
कैमरॉन ने बहुत दूर की सोची है, शायद भारतीय फिल्म निर्देशक और लेखक तो सदियों तक उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। फिल्म का नायक जैक सुली (सैम वर्थिंगटन) और नायिका जोई सलदाना (नेईत्रि) ने अपने किरदारों को बाखूबी अंजाम दिया। इसके अलावा खलनायक कर्नल मिलिज़ कैट्रिच की भूमिका निभा ने वाले सटिफ्न लैंग ने अपने किरदार में अपने उम्दा अभिनय से जान डाल दी जबकि मिशैल रोडरिग्स एवं सीगोर्नी विवर ने भी अपने किरदार को पूरी जी जान से निभाया है। वैसे असली शब्दों में तो जेम्स कैमरून नि:संदेह इस फिल्म के हीरो हैं। छोटी-छोटी बातों पर उन्होंने ध्यान रखा है और हर किरदार का ठीक से विस्तार किया है। विज्युअल इफेक्ट, कहानी और एक्शन का उन्होंने संतुलन बनाए रखा है और तकनीक को फिल्म पर हावी नहीं होने दिया है।
उन्होंने कहीं भी फिल्म को बोझिल नहीं होने दिया, जो उनकी निर्देशन कमांड का एक लाजवाब नमूना है। इस फिल्म का तकनीकी रूप से फिल्म लाजवाब है। फोटोग्राफी, स्पेशल/विज्युअल इफेक्ट, कास्ट्यूम डिजाइन, संपादन बेहतरीन है। लाइट और शेड का प्रयोग फिल्म को खूबसूरत बनाता है। इस फिल्म में सीजीआई (कम्प्यूटर जनरेटेड इमेज) के सबसे अत्याधुनिक वर्जन का प्रयोग किया गया है, जिससे फिल्म के ग्राफिक्स की गुणवत्ता और अच्छी हो गई है। जेम्स कैमरॉन की निगाह से के अद्भुत दुनिया की सैर 'अवतार'।
बढिया जानकारी...अब तो फिल्म देखनी ही पड़ेगी
जवाब देंहटाएंबहुत सही..कब देख पाते हैं, देखिये!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी हमारे शहर मे तो आज कल सिनेमाहाल ही नहीं । आज कल फिलम देखना बन्द है कभी टी वी पे ही देख पायेंगे। धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी aaj hi dekhege
जवाब देंहटाएंइच्छा बलवती हो गई है,शहर के सिनेमा हाल में लगी हुई है यानि मौका और नज़ाकत दोनो है.देखने का जुगाड़ करते है.
जवाब देंहटाएंबढियां समीक्षा की है आपने
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